+
वोटर डेटा चोरी का मामला गहराया, बेंगलुरू में कई अरेस्ट

वोटर डेटा चोरी का मामला गहराया, बेंगलुरू में कई अरेस्ट

बेंगलुरु में वोटर डेटा चोरी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पुलिस ने एक एनजीओ के कई डायरेक्टर और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है। कांग्रेस ने इस मामले को उठाया था। आरोप है कि सरकारी अधिकारी (बीएलओ) बनकर एनजीओ के कर्मचारियों ने हजारों वोटरों से उनका व्यक्तिगत डेटा हासिल कर लिया। इस मामले में अभी भी लीपापोती जारी है। पढ़िए क्या है मामलाः

बेंगलुरु वोटर डेटा चोरी में पुलिस ने रविवार को मुख्य सॉफ्टवेयर डेवलपर को हिरासत में ले लिया। चिलूम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट के डायरेक्टरों समेत तीन को शनिवार रात हिरासत में लिया गया है। कांग्रेस ने वोटर डेटा चोरी का आरोप लगाते हुए पुलिस कमिश्नर से शिकायत की थी। चुनाव आयोग से भी इसकी शिकायत की गई थी। इस सारे मामले में लीपापोती जारी ही थी कि पुलिस ने गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। बेंगलुरु में कथित तौर पर मतदाताओं का डेटा चोरी करने का यह मामला बड़ा होता जा रहा है।

क्या है मामला

आरोप है कि एनजीओ चिलूम ने बेंगलुरु में हजारों मतदाताओं से व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने के लिए अपने फील्ड एजेंटों को सरकारी अधिकारियों के रूप में पेश किया। उन्हें बीएलओ कार्ड दिए गए थे। डेटा चोरी को एक सरकारी आदेश द्वारा वैध बनाया गया था। जिसके तहत एनजीओ को मतदाता अधिकारों और मतदाता सूची के संशोधन के बारे में "जागरूकता पैदा करने" की अनुमति दी गई थी। लेकिन उसने मतदाताओं का व्यक्तिगत और प्राइवेट डेटा हासिल कर लिया।  

एनजीओ घर-घर जाकर कथित तौर पर व्यक्तिगत विवरण - जाति, शिक्षा, मातृभाषा, आधार और अन्य विवरण एकत्र करती थी। एनजीओ ने अपने कर्मचारियों को बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के रूप में भेजा था। जबकि बीएलओ एक सरकारी अधिकारी होता है।

पुलिस ने रविवार को जिस मुख्य सॉफ्टवेयर डेवलपर को हिरासत में लिया, वो मतदाताओं के डेटा को रिकॉर्ड करता था।

बेंगलुरु सेंट्रल डिवीजन के डीसीपी श्रीनिवास गौड़ा ने बताया कि कौन सा डेटा एकत्र किया गया था और यह किसके लिए था, संबंधित ऐप का विश्लेषण पुलिस कर रही है। ऐप और उसके एप्लिकेशन के उद्देश्य का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपर से पूछताछ की जा रही है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चिलूम एजुकेशनल कल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट के तीन लोगों को वोटर डेटा चोरी के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके संस्थापक-डायरेक्टर रवि कुमार फरार हैं। पुलिस जांच दल ने कहा कि उन्होंने ट्रस्ट के एचआर धरणेश और निदेशकों में से एक रेणुका प्रसाद और कुमार के भाई केम्पेगौड़ा को गिरफ्तार किया है।

शनिवार को गिरफ्तार किए गए धरणेश और प्रसाद को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें आठ दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। केम्पेगौड़ा को भी अदालत में जल्द पेश किया जाएगा। पुलिस ने एनजीओ से जुड़े एक चौथे शख्स को भी हिरासत में लिया है। पुलिस जांच दल ने कुमार की पत्नी ऐश्वर्या को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। चार घंटे की पूछताछ करने के बाद उन्हें वापस भेज दिया गया। पुलिस ने कहा कि ऐश्वर्या ने कुमार के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। उनका मोबाइल फोन बंद जा रहा है।

डीसीपी आर श्रीनिवास गौड़ा ने कहा कि 'डिजिटल समीक्षा' ऐप को अनलॉक किया गया है, इसके बाद और जानकारी सामने आएगी। गौड़ा के मुताबिक मल्लेश्वरम में ट्रस्ट के कार्यालय सहित चिलूम से जुड़े विभिन्न स्थानों पर छापा मारा और दस्तावेज जब्त किए।हमने महादेवपुरा ज़ोन से संबंधित सभी अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया था और उनके विस्तृत बयान दर्ज किए हैं। उनसे पूछा गया कि किस आधार पर उन्होंने आरोपी एनजीओ के कर्मचारियों को बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) कार्ड जारी किए।

कांग्रेस ने उठाया मामले को

मतदाताओं का डेटा चोरी होने के मामले को सबसे पहले कांग्रेस ने उठाया। कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि बंगलुरु नगर निगम ने एक प्राइवेट एनजीओ को बीएलओ के कार्ड जारी करते हुए वोटरों के डेटा जुटाने का काम सौंपा। इन लोगों को मतदाता सूची सौंप दी गई। आरोप है कि इन लोगों ने मतदाताओं की तमाम व्यक्तिगत जानकारियां जुटा लीं। मतदाता सूची में अपडेट के लिए जो सूचनाएं नहीं जुटाई जातीं, उसके अतिरिक्त भी इस एनजीओ के लोगों ने मतदाताओं से पूरे घर-परिवार की सूचनाएं हासिल कर लीं।

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने पार्टी कार्यकर्ताओं से बूथ स्तर पर मतदाता सूचियों की जांच करने को कहा है। अगर गड़बड़ी पाई जाती है तो उन्हें अधिकारियों को सूचित करें। पार्टी ने शनिवार से मतदाता सूची की जांच शुरू कर दी है और स्थानीय पुलिस थानों में शिकायत दर्ज कराएगी। 

कांग्रेस ने मांग की है कि कर्नाटक की बीजेपी सरकार 'ऑपरेशन वोटर' घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की निगरानी में न्यायिक जांच का आदेश दे।

क्या बीजेपी सरकार अपने भ्रष्ट मंत्रियों के एक एजेंट को फंसाने से बचाने की कोशिश कर रही है।


- सिद्धरमैया, पूर्व सीएम कर्नाटक

पूर्व सीएम सिद्धरमैया ने मतदाताओं से जानकारी चुराने और अवैध रूप से उनका व्यक्तिगत डेटा एकत्र कर लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया। बता दें कि बेंगलुरु पुलिस ने शुरुआत में चिलूम के साथ काम करने वाले लोकेश नाम के एक एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस पर सिद्धारमैया ने पूछा है कि क्या 40% @BSBommai सरकार सामान्य कर्मचारी को बलि का बकरा बनाकर अपने भ्रष्ट मंत्रियों को बचाने की कोशिश कर रही है? 

सरकार न्यायिक जांच शुरू करने से क्यों डरती है? @BSBommai मामले को रफा-दफा करने की जल्दी में क्यों है? यह लोकतंत्र पर एक धब्बा है क्योंकि बीजेपी आम लोगों की प्राइवेसी का उल्लंघन करती है। @BSBommai और उनके मंत्रिमंडल को लोगों को धोखा देने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए।


- सिद्धरमैया, पूर्व सीएम कर्नाटक

बता दें कि कांग्रेस ने इस मामले में शुरू में ही सीएम बोम्मई के खिलाफ केस दर्ज करने की लिखित शिकायत दी थी। उसने आरोप लगाया था कि सीएम के निर्देश पर ही मतदाताओं को जागरुक करने का काम एनजीओ चिलूम को सौंपा गया था। लेकिन पर्दे के पीछे बीजेपी कुछ और खेल कर रही थी। लेकिन पुलिस ने अब जिस तरह से गिरफ्तारियां कर रही है, उसमें सीएम पर लगा आरोप दब गया है। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें