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राहुल गांधी ने कहा- भारत अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं रहा 

राहुल गांधी ने कहा- भारत अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं रहा 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को मोदी सरकार पर क़रारा हमला बोला और कहा कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा है। 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को मोदी सरकार पर क़रारा हमला बोला और कहा कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा है। राहुल गांधी ने स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट का हवाला दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से चुनावी तानाशाह वाले देश में बदल गया है। 

रिपोर्ट में भारत को हंगरी और तुर्की के साथ रखा गया है और कहा गया है कि देश में लोकतंत्र के कई पहलुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वी-डेम इंस्टीट्यूट की यह रिपोर्ट ऐसे वक़्त में आई है जब बोलने की आज़ादी पर अंकुश लगाने और असहमति की आवाज़ को देश के ख़िलाफ़ बताने की पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। 

वी-डेम इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में मीडिया की आवाज़ को कुचला जा रहा है और मानहानि और राजद्रोह के क़ानून का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट कहती है, “सेंशरशिप के मामले में भारत पाकिस्तान के जैसा तानाशाह देश हो गया है और उसकी स्थिति पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल से भी बदतर हो गयी है।” 

फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट 

कुछ दिन पहले अमेरिकी सरकार के एक एनजीओ फ्रीडम हाउस ने भी अपनी ताज़ा रिपोर्ट में इसी तरह की बात कही थी। ‘2021 में विश्व में आज़ादी- लोकतंत्र की घेरेबंदी’ शीर्षक से जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ऐसा लगता है कि भारत ने वैश्विक लोकतांत्रिक नेता के रूप में नेतृत्व करने की क्षमता को त्याग दिया है। 

इस एनजीओ ने 2018, 2019 और 2020 में भारत को ‘आज़ाद’ देशों की सूची में रखा था हालांकि तब भी भारत 77 से गिरकर 71 अंक पर आ गया था लेकिन ताज़ा रिपोर्ट में भारत 100 में से 67 अंक ही हासिल कर सका है और इसे ‘आंशिक आज़ाद’ देश की रैंक दी गई है। 

एनजीओ ने रिपोर्ट में कहा था कि 2014 के बाद से ही भारत में राजनीतिक अधिकारों और लोगों की आज़ादी के मामले में स्थिति ख़राब हुई है। इसके पीछे मानवाधिकार संगठनों पर बढ़ता दबाव, पढ़े-लिखे लोगों और पत्रकारों को धमकियां मिलने और मुसलमानों पर धार्मिक कट्टरता वाले हमलों की बढ़ती घटनाओं को कारण बताया गया है। इसके अलावा सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों और आलोचना करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाने को भी इसका कारण बताया गया है। 

हाल ही में मोदी सरकार की इसे लेकर खासी आलोचना हुई कि वह एक टूलकिट से ही डर गई और दिल्ली पुलिस ने 22 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को टूलकिट को बनाने और शेयर करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया। इसके अलावा पत्रकार मनदीप पूनिया और दलित कार्यकर्ता नवदीप कौर की गिरफ़्तारी को लेकर भी पुलिस और सरकार की खासी आलोचना हुई।

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