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चुनाव प्रचार में आगे रहे जगन क्या मात दे पाएँगे चन्द्रबाबू को?

चुनाव प्रचार में आगे रहे जगन क्या मात दे पाएँगे चन्द्रबाबू को?

आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों के साथ 25 लोकसभा सीटों के लिए भी मतदान हुआ। मतदान के दौरान भी राजनीति हुई। चन्द्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी के बीच सीधा मुक़ाबला रहा।

आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गयी है। सभी 175 विधानसभा सीटों के लिए गुरुवार को मतदान हुआ। कुछ जगह हिंसक वारदातें हुईं। इन वारदातों की वजह से दो लोगों की जान गयी और कई ज़ख्मी हुए। इन वारदातों को छोड़कर ज़्यादातर जगह मतदान शांतिपूर्ण रहा। अब कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार जगन रेड्डी की पार्टी हर मामले में चन्द्रबाबू की पार्टी से आगे थी। तो सवाल है कि क्या चुनावी नतीजों में भी वे आगे रहेंगे 

आंध्र की 175 विधानसभा सीटों के साथ 25 लोकसभा सीटों के लिए भी मतदान हुआ। मतदान के दौरान भी राजनीति हुई। तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रबाबू नायडू ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाये। एक बयान में नायडू ने कहा कि कई जगह साईकल पर बटन दबाने पर सीलिंग फैन को वोट पड़ा है। साईकल चन्द्रबाबू की पार्टी तेलुगु देशम का चुनाव चिह्न है जबकि सीलिंग फैन जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न। मतदान के बाद वाईएसआर कांग्रेस के नेता जीत के प्रति काफ़ी आश्वस्त दिखे, जबकि तेलुगु देशम के नेताओं के दावों में जोश की कमी दिखी।

इस बार तेलुगु देशम और वाईएसआर कांग्रेस के बीच सीधा मुक़ाबला था। पिछली बार चन्द्रबाबू की तेलुगु देशम के साथ बीजेपी थी और पवन कल्याण भी साथ थे। लेकिन विशेष राज्य का दर्जा न दिये जाने से नाराज़ होकर चंद्रबाबू एनडीए से बाहर आ गये थे।

चन्द्रबाबू ने आरोप लगाया था कि जगन मोहन रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साठगाँठ और तीनों आंध्र प्रदेश के विकास में बाधक बन रहे हैं। वहीं जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री के रूप में चन्द्रबाबू की नाकामियों और भ्रष्टाचार के आरोपों को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया। जगन रेड्डी का आरोप है कि चन्द्रबाबू की कमज़ोरी की वजह से आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल पाया। पोलावरम सिंचाई परियोजना पूरी नहीं हो पायी। अमरावती में नयी राजधानी का निर्माण नहीं हो पाया। जगन की पार्टी ने चन्द्रबाबू पर परिवारवाद की राजनीति करने और सिर्फ़ अपनी जाति के लोगों को फ़ायदा पहुँचाने का आरोप भी लगाया। उधर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने भी जगन रेड्डी को अपना समर्थन देने का खुलेआम एलान किया था। मोदी ने भी चन्द्रबाबू पर ही राजनीतिक हमले बोले थे।

हर मामले जगन क्यों थे आगे

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार जगन रेड्डी की पार्टी हर मामले में चन्द्रबाबू की पार्टी से आगे थी। चाहे सोशल मीडिया के ज़रिये प्रचार हो या चुनावी घोषणाओं के ज़रिये मतदाताओं को आकर्षित करना हो। चन्द्रबाबू की तुलना में जगन जनसभाओं में ज़्यादा भीड़ जुटाने में भी कामयाब रहे। इतना ही नहीं, जगन ने चुनाव से पहले एक लंबी पदयात्रा की। इस यात्रा के तहत जगन 3000 से ज़्यादा किलोमीटर पैदल चले और सभी 13  ज़िलों को कवर किया। जानकारों का कहना है कि इस पदयात्रा के ज़रिए जगन लोगों से सीधे संपर्क स्थापित करने और उनका विश्वास जीतने में कामयाब रहे।

पहली बार चंद्रबाबू के बेटे भी मैदान में

हर बार की तरह ही चन्द्रबाबू ने इस बार भी कुप्पम से चुनाव लड़ा है। पहली बार उनके एकलौते बेटे लोकेश ने चुनावी मैदान में क़दम रखा और मंगलगिरी से अपनी किस्मत आजमायी। चन्द्रबाबू के समधी और एनटीआर के बेटे नंदमुरि बालकृष्णा ने हिंदुपुर से चुनाव लड़ा। जगन रेड्डी पारंपरिक सीट पुलिवेंदुला से चुनाव मैदान में थे। फ़िल्मस्टार पवन कल्याण ने दो सीटों - भीमवरम और गाजुवाका से किस्मत आजमायी है।

बहरहाल, 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों के चुनाव के नतीजों के लिए 23 मई तक इंतज़ार करना होगा। 

उधर, तेलंगाना की सभी 17 लोकसभा सीटों के लिए भी गुरुवार को ही मतदान हुआ। मतदान की सारी प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही। यहाँ मुक़ाबला टीआरएस और कांग्रेस के बीच है। लेकिन मतदान के बाद टीआरएस के नेता ही ज़्यादा उत्साहित दिखे।

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