कानपुर में जुमे की नमाज के बाद हिंसा, पुलिस ने लाठीचार्ज किया, फायरिंग की
यूपी के कानपुर शहर में शुक्रवार को दो समुदायों में आपस की झड़प के बाद हिंसा भड़क गई। खबरों के मुताबिक, पुलिस ने कुछ स्थानीय लोगों पर लाठीचार्ज किया, इसके बाद यतीमखाना के पास बेनीगंज इलाके में हिंसा भड़क गई। इसके विरोध में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए थे। इस घटना में 6 लोगों के जख्मी होने की सूचना है। हिंसा की ये घटना ऐसे समय हुई है, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने गांव आए हुए हैं। पीएम मोदी समेत तमाम वीवीआईपी मौजूद हैं।
यह वीडियो कानपुर में हुए बवाल का है। ख़बर है कि कानपुर में दो समुदाय आमने-सामने आए। इस वीडियों में @Uppolice के साथ जो लोग दिख रहे हैं वे कौन हैं? क्या वे पुलिसकर्मी है? या उपद्रवी? उपद्रवी हैं तो पुलिस के साथ क्या कर रहे हैं? pic.twitter.com/jSeIOFRJDh
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) June 3, 2022
जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम युवक बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग थी कि पुलिस नूपुर के खिलाफ कानपुर में भी एफआईआर करे। इसके बाद एक समुदाय के लोग बाजार बंद कराने लगे। इस पर दूसरे समुदाय ने विरोध किया। तब तक पुलिस आ गई। पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया और गोलियां चलाईं। उसके बाद हालात बेकाबू हो गए।
हालांकि स्थिति को नियंत्रण में लाया गया था, हिंसा थोड़ी देर बाद फिर से शुरू हो गई और कई राउंड गोलियां चलाई गईं। हालात बेकाबू हैं। पुलिस ने 16 लोगों को हिरासत में लिया है। इस समाचार के लिखे जाने तक भी पुलिस घरों में घुसकर युवकों को उठा रही है।
कैसे हुई शुरुआत
दुकानदारों सहित कुछ स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर बंद रखा और पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान को लेकर जुमे की नमाज के बाद जुलूस निकाला। इसके तुरंत बाद, संघर्ष छिड़ गया।
हालांकि शुरुआत में स्थिति को नियंत्रण में आ गई थी, लेकिन थोड़ी देर बाद हिंसा फिर से शुरू हो गई और कम से कम दो गोलियां चलाई गईं। उपलब्ध रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने अतिरिक्त सुदृढीकरण की मांग की है। पथराव फिलहाल बंद हो गया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और स्थिति को नियंत्रण में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने शांति की अपील करते हुए कहा कि जब देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री शहर में हों तो ऐसी घटना राज्य और कानून व्यवस्था के प्रभारी के लिए शर्मनाक है।