क्या राहुल सरकारी दौरे पर थे जो सरकार से पूछकर जाते, कांग्रेस का करारा जवाब
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लंदन यात्रा केंद्र सरकार को पच नहीं रही है। बुधवार को सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर चलाई गई कि राहुल ने विदेश जाने की अनुमति नहीं ली थी। इस पर कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या राहुल गांधी लंदन किसी सरकारी दौरे पर गए थे या उसका हिस्सा थे। सरकार इसके बाद चुप हो गई और कोई ठोस जवाब नहीं आया। अलबत्ता राहुल को देशद्रोही ठहराते हुए कहा जा रहा है कि लंदन में उन्होंने भारत विरोधी बातें कहीं। बहरहाल, राहुल ने अपना कोई बयान वापस नहीं लिया है और न ही खंडन किया है।
इससे पहले मंगलवार को भी बीजेपी ने विवादास्पद ब्रिटिश सांसद जेरेमी कॉर्बिन के साथ राहुल गांधी की फोटो शेयर कर विवाद खड़ा करने की कोशिश की थी। लेकिन जवाब में कांग्रेस ने उसी सांसद के साथ पीएम मोदी की फोटो शेयर कर दी। इसके बाद बीजेपी ने इस विवाद को दफन कर दिया। राहुल का कैंब्रिज दौरा कई दिन बाद भी लगातार सुर्खियां बटोर रहा है।
सरकारी सूत्रों के जरिए बुधवार को तमाम मीडिया चैनलों ने खबर चलाई कि राहुल गांधी ने लंदन के लिए उड़ान भरने से पहले सरकार से "राजनीतिक मंजूरी" नहीं ली, जो सभी सांसदों को करने की जरूरत है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि सभी सांसदों को किसी भी विदेश यात्रा से तीन सप्ताह पहले विदेश मंत्रालय को सूचित करना होगा और राजनीतिक मंजूरी लेनी होगी। सूत्रों ने कहा कि बाहर जाने वाले सांसदों को विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर सारी जानकारी पोस्ट करने की जरूरत होती है।
कांग्रेस सांसद ने ऐसा नहीं किया। सरकारी सूत्रों ने कहा कि विदेशी सरकारों या संस्थानों के सांसदों को विदेश मंत्रालय के माध्यम से आमंत्रित करने की जरूरत है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, अगर निमंत्रण सीधे आता है, तो विदेश मंत्रालय से राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता होती है। सभी सांसदों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वे विदेश यात्रा से पहले ऐसा करें।
सांसदों के बीच प्रसारित प्रोटोकॉल में कहा गया है कि सदस्यों को तीन सप्ताह पहले विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर राजनीतिक मंजूरी के लिए आवेदन करना होगा। किसी भी विदेशी स्रोत, किसी भी देश की सरकार या किसी विदेशी संस्था से सभी निमंत्रण विदेश मंत्रालय के माध्यम से भेजे जाने की उम्मीद है। हालांकि, अगर ऐसा निमंत्रण सीधे प्राप्त होता है, तो सदस्यों को इसे नोटिस में लाने की आवश्यकता होती है। विदेश मंत्रालय से और उस मंत्रालय की आवश्यक राजनीतिक मंजूरी भी इस उद्देश्य के लिए प्राप्त की जानी चाहिए। ऐसा नियमों में कहा गया है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्रालय से समय पर राजनीतिक मंजूरी लेने से वे सदस्य को आमंत्रण देने वाली विदेशी संस्था के कद, उस मंच की पूरी जानकारी देते हुए अपनी सिफारिश करते हैं कि उस सांसद को वहां जाना चाहिए या नहीं। इसमें निजी दौरे भी आते हैं।
कांग्रेस ने सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों पर निशाना साधते हुए कहा कि सांसदों को ऐसी किसी राजनीतिक मंजूरी की जरूरत नहीं है और इसके लिए विभिन्न टीवी चैनलों को भेजे गए पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के व्हाट्सएप सुझावों को जिम्मेदार ठहराया।
Dear @AMISHDEVGAN ji,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 25, 2022
M.P’s don’t need political clearance from PM or Govt, unless they are part of Official Delegation.
Pl don’t blindly follow the PMO what’sapp suggestions sent to TV channels.
We expect better due diligence from you and @CNNnews18 . https://t.co/UqndzGKYfL
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर लिखा, सांसदों को पीएम या सरकार से राजनीतिक मंजूरी की जरूरत नहीं है, जब तक कि वे एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं हैं। कृपया टीवी चैनलों को भेजे गए पीएमओ के व्हाट्सएप सुझावों का आंख मूंदकर पालन न करें।
कैम्ब्रिज में एक कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना करने वाली अपनी टिप्पणी के कारण राहुल गांधी की यूके यात्रा चर्चा में है। कांग्रेस नेता ने सोमवार को कहा कि पीएम मोदी भारत का एक ऐसा विजन बना रहे हैं जो सभी को साथ लेकर चलने वाला नहीं है और देश की आबादी के बड़े हिस्से को बाहर करता है।
राहुल ने कहा कि आरएसएस और प्रधानमंत्री के साथ मेरी समस्या यह है कि वे भारत के मूलभूत ढांचे के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जब आप ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं, जब आप 20 करोड़ लोगों को अलग-थलग करते हैं और उनके खिलाफ सारे फैसले लेते हैं, तो आप कुछ बेहद खतरनाक कर रहे हैं और आपका कुछ ऐसा करना जो मौलिक रूप से भारत के विचार के खिलाफ हो, मैं उसे नामंजूर करता हूं।... मुझे यकीन है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छी चीजें की हैं, लेकिन भारत के विचार पर हमला करना अस्वीकार्य है।
बीजेपी ने राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपनी "नफरत" में भारत को नुकसान पहुंचाने और विदेशी धरती से अपनी आलोचनात्मक टिप्पणियों से देश को धोखा देने का आरोप लगाया है।