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‘वंदे मातरम’ एनडीए के संयुक्त कार्यक्रम का हिस्सा नहीं: त्यागी

‘वंदे मातरम’ एनडीए के संयुक्त कार्यक्रम का हिस्सा नहीं: त्यागी

प्रधानमंत्री की रैली में ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुप रहने को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री की रैली में ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुप रहने को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि उनकी पार्टी को ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से कोई परहेज नहीं है लेकिन इन्हें किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। 

त्यागी ने यह भी कहा कि इस तरह के नारे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के संयुक्त कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 1965 से लेकर कारगिल तक के कई युद्धों में मुसलमानों ने भी शहादत दी है, इसलिए नारों को लेकर किसी को देशभक्त साबित नहीं किया जा सकता। त्यागी ने कहा कि जो लोग इन नारों को लगाना चाहते हैं वे लगाएँ और जो नहीं लगाना चाहते, वे न लगाएँ।

त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी इस बात पर भरोसा नहीं करती कि इन नारों को देशभक्ति या राष्ट्रीयता का प्रतीक माना जाए।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली में इन नारों के दौरान नीतीश के चुप रहने का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो गया है। रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर मौजूद लोकजनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान सहित अन्य नेता 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाते दिखते हैं जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप रहते हैं।

बता दें कि 2013 में बीजेपी-जेडीयू के अलग होने के बाद मोदी और नीतीश एक-दूसरे पर हमला बोलते रहे हैं। उसके बाद जेडीयू ने एनडीए से बाहर आकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और सरकार भी बनाई लेकिन 2017 में आरजेडी से गठबंधन तोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था। उससे पहले भी जेडीयू और बीजेपी बिहार में दो बार साथ मिलकर सरकार चला चुके हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद अब बिहार के सियासी गलियारों में यह सवाल जोर-शोर से पूछा जा रहा है कि क्या एक बार फिर नीतीश कुमार अपनी राजनीति की ‘धुरी’ बदलने वाले हैं। 

हाल ही में अपनी बायोग्राफ़ी में आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव ने लिखा था कि महागठबंधन से अलग होने के छह महीने बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से इसमें लौटना चाहते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इसे पूरी तरह से निराधार बताया था। उन्होंने कहा था कि किसी भी नेता के चर्चा में रहने का यह केवल घटिया प्रयास है। 

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