जेएनयू: दिल्ली पुलिस खड़ी देखती रही, पिटते रहे शिक्षक और छात्र?, गुंडे मचाते रहे कहर
पिछले कई वर्षों से दक्षिणपंथ बनाम वामपंथ की सियासत का अखाड़ा बनते रहे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम को फिर बवाल हो गया। इस बवाल के कई वीडियो और फ़ोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। वायरल वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि कुछ नक़ाबपोश गुंडे जेएनयू में घुसे और वहां मौजूद छात्र-छात्राओं को धमकाया और बेरहमी से पीटा। इस मारपीट में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइषी घोष बुरी तरह घायल हो गयीं। बवाल में 18 लोग घायल हुए हैं और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। इनमें शिक्षक भी शामिल हैं। जेएनयू में हिंसा के विरोध में रविवार रात को छात्रों ने आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया।
‘पुलिस ज़िंदाबाद’ के लगाये नारे
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इन नक़ाबपोशों ने एबुंलेंस के टायर पंचर कर दिये, खिड़कियां तोड़ दीं और इन्हें कैंपस के अंदर नहीं जाने दिया। अख़बार के मुताबिक़, कई नक़ाबपोश ‘पुलिस ज़िंदाबाद’ के नारे भी लगा रहे थे। इन्होंने पत्रकारों को फ़ोटो न खींचने के लिए भी धमकाया और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव के साथ भी धक्का-मुक्की की। इस दौरान वहां 250 पुलिसकर्मी खड़े थे और उन्होंने इन नक़ाबपोशों को रोकने की कोशिश तक नहीं की।
इन नक़ाबपोशों ने लगभग तीन घंटे तक जेएनयू में कहर मचाया। नक़ाबपोश ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’, ‘नक्सलवाद मुर्दाबाद’ और ‘न माओवाद, ना नक्सलवाद, सबसे ऊपर राष्ट्रवाद’ के नारे लगा रहे थे।
नक़ाबपोशों में शामिल कई लोगों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हैं। एबीवीपी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र इकाई है। अख़बार के मुताबिक़, ये लोग अपने हाथों में डंडे लिये हुए थे और उन्होंने अपना नाम बताने से इनकार किया। इस दौरान वामपंथी छात्र संगठनों और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के बीच कई बार झड़प भी हुई।
योगेंद्र यादव का कहना है कि वह कैंपस में जेएनयू के टीचर्स से बात कर रहे थे तभी पुलिस ने उन्हें घसीटना शुरू कर दिया और कहा कि आप तनाव का माहौल बना रहे हैं। यादव ने कहा, ‘वहां मौजूद गुंडों ने मुझे पर हमला कर दिया और मैं नीचे गिर गया।’
जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन की सचिव सुराजीत मज़ूमदार ने कहा है कि टीचर्स पर हमला हुआ है और हम पूरे भरोसे के साथ कह सकते हैं कि इसमें जेएनयू के कुलपति और प्रशासन की मिलीभगत है।
जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व संयुक्त सचिव अमूथा जयदीप ने ‘द क्विंट’ को बताया कि जब नक़ाबपोशों द्वारा छात्रों को पीटा जा रहा था तो पुलिस वहां खड़ी यह सब देख रही थी।
जेएनयू की प्रोफ़ेसर आयेशा किदवई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने यह सब होने दिया क्योंकि नक़ाबपोश एक हॉस्टल से दूसरे हॉस्टल में जा रहे थे और छात्रों पर हमला कर रहे थे तोड़फोड़ कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस गेट पर मौजूद थी लेकिन उसने बवाल को रोकने और आगे बढ़ने की कोशिश नहीं की।
अख़बार के मुताबिक़, बवाल के दौरान वहां मौजूद एक शख़्स जिसने एबीवीपी से जुड़े होने का दावा किया और अपना नाम सुरेश बताया, उसके हाथ में रॉड थी और मुंह पर मफ़लर बांधा हुआ था। सुरेश ने कहा कि वह जेएनयू का ही छात्र है। सुरेश ने कहा, ‘वामपंथी छात्रों ने एबीवीपी के छात्रों को कैंपस के अंदर पीटा। हम इसे खड़े-खड़े नहीं देख सकते थे और हमने पलटवार करने का फ़ैसला किया।’
‘दिल्ली पुलिस शर्म करो’ के नारे लगाए
रात 10.45 बजे तक बड़ी संख्या में जेएनयू के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई थी और बंद की गई स्ट्रीट लाइट को खोल दिया गया था। इसके बाद वामपंथी छात्र संगठनों ने मानव श्रृंखला बनाई और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को कैंपस से बाहर धकेलना शुरू किया। उन्होंने ‘एबीवीपी कैंपस छोड़ो’ और ‘दिल्ली पुलिस शर्म करो’ के नारे भी लगाए। अख़बार के मुताबिक़, इस दौरान आसपास रहने वाले लोग जो ख़ुद को एबीवीपी के कार्यकर्ता बता रहे थे, वे भी वहां आ गए और उन्होंने कहा कि कम्युनिस्टों ने हमारे लोगों को मारा है।
दक्षिण-पश्चिम जिले के डीसीपी देवेंदर आर्या ने कहा कि पुलिस मामले की जाँच कर रही है और इसमें बाहरी लोगों की भूमिका की भी पड़ताल में जुटी है। बवाल बढ़ने की आशंका को देखते हुए रविवार रात को 700 पुलिस अधिकारी मौक़े पर मौजूद रहे।