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अनूठी पहल, यूपी विधानसभा में मिलेगा सिर्फ़ आधा गिलास पानी

अनूठी पहल, यूपी विधानसभा में मिलेगा सिर्फ़ आधा गिलास पानी

विधानसभा स्पीकर ह्दय नारायण दीक्षित ने विधानसभा सचिवालय के स्टाफ़ को आदेश जारी किया है कि शुरुआत में सभी को सिर्फ़ आधा गिलास पानी दिया जाए।

पानी बचाने को लेकर उत्तर प्रदेश की विधानसभा भी अब एक्शन में आ गई है। विधानसभा स्पीकर की ओर से एक ऐसा आदेश जारी किया गया है जिसकी काफ़ी चर्चा हो रही है। विधानसभा स्पीकर ह्दय नारायण दीक्षित ने विधानसभा सचिवालय के स्टाफ़ को आदेश जारी किया है कि विधानसभा परिसर और सचिवालय के सभी अनुभागों में शुरुआत में सभी लोगों को सिर्फ़ आधा गिलास पानी दिया जाए। आदेश में कहा गया है कि ऐसा कई बार देखा गया है कि पूरे गिलास पानी का इस्तेमाल नहीं होता है। अगर फिर से ज़रूरत होती है तो और पानी दिया जा सकता है। कहा गया है कि ऐसा करने से पानी की बचत की जा सकती है। विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे की ओर से इसका आदेश जारी किया गया है।

नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2020 तक देश के 21 प्रमुख शहरों में ज़मीन के नीचे का पानी ख़त्म हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक़, अभी भी शहरों में करोड़ों लोगों को ज़रूरत के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है और पूरे देश के कई हिस्सों में ऐसी स्थिति है। रिपोर्ट में बताया गया है कि क़रीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं। क़रीब दो लाख लोग साफ़ पानी न मिलने के कारण हर साल जान गँवा देते हैं। 

संकट में हैं देश के बड़े शहर

भारत की आबादी बहुत तेज़ी से बढ़ रही है और शहर भी तेज़ी से फैलते जा रहे हैं। हालात यह हैं कि महानगर अब अतिरिक्त आबादी के भार को झेलने के लिए तैयार नहीं हैं। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जिन शहरों में जल स्तर ख़त्म होने की ओर इशारा किया है उनमें - नई दिल्ली, गुरुग्राम, अमृतसर, जालंधर, पटियाला, मोहाली, लुधियाना, यमुना नगर, गाज़ियाबाद, आगरा, जयपुर, रतलाम, इंदौर, गाँधीनगर, अजमेर, जोधपुर, बिकानेर, हैदराबाद, वेल्लोर, बेंगलुरु और चेन्नई शामिल हैं। 

आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जल संकट आगे और गंभीर होने जा रहा है और 2030 तक देश में पानी की माँग दोगुनी हो जाएगी।

केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई ताज़ा लिस्ट में देश के लगभग 17% शहर और कस्बे ऐसे हैं, जो गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। जल संकट से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाला राज्य तमिलनाडु है और उसके बाद राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाक़े शामिल हैं। सरकार ने कहा है कि देश भर के 4,378 इलाकों में से 756 इलाक़े ऐसे हैं, जहाँ पानी की उपलब्धता को लेकर स्थिति ठीक नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास के इलाक़े जैसे ग़ाज़ियाबाद, नोएडा और फ़रीदाबाद में भी इसी तरह के हालात हैं। 

बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लोगों से जल संरक्षण की अपील की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि पानी की कमी से देश के कई हिस्से सालभर प्रभावित रहते हैं और बारिश से जो पानी हमें मिलता है, अभी उसका सिर्फ़ 8 प्रतिशत ही हम बचा पाते हैं। लेकिन हमें पानी की एक-एक बूँद बचाने के लिए आगे आना चाहिए। 

इस हिसाब से उत्तर प्रदेश की विधानसभा में स्पीकर की ओर से जारी किए गए आदेश की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि नीति आयोग की रिपोर्ट पानी को लेकर भविष्य की ख़तरनाक स्थितियों की ओर इशारा करती है। सभी को पानी मिले, इसके लिए हमें भी जितना हो सके, प्रयास करने चाहिए। हम कर यह सकते हैं कि उतना ही पानी इस्तेमाल करें, जितने की हमें ज़रूरत हो, इसे व्यर्थ न जाने दें क्योंकि अगर व्यर्थ गया जल तो तरसेंगे कल। 

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