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कुछ घंटे के भीतर दो ट्रेनों में आग लगी; आख़िर ट्रेनों में बार-बार हादसे क्यों?

कुछ घंटे के भीतर दो ट्रेनों में आग लगी; आख़िर ट्रेनों में बार-बार हादसे क्यों?

कभी बिहार में तो कभी आँध्रप्रदेश में ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतरे। कभी मदुरै में तो कभी यूपी, बिहार में ट्रेनों में आग लगी। आख़िर हादसे क्यों बढ़ रहे हैं?

ट्रेन में फिर हादसा हुआ है। दिल्ली-सहरसा वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस के एक कोच में आग लग गई। इसमें कम से कम 19 यात्री घायल हुए हैं जिनमें से 11 की हालत गंभीर बतायी जाती है। यह उत्तर प्रदेश के इटावा के पास घटना हुई। इससे बस कुछ घंटे पहले बिहार पहुँची एक अन्य ट्रेन में आग लगी थी। अगस्त में तो तमिलनाडु में एक ट्रेन में आग लगने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी। ट्रेनों के पटरी से उतरने की ख़बरें भी लगातार आ रही हैं।

ताज़ा मामला दिल्ली-सहरसा वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस का है। एस-6 कोच में रात करीब 2 बजे आग लग गई थी। ट्रेन नंबर- 12554 नई दिल्ली से बिहार के सहरसा जा रही थी जब यह घटना घटी। रात क़रीब 2.12 बजे इटावा पहुंचने पर यात्रियों ने एस-6 कोच से धुआं निकलते देखा और तुरंत अधिकारियों को बताया। ट्रेन को मैनपुरी जंक्शन से पहले रोक दिया गया।

सरकारी रेलवे पुलिस यानी जीआरपी और रेलवे सुरक्षा बल यानी आरपीएफ के प्रयासों के बावजूद आग पर काबू पाने में एक घंटा लग गया। आग बुझाने के बाद प्रभावित कोच को अलग कर दिया गया और ट्रेन ने सुबह 6 बजे अपनी यात्रा फिर से शुरू कर दी। आग लगने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, घायल 19 यात्रियों में से 11 को आगे के इलाज के लिए सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी ले जाया गया है।

इससे क़रीब 10 घंटे पहले एक अन्य ट्रेन में आग लगने की घटना घटी थी। पहली घटना में नई दिल्ली-दरभंगा स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन शामिल थी जिसमें आठ यात्री घायल हो गए और चार डिब्बे तबाह हो गए।

अगस्त महीने में तमिलनाडु में एक ट्रेन में आग लगने की एक भयावह घटना हुई थी। मदुरै रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में भीषण आग लगने से कम से कम दस लोगों की मौत हो गई थी। यह ट्रेन मदुरै यार्ड में एक पर्यटक कोच थी। तब रेलवे ने कहा था कि जिस कोच में आग लगी थी, उसमें लखनऊ के क़रीब 65 यात्री सवार थे। जब कोच यार्ड में खड़ा था, तो कुछ यात्रियों ने कथित तौर पर चाय और नाश्ता तैयार करने के लिए अपने साथ लाए गए रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल किया, जिससे आग लग गई। हालाँकि रेलवे ने इसका जवाब नहीं दिया कि इन यात्रियों को सिलेंडर लेकर चढ़ने की अनुमति कैसे मिली या रेलवे का अपना जांच सिस्टम क्या है।

पिछले महीने ही आंध्र प्रदेश में ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण 13 यात्रियों की मौत हो गई थी। विशाखापत्तनम से ओडिशा के रायगढ़ जा रही एक यात्री ट्रेन विजयनगरम जिले में पटरी से उतर गई थी, जिससे कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और 40 यात्री घायल हो गए थे।

रेल अधिकारियों ने मीडिया को बताया था, “विशाखापत्तनम-पलासा पैसेंजर ट्रेन और विशाखापत्तनम-रायगढ़ पैसेंजर ट्रेन के बीच पीछे की टक्कर हुई। हादसे में 3 कोच शामिल थे। दो ट्रेनें सिग्नल न होने की वजह से खड़ी थीं। पीछे से पैसेंजर ट्रेन ने जाकर टक्कर मारी। शायद ड्राइवर ने सिग्नल पर ध्यान नहीं दिया।”

पिछले महीने ही बिहार के बक्सर ज़िले के रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन पर नॉर्थ ईस्ट सुपरफास्ट ट्रेन के 3 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। उसमें कम से कम 4 लोगों की मौत हुई थी। 

बालासोर हादसे में 290 से ज़्यादा मौतें

इससे पहले जून महीने में ओडिशा के बालासोर में रेल हादसे में 290 से ज़्यादा मौतें हुई थीं। क़रीब 900 यात्री घायल हुए थे। भारतीय रेलवे के इतिहास में पूर्व में भी इस तरह के कई बड़े हादसे हो चुके हैं जिसके बाद रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैं। 

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