क्या ममता बनर्जी के साथ जा सकते हैं बीजेपी सांसद वरुण गांधी?
किसानों के मसलों को लेकर लगातार मोदी सरकार से सवाल पूछ रहे बीजेपी सांसद वरुण गांधी क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ जा सकते हैं। यह चर्चा दिल्ली के सियासी गलियारों में चल रही है। लखीमपुर खीरी की घटना के बाद से वरुण गांधी बीजेपी से ख़ासे नाराज़ हैं और ‘भीख में मिली आज़ादी’ वाला बयान देने के कारण वह सिने अदाकारा कंगना रनौत पर भी हमला बोल चुके हैं।
ममता बनर्जी इन दिनों टीएमसी का सियासी विस्तार करने में जुटी हैं। बीते कुछ दिनों में उन्होंने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को तोड़ा है तो शायद अब वह वरुण गांधी को अपने पाले में करना चाहती हैं।
कांग्रेस से टीएमसी में आने वाले बड़े नेताओं में सुष्मिता देव, राजेशपति और ललितेशपति त्रिपाठी और लुईजिन्हो फलेरो शामिल हैं।
ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी गोवा का चुनाव पूरे जोर-शोर से लड़ रही है। ममता इसके अलावा त्रिपुरा, असम और उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ना चाहती हैं। ममता वरुण के सहारे उत्तर प्रदेश की राजनीति में टीएमसी को मजबूत करना चाहती हैं।
कांग्रेस में जाने की भी चर्चा
वरुण ने बीते दिनों में जिस तरह के ट्वीट कर बीजेपी और मोदी सरकार को निशाने पर लिया, इससे उनके कांग्रेस में जाने की भी अटकलें लगने लगीं। यह भी कहा गया है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इसके लिए कोशिश कर रही हैं। लेकिन यह कोशिश अभी तक तो कम से कम सिरे चढ़ते नहीं दिखाई दी है।
ममता बनर्जी अगले हफ़्ते दिल्ली आ रही हैं और बताया जा रहा है कि इस दौरान वरुण गांधी की उनसे मुलाक़ात हो सकती है। टीएमसी के नेताओं का कहना है कि ममता का यह दिल्ली दौरा बेहद अहम है।
लखीमपुर खीरी की घटना के बाद से वरुण गांधी ने अपने हमले तेज़ किए हैं। उन्होंने कहा था कि लखीमपुर खीरी की घटना को हिंदू बनाम सिख बनाने की कोशिश की जा रही है। वरुण ने कुछ दिन पहले गोडसे जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को भी लताड़ा था और कहा था कि ऐसे लोग इस देश को शर्मिंदा कर रहे हैं।
बीजेपी ने कुछ दिन पहले वरुण और उनकी मां और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं दी थी।
ऐसा साफ लगता है कि वरुण गांधी बीजेपी में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं और इसे छोड़ने की सूरत में टीएमसी ही उनके लिए बेहतर विकल्प है। निश्चित रूप से ममता बनर्जी भी वरुण को अपने साथ लेना चाहेंगी क्योंकि वरुण के आने से टीएमसी को बंगाल से बाहर एक बड़े राज्य में पहचान बनाने का मौक़ा मिलेगा।