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जज पर टिप्पणी के लिए अभिषेक बनर्जी पर राज्यपाल करेंगे कार्रवाई?

जज पर टिप्पणी के लिए अभिषेक बनर्जी पर राज्यपाल करेंगे कार्रवाई?

पश्चिम बंगाल में क्या ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच में फिर से टकराव तेज होगा? राज्यपाल ने आख़िर क्यों टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी पर कार्रवाई का आदेश दिया है?

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है। अभिषेक बनर्जी ने अदालत द्वारा सीबीआई जांच को लेकर दिए गए फ़ैसले पर टिप्पणी की थी और इसी को लेकर राज्यपाल ने मुख्य सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। 

ट्विटर पर बयान जारी करते हुए धनखड़ ने कहा है, 'मुख्य सचिव को सभी अपेक्षित कार्रवाई शुरू करनी है और 6 जून 2022 तक इससे अवगत कराना है कि डायमंड हार्बर एमपी द्वारा न्यायपालिका को सार्वजनिक तौर पर निशाना बनाने को (कुख्यात एसएससी घोटाले सहित दूसरे मामलों को सीबीआई को जांच सौंपने वाली न्यायपालिका पर) न तो अनदेखा किया जा सकता है और न ही समर्थन दिया जा सकता है।'

राज्यपाल धनखड़ ने आगे कहा है कि सितंबर 2021 में डायमंड हार्बर के सांसद और अन्य द्वारा नंदीग्राम चुनाव याचिका के मामले में एक न्यायाधीश को निशाना बनाया गया था। 

राज्यपाल का यह बयान तब आया है जब अभिषेक बनर्जी ने दो दिन पहले पूर्व मेदिनीपुर जिले के हल्दिया में एक रैली को संबोधित करते हुए न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि अदालतों में बैठे कुछ जज हर बात पर सीबीआई जाँच का आदेश दे देते हैं। 

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायपालिका का एक छोटा सा हिस्सा मिनियन के समान हो गया है और हर मामले में सीबीआई जांच का आदेश दे रहा है।

उन्होंने कहा था, 'मुझे यह कहते हुए शर्म आती है कि न्यायपालिका का एक बहुत छोटा हिस्सा मिनियन बन गया है। एक या दो लोग ऐसे काम कर रहे हैं। सभी नहीं, केवल एक प्रतिशत। वे हर मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे रहे हैं। वे हत्या की चल रही जाँच पर भी रोक लगाने का आदेश दे रहे हैं। क्या आपने कभी इस बारे में सुना है? आप हत्या की जांच पर रोक लगाने का आदेश नहीं दे सकते।'

अभिषेक बनर्जी ने यह साफ़ नहीं किया कि उन्होंने यह आरोप क्यों लगाया कि न्यायपालिका का एक हिस्सा इस तरह काम कर रहा था। लेकिन उनके इस बयान से समझा जा सकता है कि वह उन मामलों की तरफ़ इशारा कर रहे थे जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेशों के तहत सीबीआई द्वारा 272 मामलों की जांच की जा रही है। इनमें से अधिकांश मामलों में राजनीतिक हिंसा शामिल है। ये हिंसा टीएमसी के 2021 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने के बाद हुई हैं।

बता दें कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच लगातार टकराव होते रहे हैं। अभी हाल में एक और मुद्दा ऐसा आया है जिस पर टकराव होना लगभग तय है। ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल को नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री को बनाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश करने का फ़ैसला किया है। राज्य के मंत्रिमंडल ने इस पर अपनी सहमति दे दी है। 

अब यदि यह विधेयक पास हो जाता है और क़ानून बन जाता है तो बंगाल में स्टेट यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति ममता बनर्जी हो जाएँगी। राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच विवाद चलता रहा है। विश्वविद्यालयों से इतर भी अन्य मुद्दों पर सीएम और राज्यपाल के बीच तलवारें तनती रही रही हैं।

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