बैंक घोटाले- महाभ्रष्ट व्यवस्था पर 'मज़बूत सरकार' क्या कार्रवाई करेगी: वरुण गांधी
देश में एक के बाद एक उजागर हो रहे बैंक घाटालों के मामलों में कार्रवाई को लेकर बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में सामने आए तीन बड़े बैंक घोटालों का ज़िक्र किया है। इसमें ऋषि अग्रवाल के एबीजी शिपयार्ड मामले में क़रीब 23 हज़ार करोड़ रुपये का कथित बैंक घोटाला भी शामिल है जो हाल ही में सामने आया है। इसके अलावा उन्होंने विजय माल्या के 9000 करोड़ और नीरव मोदी के 14000 करोड़ के कथित बैंक घोटाले का ज़िक्र किया है। उन्होंने इसे महाभ्रष्ट व्यवस्था क़रार दिया है और कहा है कि 'मज़बूत सरकार' से मज़बूत कार्रवाई की अपेक्षा है।
उन्होंने देश में फैली व्याप्त ग़रीबी का ज़िक्र करते हुए ट्वीट किया है कि कर्ज तले तबे हर रोज़ 14 लोग आत्महत्या कर रहे हैं तो 'धन पशुओं' का जीवन वैभव चरम पर है।
विजय माल्या: 9000 करोड़
— Varun Gandhi (@varungandhi80) February 18, 2022
नीरव मोदी: 14000 करोड़
ऋषि अग्रवाल: 23000 करोड़
आज जब कर्ज के बोझ तले दब कर देश में रोज लगभग 14 लोग आत्महत्या कर रहे हैं, तब ऐसे धन पशुओं का जीवन वैभव के चरम पर है।
इस महा भ्रष्ट व्यवस्था पर एक ‘मजबूत सरकार’ से ‘मजबूत कार्यवाही’ की अपेक्षा की जाती है।
बीजेपी सांसद का यह बयान तब आया है जब क़रीब 23,000 करोड़ रुपये का कथित बैंक धोखाधड़ी का मामला आया है। इसे देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला कहा जा रहा है। इसमें एबीजी शिपयार्ड कंपनी और इसके प्रमुख ऋणि अग्रवाल का नाम आ रहा है। सीबीआई ने कथित बैंक घोटाले को लेकर एफ़आईआर दर्ज की है। यह कथित घोटाला 22842 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। सीबीआई ने कहा है कि एबीजी शिपयार्ड ने भारतीय स्टेट बैंक सहित 28 बैंकों के बकाया 22,842 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुकाया।
सीबीआई ने कहा है, 'बैंक ऋणों को डायवर्ट करके इसकी विदेशी सहायक कंपनी में भारी निवेश किया गया था। इसके संबंधित पक्षों के नाम पर बड़ी संपत्ति खरीदने के लिए धन का उपयोग किया गया था।'
ऐसा ही मामला विजय माल्या और नीरव मोदी का भी है। मशहूर शराब कारोबारी माल्या ने भारत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और कुछ अन्य बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। लेकिन उसे चुकाए बिना वह लंदन चला गया और तब से वहीं पर है।
डायमंड कारोबारी नीरव मोदी ने भी कथित तौर पर पीएनबी घोटाला किया। 14 हज़ार करोड़ के घोटाले के आरोपी नीरव मोदी देश छोड़कर कैरीबियाई देश चला गया था। बाद में वह लंदन चला गया। विजय माल्या और नीरव मोदी से रुपये वसूलने की तो बात दूर, कई साल बाद उन्हें भारत प्रत्यर्पण भी नहीं कराया जा सका है।
धोखाधड़ी के ऐसे ही मामलों में कार्रवाई को लेकर वरुण गांधी सवाल उठा रहे हैं। इसके साथ ही वह किसानों और छोटे-छोटे उद्योग-धंधे करने वालों के कर्ज तले दबे होने की बात कह रहे हैं। वह यह भी कह रहे हैं कि ऐसे लोगों से इस तरह दबाव डालकर कर्ज वसूला जाता है कि वे आत्महत्या कर ले रहे हैं।
बीजेपी सांसद वरुण गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। हाल ही में उन्होंने जेएनयू वीसी की नियुक्ति को लेकर हमला किया था।
उन्होंने कहा था, 'नए जेएनयू वीसी की यह प्रेस विज्ञप्ति निरक्षरता की एक प्रदर्शनी है, जो व्याकरण संबंधी ग़लतियों से भरी हुई है (would strive vs will strive; students friendly vs student-friendly; excellences vs excellence)। इस तरह की औसत दर्जे की नियुक्तियाँ हमारी मानव पूंजी और हमारे युवाओं के भविष्य को नुक़सान पहुंचाने का काम करती हैं।'
उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी को लेकर भी सरकार पर हमला किया था। उन्होंने कहा था, 'देश में आज बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। स्थिति विकराल होती जा रही है। इससे मुंह मोड़ना कपास से आग ढकने जैसा है।'
देश में आज बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। स्थिति विकराल होती जा रही है। इससे मुंह मोड़ना कपास से आग ढकने जैसा है। pic.twitter.com/xR1E2O7pY1
— Varun Gandhi (@varungandhi80) January 28, 2022
इससे पहले बेरोजगारी के मुद्दे को वरुण गांधी ने दिसंबर महीने में भी उठाया था। उन्होंने ट्वीट किया था, "पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौक़ा आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतज़ार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आख़िर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?''
हाल ही में तो वरुण गांधी ने बिना नाम लिए सीधे प्रधानमंत्री पर भी हमला किया था। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि रात में कर्फ्यू लगाना और दिन में रैलियों में लाखों लोगों को बुलाना यह सामान्य जनमानस की समझ से परे है। यह वह दौर था जब प्रधानमंत्री मोदी ने देर शाम को कोरोना पर बैठकें की थीं और दिन में रैलियाँ।