तबाही मचाने वाले चक्रवाती तूफान पर पश्चिम बंगाल में हो रही है राजनीति
पहले कोरोना वायरस संक्रमण और अब चक्रवाती तूफान ‘अंपन’। महामारी और महाविनाश। पश्चिम बंगाल की राजनीति इस स्तर तक पहुँच चुकी है कि अब इन चीजों पर राजनीति की जा रही है और विरोधियों को शह-मात देने के खेल में इन्हें मोहरे की तरह चला जा रहा है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने सियासत की इस बिसात पर पहली चाल चल दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि तूफान से तबाही के बाद सेना को जब बुलाया गया, उससे तीन दिन पहले बुलाया जा सकता था।
निशाने पर ममता!
उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री ने उनसे (राज्यपाल से) संपर्क रखा होता तो सेना पहले पहुँच सकती थी और लोगों को पहले राहत मिल सकती थी। राज्यपाल ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘ममता से अपील करता हूँ कि राज्यपाल के संपर्क में बने रहें, यदि ऐसा हुआ होता तो सेना को तीन दिन पहले बुलाया जा सकता था।’I have directed all authorities to attend to RAJ BHAWAN in last ONLY AFTER NORMALCY IS RESTORED IN CITY
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) May 24, 2020
URGE @MamataOfficial :BE IN TOUCH WITH GUV-HAD THIS BEEN DONE ARMY WOULD HAVE BEEN CALLED 3 DAYS BACK
SHARE REAL LOSS @PMOIndia :INFLATING FIGURES IS COUNTER PRODUCTIVE(2/2)
राज्यपाल का यह ट्वीट ऐसे समय आया है, जब पश्चिम बंगाल में तूफ़ान की स्थिति सामान्य नहीं हुई है। लोग अपने घरों को लौट नहीं पाए हैं, सारे रास्ते साफ़ नहीं हुए हैं।
बढा-चढ़ा कर नुक़सान बताया?
जगदीप धनकड़ यहीं नहीं रुके। उन्होंने एक और ट्वीट कर दिया। इसमें उन्होंने सलाह दे डाली कि ‘तूफ़ान से हुए नुक़सान को बढ़ा चढ़ा कर न दिखाया जाए। इसका नतीजा उल्टा होगा।’
साधारण दिखने वाले इस ट्वीट का मतलब साफ़ है कि पश्चिम बंगाल सरकार नुक़सान को बढ़ा चढ़ा कर बता रही हैं, जितना नुक़सान हुआ है, उससे ज़्यादा का दावा कर रही हैं और केंद्र सरकार को इतनी रकम नहीं देनी चाहिए।
ममता बनर्जी ने तूफान आने के तुरन्त बाद कहा था कि राज्य को लगभग एक लाख करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ है। उन्होंने इसे कोरोना महामारी से भी अधिक ख़तरनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि एक करोड़ लोग बेघर हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से ख़ुद राज्य का मुआयना करने की अपील की थी।
आर्थिक मदद पर राजनीति!
ख़ैर, प्रधानमंत्री ने राज्य का दौरा किया, संवेदना जताई, ममता बनर्जी की तारीफ़ की और राज्य को 1,000 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद देने का एलान भी कर दिया।लेकिन यह मदद कब और कैसे दी जाएगी, इस पर अभी काम होना बाकी है। इसके लिए केंद्र सरकार एक टीम भेजेगी जो राज्य के तूफान प्रभावित इलाक़ों का दौरा करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी। उस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार मदद देगी।
उस टीम के आने के पहले ही राज्यपाल ने यह संकेत दे दिया है कि जितने नुक़सान का दावा किया जा रहा है, उतना नहीं हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर राज्यपाल का जम कर समर्थन किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा, ‘राज्यपाल ने पूरे राज्य की जनता की आशंकाओं को प्रकट किया है। लोग प्रशासन के भ्रष्टाचार से सशंकित हैं। राज्य सरकार सिर्फ पैसे की बात कर रही है। वह पैसे की बात क्यों कर रही है? उसके कुछ दावों की जाँच की ज़रूरत है।’
साफ़ है, राज्यपाल और बीजेपी दोनों एक दूसरे की बात ही कह रहे हैं, भाषा और कहने का तरीका अलग-अलग है।
तृणमूल का पलटवार!
राज्य बीजेपी और बीजेपी-प्रशासित केंद्र की ओर से भेजे गए राज्यपाल के इन हमलों से राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस तिलमिलाई हुई है। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि राज्य की जनसंख्या लगभग 10 करोड़ है और तूफान से लगभग 6 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने इससे भी तीखा हमला। उन्होंने कहा,
“
‘यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल संकट की इस घड़ी में इतना नीचे स्तर तक उतर आए हैं। वे स्वयं प्रधानमंत्री के साथ नुक़सान का जायज़ा लेने गए थे। इसके बाद भी यदि उन्हें लगता है कि ज़्यादा नुक़सान नही हुआ है तो मुझे कुछ नहीं कहना है।’
काकोली घोष दस्तीदार, सांसद, तृणूल कांग्रेस
मुख्यमंत्री-राज्यपाल ज़ुबानी जंग
जगदीप धनकड़ और ममता बनर्जी के बीच इसके पहले भी मुक़ाबला हो चुका है और कटुता बढ़ चुकी है। कोरोना संकट को केंद्र में रख कर चली ज़ुबानी जंग में कटुता इतनी बढ़ गई कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से लेकर भ्रष्टाचार तक के आरोप जड़ दिए थे।पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बार भी कटुता बढ़ेगी क्योंकि राज्यपाल केंद्र के अजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं, ऐसा आरोप उन पर कई बार लग चुका है। इस बार तो रुपये पैसे का मामला है, ज़ाहिर है, आरोप-प्रत्यारोप भी ज़्यादा तीखे और घातक होंगे।