कोरोना संक्रमण: जानिए, भारत में मिला 'डबल म्यूटेंट' क्या है
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश में एक नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है- डबल म्यूटेंट। इससे संक्रमित लोग देश के 18 राज्यों में पाए गए हैं। देश में तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच सवाल है कि क्या इसमें 'डबल म्यूटेंट' का हाथ है? और यह डबल म्यूटेंट क्या है?
नये क़िस्म के कोरोना के रूप में अब तक यूके स्ट्रेन या वैरियंट, दक्षिण अफ़्रीकी स्ट्रेन और ब्राज़ीलियन स्ट्रेन जैसे नाम आ रहे थे। अब भारत में 'डबल म्यूटेंट' के संक्रमण का मामला सामने आया है।
'डबल म्यूटेंट' को जानने से पहले यह समझ लीजिए कि वायरस क्या है। वायरस यानी ऐसी चीज जो न तो जीवित है और न ही मृत। जब यह किसी जीव के संपर्क में आता है तो सक्रिय हो जाता है। यानी बिना किसी जीव के संपर्क में आए यह एक मुर्दे के समान है और यह ख़ुद को नहीं बढ़ा सकता है।
जब वायरस किसी जीव में या यूँ कह लें कि इंसान के संपर्क में आता है तो यह सक्रिए हो जाता है। फिर यह ख़ुद की कॉपी यानी नकल कर संख्या बढ़ाना शुरू कर देता है। नकल करने की इस प्रक्रिया में वायरस हमेशा बिल्कुल पहले की तरह अपनी नकल नहीं कर पाता है और कई बार उस प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियाँ रह जाती हैं।
उन कुछ वायरसों में ऐसी गड़बड़ियाँ होने के आसार बहुत कम होते हैं जिनमें अंदुरुनी मेकनिज़्म मज़बूत होते हैं। लेकिन RNA वाले वायरस में ऐसा मेकनिज़्म नहीं होता है और इस कारण नये क़िस्म का वायरस बन जाता है। यानी वायरस ख़ुद को म्यूटेट कर लेता है जिसे म्यूटेंट कहा जाता है। इसका मतलब है कि पहले की अपनी विशेषता में बदलाव कर लेता है। कोरोना वायरस भी RNA वायरस है।
'डबल म्यूटेंट' का सीधा मतलब यह है कि इसमें दो म्यूटेंट हैं।
भारत में जो डबल म्यूटेंट मिला है वह दो अलग-अलग म्यूटेंट का गठजोड़ है। इसमें से एक म्यूटेंट का नाम ई484क्यू नाम दिया गया है और दूसरे का एल452आर नाम दिया गया है। इन दोनों म्यूटेंट जब अलग-अलग होते हैं तो इनकी पहचान ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाले के तौर पर की गई है और ये कुछ हद तक टीकाकरण या कोरोना ठीक होने से बनी एंटीबॉडी को मात भी दे देते हैं।
लेकिन इन दोनों के गठजोड़ से बने वायरस के बारे में अभी पता नहीं चला है कि यह कितनी तेज़ी से फैलता है और कितना घातक है। अभी इसकी पुष्टि की जानी बाक़ी है।
एक दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग ने कहा था कि देश में कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में 206 सैंपलों में से 15-20 फ़ीसदी में ये म्यूटेंट पाए गए।
हालाँकि देश में कई और क़िस्म के कोरोना संक्रमण पाए गए हैं। इसमें यूके स्ट्रेन, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन और ब्राज़ीलियन स्ट्रेन शामिल हैं। 18 राज्यों के कुछ 10,787 नमूनों में से 771 ज्ञात केसों के मामले सामने आए हैं। इसमें से 736 ब्रिटेन की क़िस्म वाले कोरोना संक्रमण के मामले, 34 दक्षिण अफ्रीकी और एक ब्राजील की क़िस्म का कोरोना संक्रमण का मामला पाया गया है।
सामान्य तौर पर माना जाता है कि जब म्यूटेशन होता है तो वह पहले से ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला होता है और वैक्सीन या कोरोना से बनी एंटीबॉटी को मात दे सकता है। इसका मतलब है कि यदि इस तरह का मामला हुआ तो पहले से संक्रमित व्यक्ति भी फिर से कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इस तरह इसका एक डर यह है कि हर्ड इम्युनिटी बेअसर साबित हो सकती है।