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मणिपुर मुद्दा: राज्यसभा सभापति, डेरेक ओब्रायन में नोकझोंक क्यों?

मणिपुर मुद्दा: राज्यसभा सभापति, डेरेक ओब्रायन में नोकझोंक क्यों?

मणिपुर हिंसा पर राज्यसभा में बहस कराए जाने की मांग को लेकर जब सभापति विपक्षी सदस्यों के नोटिस देने वालों के नाम ले रहे थे तो टीएमसी के डेरेक ओब्रायन से नोकझोंक क्यों हुई?

राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। दरअसल मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के दलों का ज़िक्र नहीं करने पर डेरेक ओब्रायन ने आपत्ति जताई। इस पर सभापति ने भी तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया। नोकझोंक के बाद राज्यसभा की कार्यवाही लगभग एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी थी।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब धनखड़ ने नियम 176 के तहत प्राप्त 11 नोटिसों का विवरण देते हुए सांसदों और उनसे जुड़े राजनीतिक दलों के नाम पढ़े। इनमें से ज़्यादातर ट्रेजरी बेंच से थे, जिसमें राजस्थान से लेकर मणिपुर तक के राज्यों में हिंसा पर अल्पकालिक चर्चा की मांग की गई थी। लेकिन जब उन्होंने विपक्षी दलों के सांसदों से नियम 267 के तहत प्राप्त नोटिस को पढ़ना शुरू किया, तो उन्होंने उन सदस्यों की पार्टी का ज़िक्र नहीं किया। विपक्षी सांसदों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे थे। ओब्रायन ने ट्वीट कर पक्षपात किए जाने का भी आरोप लगाया है।

डेरेक ओब्रायन की आपत्ति इस बात को लेकर थी कि सदस्यों की पार्टियों का ज़िक्र नहीं किया जा रहा था। ओब्रायन ने सभापति से उन सांसदों की पार्टियों का भी उल्लेख करने को कहा जिन्होंने नियम 267 के तहत नोटिस दिया था, जैसा कि सभापति ने नियम 176 के तहत नोटिस देने वाले सांसदों के लिए किया था। इस बीच धनखड़ ने ओब्रायन से अपनी सीट पर जाने के लिए कहा लेकिन टीएमसी नेता नरम नहीं पड़े। धनखड़ ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करने से पहले टिप्पणी की, 'आप सभापति को चुनौती दे रहे हैं।'

बता दें कि सूचीबद्ध कागजात पटल पर रखे जाने के तुरंत बाद धनखड़ ने कहा था कि उन्हें नियम 176 के तहत 11 नोटिस मिले हैं और उन्होंने नाम और विषयों को पढ़ा। इन नोटिसों में राजस्थान, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, केरल, तेलंगाना जैसे राज्यों में हिंसा को लेकर सवाल किए गए थे और इन पर चर्चा की मांग की गई। सभापति ने कहा कि नियम 176 के तहत अन्य नोटिस उनके विचाराधीन हैं।

इसके बाद उन्होंने नियम 267 के तहत प्राप्त नोटिस पढ़ना शुरू किया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार धनखड़ ने कहा, 'मुझे नियम 267 के तहत 27 नोटिस मिले हैं। श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, श्री जॉन ब्रिटास, श्री एडी सिंह...।'

इस पर ओब्रायन ने पूछा, 'सर कौन सी पार्टी?' उन्होंने हाथ जोड़कर अनुरोध किया कि आसन ने भाजपा सांसदों की पार्टी संबद्धता को पढ़ लिया है और नोटिस देने वाले अन्य लोगों के साथ भी यही शिष्टाचार किया जाना चाहिए। हंगामा होने और सदन को स्थगित किए जाने से पहले धनखड़ ने उनसे अपनी सीट पर बैठने को कहा। सीट पर बैठने का जब आदेश मिला तो टीएमसी नेता ने जवाब दिया, "नहीं।" उन्हें साथी सांसदों का समर्थन मिला। धनखड़ ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करने से पहले कहा, 'आप सभापति को चुनौती दे रहे हैं'।

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