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तेजस्वी और परिवार पर छापे नीतीश बोले मैं क्या कह सकता हूं 

तेजस्वी और परिवार पर छापे नीतीश बोले "मैं क्या कह सकता हूं" 

2022 में अगस्त में गठबंधन में साथ आने के समय नीतीश और जेडीयू ने इस गठबंधन को काफी मजबूत कहा था जो अटूट है। नीतीश ने उस समय प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हम फिर से साथ आ रहे हैं तो सीबीआई ईडी जैसी जांच एजेंसियां फिर से आंएगी लेकिन इससे गठबंधन पर फर्क नहीं पड़ेगा। 

लालू प्रसाद और उनके परिवार के खिलाफ शुरु हुई जांच के बाद से गठबंधन के सदस्य और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी तक इस मसले पर शांत थे। राजनीतिक हलकों में उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा था। शनिवार को पत्रकारों नें उनसे इस मसले पर सवाल पूछा जवाब देते हुए “नीतीश कुमार ने कहा, 2017 में भी यही हुआ था। उसके पहले हम गठबंधन में साथ थे, सीबीआई के छापे के बाद हम अलग हो गये। उसके बाद 5 साल गुजरे, हम फिर से साथ आए, फिर से छापेमारी शुरु हो गई है, मैं इस मसले पर क्या कह सकता हूं”।  

बिहार की सियासत एक बार फिर से गरम है। कारण है, केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा 15 साल पुराने एक मामले लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की जांच। बीते दिनों सीबीआई ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देबी के घर लैंड फॉर जॉब के मामले में छापा मारा था। उसके बाद परिवार के कई और सदस्यों की अलग-अलग जगहों पर उनके घरों की जांच की जा रही है। शुक्रवार को जहां ईडी ने दिल्ली में तेजस्वी से पूछताछ की तो सीबीआई ने पटना में राबड़ी देवी से।

सीबीआई, तेजस्वी को एक बार पहले भी 4 मार्च को इसी मामले में समन जारी कर चुकी है लेकिन तब वे सीबीआई के समक्ष हाजिर नहीं हुए थे। तेजस्वी को सीबीआई का यह दूसरा नोटिस है।

नीतीश की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब उनके डिप्टी तेजस्वी यादव को सीबीआई ने लैंड फॉर जॉब के मामले में समन जारी किया है। नीतिश कुमार पत्रकारों से राजद के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन की एक पुनरावृत्ति का जिक्र कर रहे थे। जेडीयू और राजद का पिछला गठबंधन लालू यादव पर सीबीआई छापे के बाद टूट गया था। इस मामले में लालू प्रसाद पर आरोप है कि उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में रेल मंत्री रहते हुए निविदाओं में धांधली की थी।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सीबीआई की यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। क्योंकि, दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद विपक्षी नेताओं ने शरद पवार की पहल पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। विपक्षी नेताओं ने अपने पत्र में जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर ध्यान दिलाया गया था और उनकी चिंताओं का तुरंत संज्ञान लेने को कहा था।

तेजस्वी यादव उन नौ नेताओं में से एक जिन्होंने इस पत्र में दस्तखत किये थे। गठबंधन का पार्टनर होने के बाद भी नीतीश ने इससे दूरी बनाये रखी थी। उसके बाद से जेडीयू-राजद गंठबंधन में सबकुछ ठीक न होने के कयास लगाए जा रहे थे।

2022 में अगस्त में गठबंधन में साथ आने के समय नीतीश और जेडीयू ने इस गठबंधन को काफी मजबूत कहा था जो अटूट है। नीतीश ने उस समय प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हम फिर से साथ आ रहे हैं तो सीबीआई ईडी जैसी जांच एजेंसियां फिर से आंएगी लेकिन इससे गठबंधन पर फर्क नहीं पड़ेगा। दोबारा से गठबंधन में आने के बाद से सरकार ने जातिगत जनगणना और कुछ में नौकरियां देने की प्राथमिकता दी थी।

दोबारा गठबंधन के बाद से कयास यह भी लगाए जा रहे थे कि नातीश कुमार अब केंद्र की राजनीति करेंगे और बि्हार की कमान वे तेजस्वी को सौंप देंगे। इसके संकेत खुद नीतीश कुमार ने ही दिए थे। लेकिन "अब मैं क्या कह सकता हूं कहकर उन्होंने बिहार की सियासत को फिर से उलझा दिया है। 

नीतिश कुमार हाल तक कांग्रेस सहित विपक्षी एकता बनाने के प्रयास करते दिख रहे थे। उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन की कोशिशों में देरी न करने की अपील भी की थी, और कहा था लोग तैयार हैं और कांग्रेस आगे बढ़े। उन्होंने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा की भी तारीफ भी की थी।    

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