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बंगाल विधानसभा में सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित, चुनाव की तैयारी में ममता?

बंगाल विधानसभा में सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित, चुनाव की तैयारी में ममता?

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित कर दिया है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित कर दिया है। केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद यह चौथा राज्य है जिसने इस तरह का प्रस्ताव पारित किया है।

राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने प्रस्ताव सदन में रखते हुए कहा कि इस प्रस्ताव में साफ़ तौर पर कहा गया है कि नागरिकता संशोधन क़ानून संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है। इसके साथ ही इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि नेशनल सिटीजेन्स रजिस्टर लागू नहीं किया जाए और नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर को अपडेट नहीं किया जाए। 

इस प्रस्ताव के साथ खूबी यह है कि प्रस्ताव पेश करने वाले तृणमूल कांग्रेस के पास बहुमत है। तृणमूल नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों कांग्रेस और भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, सीपीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी से भी इसे समर्थन देने का आग्रह किया था। वहाँ विपक्ष का एक और दल है सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ़ इंडिया, जो अल्ट्रा लेफ़्ट है।

राज्य विधानसभा में बीजेपी के पास सिर्फ़ 3 सीटें हैं। ऐसे में इस प्रस्ताव के पारित होने पर कभी किसी को कोई संशय नहीं था। इसका पारित होना सिर्फ़ औपचारिकता भर थी। 

'क़ानून वापस ले केंद्र'

ममता बनर्जी ने प्रस्ताव पर विधानसभा में अपनी बात रखते हुए कहा, एनपीआर, एनआरसी और सीएए आपस में जुड़े हुए हैं और नया नागरिकता कानून जन-विरोधी है। उन्होंने माँग की कि क़ानून को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। ममता बनर्जी ने कहा : 

नागरिकता संशोधन क़ानून जन विरोधी है, संविधान विरोधी है। हम चाहते हैं कि इस क़ानून को तत्काल वापस लिया जाए।


ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

ममता की मुहिम

ममता बनर्जी ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ एक बहुत बड़ा अभियान पहले से ही चला रखा है। वह लगभग हर रोज़ कहीं न कहीं सभा करती हैं या पद यात्रा निकालती हैं।

ममता लगातार बीजेपी, नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर हमले कर रही हैं। उनका विरोध नागरिकता क़ानून तक सीमित नहीं है। वह इसके आगे इसी मुहिम में एनसीआर और एनपीआर का भी विरोध कर रही हैं।

ममता की रणनीति

वह इतना आगे बढ़ चुकी हैं कि उन्होंने कह दिया है, ‘एनसीआर मेरी लाश पर ही लागू होगा।’  ममता की इस मुहिम के पीछे सोच यह है कि बीजेपी पर लगातार दबाव बनाए रखा जाए और उसे किसी सूरत में कोई छूट न दी जाए। 

ममता के पूरे अभियान के पीछे रणनीति यह है कि वह अपने साथ मुसलमानों के अलावा प्रगतिशील, शहरी, पढ़े-लिखे और प्रबुद्ध तबके को जोड़ कर रखें।

ममता की कोशिश है कि एक ऐसा वातावरण बनाया जाए जिससे तृणमूल कांग्रेस की छवि धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील पार्टी की बनी रहे। इससे होगा यह कि वह बीजेपी को ज़ोरदार टक्कर देने की स्थिति में रहेंगी। अपने काडर को जोड़े रख सकेंगी, और किसी रूप में बीजेपी को उनके जनाधार में तोड़फोड़ करने का मौका नहीं देंगी। 

'हिम्मत है तो बर्खास्त करो मेरी सरकार'

ममता बनर्जी ने इसे केंद्र बनाम राज्य बनाने की भी कोशिश की है। उन्होंने बार-बार केंद्र सरकार को चुनौती दी है कि बंगाल सरकार एनपीआर किसी कीमत पर लागू नहीं करेगी, मोदी को हिम्मत है तो पश्चिम बंगाल सरकार को बर्खास्त कर दें। 

टीएमसी प्रमुख ने कहा, 'हमारी सरकार में दिल्ली में एनपीआर की बैठक में शामिल नहीं होने का साहस है और अगर बीजेपी चाहे तो मेरी सरकार को बर्खास्त कर सकती है।'

महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार भी जल्द ही विधानसभा में सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है। कांग्रेस प्रवक्ता राजू वाघमारे ने कहा कि गठबंधन के वरिष्ठ नेता जल्द ही इस मुद्दे पर बैठक आयोजित कर निर्णय लेंगे।

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