विधानसभा चुनावों के दूसरे चरण के तहत पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 39 सीटों के मतदान के लिए प्रचार कार्य मंगलवार की शाम ख़त्म हो गया। इन सीटों पर मतदान गुरुवार को होगा। पश्चिम बंगाल में 19 महिलाओं समेत 171 उम्मीदवारों और असम में 26 महिलाओं समेत 345 उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य दाँव पर लगा हुआ है। लेकिन लोगों की सबसे ज़्यादा दिलचस्पी पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में है, जहाँ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक कठिन चुनौती से गुजर रही हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के दूसरे चरण के मतदान के लिए राज्य के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी ने सभी 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। चुनाव का तीसरे कोण संयुक्त मोर्चा है, जिसके सबसे बड़े दल सीपीआईएम ने 15 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। उसके साथ इस गठबंधन में कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट भी हैं। कांग्रेस के 9, सीपीआई के दो और आरएसपी व फ़ॉरवर्ड ब्लॉक के एक-एक उम्मीदवार मैदान में हैं।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने उनके पूर्व सहयोगी बीजेपी से शुभेंदु अधिकारी हैं। ममता बनर्जी ने अंतिम दिन व्हील चेयर पर बैठ कर पदयात्रा की अगुआई की, जिसमें बड़ी भीड़ उमड़ी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय लोगों ने शिरकत की।
इसके एक दिन पहले ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में एक आमसभा में शुभेंदु अधिकारी पर बहुत ही तीखा हमला बोला था।
ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी की उपेक्षा किए जाने के आरोप का जवाब देते हुए याद दिलाया कि शुभेंदु के पिता व भाई सांसद हैं, शुभेंदु खुद राज्य सरकार में मंत्री थे और उनका एक और भाई म्युनिसपैलिटी का चेअरमैन था।
उन्होंने कहा कि हल्दिया विकास प्राधिकरण, कांथी विकास प्राधिकरण के अलावा कई सहकारी बैंकों के प्रमुख इस परवार के लोग रहे। ऐसे में उपेक्षा की बात वे कैसे कह सकते हैं।
उन्हों मंच से बहुत ही तीखे स्वर में कहा कि वह बंगाल टाइगर हैं और घायल बंगाल टाइगर अधिक आक्रामक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनाव के बाद अधिकारी न घर के रहेंगे न घाट के, वे चुनाव भी हारेंगे और जिस पद पर थे, उससे तो खुद हट गए। ममता बनर्जी ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि बीजेपी चुनाव के ठीक पहले दंगा भी करवा सकती है, इसलिए लोग संभल कर रहे हैं और किसी तरह के उकसावे में न आएं
अमित शाह : बदलाव की बयार
मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने नंदीग्राम में रोड शो किया और उसके बाद दावा किया कि शुभेंदु अधिकारी बड़े अंतर से चुनाव जीतेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बदलाव की बयार बह रही है, लेकिन वह तभी संभव है जब ममता बनर्जी को नंदीग्राम में शिकस्त दी जाए।
दूसरे चरण में जिन इलाक़ों चुनाव हो रहे हैं, वे पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर, बाँकुड़ा, पुरुलिया और झाड़ग्राम ज़िलों में हैं। पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर वे ज़िले हैं जो तृणमूल कांग्रेस के गढ़ रहे हैं।
तृणमूल के बड़े नेता शुभेंदु अधिकारी पार्टी छोड़ बीजेपी में चले गए हैं। यह दिखना दिलचस्प होगा कि तृणमूल की पकड़ बरक़रार रहती है या उसका वोट आधार खिसक कर बीजेपी में चला जाता है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार यह इलाक़ा तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनौतियों भरा है।
असम
असम में एनडीए गठबंधन में बीजेपी के साथ असम गण परिषद और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट लिबरल भी हैं। दूसरी ओर कांग्रेस नेतृत्व वाले ग्रांड अलायंस यानी महाजोट में ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट, बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट और वामपंथी पार्टियाँ हैं।
असम जातीय पार्टी और राइज़ोर दल मिल कर तीसरा मोर्चा संभाले हुए हैं।
असम में बीजेपी ने 34, एजीपी ने 6, कांग्रेस ने 28, एआईयूडीएफ़ ने सात और बीपीएफ़ ने 6 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
असम के दूसरे चरण के मतदान में बराक घाटी में 15 सीटें हैं। साल 2016 के चुनाव में बीजेपी ने कछार से आठ और करीमगंज ज़िले से दो सीटें जीती थीं। पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर निर्णायक फ़ैसले करने की वजह से कांग्रेस इस चरण के मतदान में बढ़त हासिल कर सकती है।
जिन इलाक़ों में चुनाव हो रहे हैं, उनमें सीएए और एनआरसी प्रमुख मुद्दे थे। बीजेपी ने इन दोनों ही मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
कलिता रंगिया, हज़ारिका जागी रोड और वैद्य धोलाई से चुनाव मैदान में हैं।
कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके गौतम राय बीजेपी के टिकट पर काठीगोरा से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व उपाध्य दिलीप कुमार पाल सिलचर से निर्दलीय उम्मीदवार हैं।
राज्यसभा सदस्य विश्वजीत दयमारी पनेरी से तो पूर्व पवर्तीय विकास मंत्री सुम रोंगहांग डिफ़ू से मैदान में हैं।
दूसरे चरण का यह मतदान पश्चिम बंगाल और असम दोनों के लिए अहम है, दोनों ही जगहों पर सत्तारूढ़ दल को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वोटों की गिनती 2 मई को होगी।