देशभर में आज डॉक्टर हड़ताल पर, मरीजों को हो रही परेशानी
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की पिटाई के बाद शुरू हुई हड़ताल बढ़ती ही जा रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के आह्वान पर सोमवार को देश भर के लगभग 5 लाख डॉक्टर हड़ताल पर हैं। हड़ताल में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) से जुड़े 18,000 डॉक्टरों के साथ-साथ एम्स के डॉक्टर भी शामिल हो गए हैं।
Delhi: Resident Doctors' Association of All India Institute of Medical Sciences (#AIIMS) holds protest march against violence against doctors in West Bengal. pic.twitter.com/A2TyjiM8PO
— ANI (@ANI) June 17, 2019
हड़ताल के कारण दिल्ली के एम्स, सफ़दरजंग, राम मनोहर लोहिया और अन्य राज्यों के अस्पतालों में भी मरीजों को ख़ासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण पश्चिम बंगाल के अलावा देश के कई अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य सुविधाएँ बुरी तरह चरमरा गई हैं। डॉक्टरों की पिटाई के विरोध में बंगाल में 700 डॉक्टरों के इस्तीफ़ा देने के कारण हालात बेहद ख़राब हो गए हैं। गुजरात, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों से डॉक्टरों के प्रदर्शन करने और हड़ताल पर जाने की ख़बर है।
Gujarat: Indian Medical Association today has called for a nationwide strike of doctors in the wake of violence against doctors in West Bengal; Doctors at Sir Sayajirao General Hospital in Vadodara hold protest outside Out Patient Department pic.twitter.com/Ya6NS3CE3x
— ANI (@ANI) June 17, 2019
उधर, पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टर्स अब मीडिया की मौजूदगी के बिना ममता बनर्जी से मुलाक़ात करेंगे और यह मुलाक़ात सचिवालय में 3 बजे होगी। बताया जा रहा है कि डॉक्टर्स का कहना है कि मुख्यमंत्री के साथ मुलाक़ात की पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड किया जाए।
डॉक्टरों की माँग है कि मेडिकल के पेशे से जुड़े लोगों के साथ होने वाली हिंसा से निपटने के लिए केंद्रीय स्तर पर क़ानून बनाया जाए और उनकी सुरक्षा की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए।
बता दें कि शनिवार को ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की थी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था, सरकार ने डॉक्टरों की सभी माँगें मान ली हैं और अगर कोई माँग रह गई है तो उस पर विचार किया जाएगा। ममता ने यह भी कहा था कि अगर डॉक्टर उनके साथ बात नहीं करना चाहते हैं तो राज्यपाल या मुख्य सचिव से बात कर सकते हैं। सरकार इस मसले का शांतिपूर्ण समाधान चाहती है। इसके बाद शनिवार रात को हड़ताली डॉक्टरों ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार हड़ताली डॉक्टरों के ख़िलाफ़ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करेगी। ममता ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को पाँच घंटे और शनिवार को तीन घंटे तक जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के आने का इंतजार किया। लेकिन वे लोग नहीं आए। ममता ने कहा था कि सरकार ने पाँच दिन की हड़ताल के बावजूद एस्मा (एसेंशल सर्विसेज मेंटिनेंस एक्ट) नहीं लगाया है।
एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर हमला कर दिया था। इस हमले में दो डॉक्टर घायल हो गए थे, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। इस हमले के विरोध में डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी थी।
जूनियर डॉक्टरों पर हमले के विरोध में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने पूरी दिल्ली में मेडिकल बंद का ऐलान किया था। शनिवार को दिल्ली, एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स काम पर वापस आ गए थे लेकिन उन्होंने सांकेतिक विरोध जारी रखा था। डॉक्टरों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर हालत और ज़्यादा ख़राब होते हैं तो वे लोग 17 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएँगे।
डॉक्टरों ने दिए थे इस्तीफ़े
बता दें कि ममता बनर्जी की चेतावनी से ग़ुस्साए एनआरएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने तुरंत इस्तीफ़ा दे दिया था। कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागर दत्त हॉस्पिटल के भी 21 सीनियर डॉक्टरों ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद शुक्रवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 107 डॉक्टरों ने इस्तीफ़ा देने का एलान कर दिया था। यह विरोध और तेज़ हो गया था और मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल से 100, एसएसकेएम से 175, चितरंजन नेशनल मेडिकल कॉलेज से 16 और एनआरएस मेडिकल कॉलेज से 100 और स्कूल ऑफ़ ट्रॉपिकल मेडिसन से 33 डॉक्टरों ने इस्तीफ़ा दे दिया था। इस्तीफ़ा देने वालों में कई विभागों के प्रमुख और सीनियर डॉक्टर भी शामिल थे।डॉक्टरों की हड़ताल को बढ़ते देख शुक्रवार की शाम को ही तृणमूल के नेता अपनी अकड़ से पीछे हटने लगे थे। बंगाल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी और पार्टी ने नेता फिरहाद हाकिम ने डॉक्टरों के समर्थन में बयान देते हुए उनके ख़िलाफ़ हुई हिंसा की निंदा की थी और उन्होंने डॉक्टरों से कहा था कि वे काम पर वापस लौट जाएँ।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दायर एक याचिका में देशभर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की माँग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि प्रदर्शनों के कारण, देश में स्वास्थ्य सेवाएँ बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं और डॉक्टरों की अनुपस्थिति से कई लोगों की मौत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा।