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जेएनयू: आनंद महिंद्रा बोले - अराजक गुंडों को बर्दाश्त नहीं कर सकते

जेएनयू: आनंद महिंद्रा बोले - अराजक गुंडों को बर्दाश्त नहीं कर सकते

जेएनयू में हुई बर्बरता को लेकर देश भर में राजनीतिक दलों के साथ ही उद्योग घरानों के प्रमुखों ने भी तीख़ी प्रतिक्रिया दी है। 

जेएनयू में हुई बर्बरता को लेकर देश भर में राजनीतिक दलों के साथ ही उद्योग घरानों के प्रमुखों ने भी तीख़ी प्रतिक्रिया दी है। रविवार रात को कुछ नक़ाबपोश गुंडे रविवार रात को जेएनयू में घुसे थे और वहां मौजूद छात्र-छात्राओं को बेरहमी से पीटा था। इस मारपीट में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइषी घोष बुरी तरह घायल हो गयीं। बवाल में 30 लोग घायल हुए हैं और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। इनमें शिक्षक भी शामिल हैं। 

उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘इस बात का कोई मतलब नहीं है कि आप क्या राजनीति करते हैं और आपकी क्या विचारधारा है। लेकिन अगर आप भारतीय हैं तो आप हथियार रखने वाले, अराजक गुंडों को बर्दाश्त नहीं कर सकते। जिन्होंने जेएनयू पर आक्रमण किया है उनका पता लगाया जाना चाहिए और कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए।’ 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, ‘जेएनयू में जो हुआ है उसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। यह पूरी तरह विश्वविद्यालय की संस्कृति और परंपराओं के ख़िलाफ़ है।’ 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा कि जेएनयू से आ रही तसवीरें बेहद डरावनी हैं। उन्होंने लिखा कि जब वह जेएनयू में थीं तो वहां जोरदार बहस होती थी लेकिन कभी हिंसा नहीं हुई। उनकी सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय छात्रों के लिए सुरक्षित स्थान रहे। एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण ख़ुद भी जेएनयू के छात्र रहे हैं। 

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी इस घटना की निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जेएनयू में जो कुछ हुआ वह बेहद दुखद है। कैंपस में हुई हिंसा को क़तई स्वीकार नहीं किया जा सकता।’ 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के विरोध में आईएएस की नौकरी से इस्तीफ़ा देने वाले कन्नन गोपीनाथन ने ट्वीट कर कहा कि सभी को जेएनयू के छात्रों के समर्थन में आगे आना चाहिए।  

लेखक हर्ष मंदर ने ट्वीट कर कहा, दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर और गृह मंत्री के हाथ ख़ून से सने हुए हैं।

बीएसपी प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘छात्रों व शिक्षकों के साथ हुई हिंसा बेहद शर्मनाक है। केन्द्र सरकार को इस घटना को अति-गम्भीरता से लेना चाहिये और घटना की न्यायिक जाँच की जानी चाहिए।’

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