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बृजभूषण के वफादार की ही चली, संजय सिंह बने WFI के नये अध्यक्ष

बृजभूषण के वफादार की ही चली, संजय सिंह बने WFI के नये अध्यक्ष

बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के कारण चर्चा में रहे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में किसका पलड़ा भारी? जानिए, चुनाव की क्या स्थिति है।

बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय कुमार सिंह को गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ यानी डब्ल्यूएफआई का नया प्रमुख चुन लिया गया। उनको 47 में से 40 वोट मिले। अध्यक्ष पद के लिए मुक़ाबला संजय कुमार सिंह और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण के बीच था। बृजभूषण शरण सिंह को महासंघ में तो ताक़तवर और दबंग माना ही जाता है, राजनीति में भी इनकी चलती है। इन्हीं के क़रीबी और वफादार संजय कुमार सिंह अध्यक्ष पद के लिए एक उम्मीदवार थे। दूसरी तरफ़ राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण थीं।

चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा था कि उन्हें जीत मिलने का पूरा भरोसा है। आख़िर उन्हें यह भरोसा किस आधार पर था। आख़िर इस आत्मविश्वास के पीछे वजह क्या है?

संजय कुमार यौन उत्पीड़न के आरोपी निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के वफादार हैं। यह वही बृजभूषण शरण सिंह हैं जिनपर देश की शीर्ष महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के मामले में कार्रवाई करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। पुलिस से घसीटीं गईं। मेडल तक को गंगा में बहाने की नौबत आन पड़ी, लेकिन आखिर में उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए मना लिया गया। बड़ी मुश्किल से एफ़आईआर दर्ज हो पाई, लेकिन गिरफ़्तारी नहीं हो पाई। उनको उनकी पार्टी से निकाला तक नहीं गया। ऊपर से वह यह तक चेताते रहे कि 'किसमें हिम्मत है मेरा टिकट काटने की'।

महिला पहलवानों से यौन उत्पीड़न को लेकर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और महिला पहलवानों का पीछा करने का आरोप लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा है कि आरोपी बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ताजिकिस्तान में एक कार्यक्रम के दौरान बृजभूषण सिंह ने एक महिला पहलवान को जबरन गले लगाया और बाद में अपने कृत्य को यह कहकर सही ठहराया कि उन्होंने ऐसा एक पिता की तरह किया। 

महिला पहलवानों द्वारा दिल्ली में दर्ज कराई गई एफ़आईआर में ऐसी ही यौन उत्पीड़न की शिकायतें की गई हैं। एक पीड़ित पहलवान की शिकायत में कहा गया है कि जिस दिन महिला पहलवान ने एक प्रमुख चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, उन्होंने उसे अपने कमरे में बुलाया, उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध अपने बिस्तर पर बैठाया और उसकी सहमति के बिना उसे जबरदस्ती गले लगाया। इसमें कहा गया है कि इसके बाद भी वर्षों तक, वह यौन उत्पीड़न के निरंतर कृत्य और बार-बार गंदी हरकतें करते रहे।

दूसरी महिला पहलवानों ने भी यौन उत्पीड़न और दुराचार की कई घटनाओं में छेड़छाड़, ग़लत तरीक़े से छूने और शारीरिक संपर्क का आरोप लगाया है।

आरोप लगाया गया है कि इस तरह के यौन उत्पीड़न टूर्नामेंट के दौरान, वार्म-अप और यहाँ तक ​​कि नई दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में भी किया गया। उन्होंने कहा है कि साँस जाँचने के बहाने उनकी छाती और नाभि को ग़लत तरीक़े से पकड़ा गया था। 

एक समय पूरे देश को झकझोर देने वाले महिला पहलवानों के ऐसे आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण शरण सिंह को जैसे कुछ फर्क ही नहीं पड़ा! सितंबर महीने में उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर चेता दिया था कि उनका टिकट काटने की हिम्मत किसी में नहीं है। उन्होंने कहा था, 'कौन काट रहा है, उसका नाम बताओ। काटोगे आप? ...काटोगे? ....काट पाओ तो काट लेना।'

उससे पहले बृजभूषण ने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा तब भी की थी जब उनके ख़िलाफ़ महिला पहलवानों का प्रदर्शन चरम पर था और ऐसा लग रहा था कि बीजेपी उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए भारी दबाव में थी। लेकिन तब जून महीने में यूपी में बीजेपी की एक रैली में बृजभूषण ने बीजेपी के मंच से ही 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी रख दी थी। उन्होंने महिला पहलवानों पर तंज कसा था। बिल्कुल उस अंदाज में जैसे उन्हें महिला पहलवानों के इस स्तर के यौन उत्पीड़न के आरोप और विरोध-प्रदर्शन से कुछ फर्क ही नहीं पड़ा हो!

बृजभूषण शरण सिंह की राजनीतिक ताक़त का अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि वह छह बार के सांसद हैं। उनके बेटे प्रतीक भूषण गोंडा सदर से विधायक के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में हैं।

बृजभूषण सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में उत्तर प्रदेश में बाढ़ के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने प्रशासन पर खराब तैयारी करने, राहत के लिए पर्याप्त काम नहीं करने का आरोप लगाया और कहा था कि लोगों को "भगवान भरोसे" छोड़ दिया गया। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया था कि मौजूदा सरकार आलोचना बर्दाश्त नहीं करती और इसे व्यक्तिगत रूप से लेती है। 

इसी बृजभूषण शरण सिंह के वफादार संजय कुमार सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में थे। इस संदर्भ में संजय कुमार सिंह का चुनाव से पहले दिया बयान पढ़ें। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा था, 'मुझे डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बनने का पूरा भरोसा है क्योंकि मुझे निर्वाचक मंडल के 50 सदस्यों में से कम से कम 42 का समर्थन प्राप्त है। मेरा पैनल चुनाव जीतेगा।' जो लोग दिल में खेल के प्रति सर्वोत्तम रुचि रखते हैं वे मुझे वोट देंगे। पिछले साल जो हुआ (पहलवानों का विरोध) उससे खेल को नुकसान पहुंचा है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई और नुकसान न हो।' 

संजय कुमार सिंह का मुक़ाबला राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता पहलवान अनीता श्योराण से है, जिन्हें उन पहलवानों का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठी थीं। 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता उनके खिलाफ मामले में एक गवाह हैं। उन्हें ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक के साथ-साथ विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट का भी समर्थन प्राप्त है। ये बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख पहलवान हैं।

पिछले हफ्ते बजरंग और साक्षी ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की थी। रिपोर्टों के अनुसार कहा जा रहा है कि पहलवान चाहते थे कि संजय कुमार दौड़ से हट जाएं। हालाँकि, संजय कुमार ने कहा कि उनके हटने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि वह चुनाव में खड़े होने के योग्य हैं। 

 - Satya Hindi

इस सप्ताह की शुरुआत में इंडियन एक्सप्रेस से अनीता ने कहा था कि अगर संजय कुमार जीतते हैं तो बृजभूषण का डब्ल्यूएफआई के कामकाज में दखल रहेगा और महिला पहलवान सुरक्षित महसूस नहीं करेंगी। उन्होंने कहा था कि 'बृजभूषण के किसी भी करीबी को ये चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। यदि बृजभूषण के वफादार चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं, तो कुश्ती महासंघ में कोई सुधार नहीं होगा। बृजभूषण की WFI पर अब भी मजबूत पकड़ है। हर कोई जानता है कि मैं जिसके खिलाफ चुनाव लड़ रही हूं वह बृजभूषण का करीबी है। अगर महिला पहलवानों को सुरक्षित महसूस करना है, तो डब्ल्यूएफआई को उचित सफाई की ज़रूरत है। अगर चुनाव बदलाव नहीं लाते हैं तो इसका क्या मतलब है।'

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