उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले होटलों, ढाबों, रेहड़ी-पटरी वालों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है। यह आदेश हरिद्वार पुलिस ने दिया है।
हरिद्वार में पुलिस ने यात्रा के दौरान अक्सर होने वाले विवादों से बचने की दलील देते हुए कांवड़ यात्रा के मार्ग पर सड़क किनारे ठेले समेत खाने-पीने की दुकानों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा है। यूपी में ऐसे ही आदेश के बाद पहले से ही विवाद है और अब उत्तराखंड के हरिद्वार में इस तरह के आदेश निकालने के बाद और विवाद बढ़ने के आसार हैं।
हरिद्वार पुलिस ने भी यूपी की तर्ज पर ही आदेश निकाला है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोभाल ने कहा, 'काँवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर मालिक का नाम न लिखे जाने के कारण अक्सर विवाद उत्पन्न हो जाते हैं। कई बार यात्री इस पर आपत्ति जताते हैं। इसे दूर करने के लिए, मार्ग पर पड़ने वाली सभी दुकानों, रेस्टोरेंट, होटल, ढाबों और रेहड़ी-पटरी वालों का हरिद्वार पुलिस द्वारा सत्यापन किया जाएगा। हम मालिकों के नाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने पर भी जोर दे रहे हैं। क्यूआर कोड में भी इसका उल्लेख होगा'।
जिले में इस मामले से जुड़े लोगों के साथ कई बैठकों के बाद यह निर्णय लिया गया। जिला पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, एसएसपी हरिद्वार ने राजपत्रित अधिकारियों को दिए गए कार्यों की समीक्षा के लिए गुरुवार को एक बैठक आयोजित की।
बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे हाईवे पर स्थित होटलों, ढाबों और खाद्य पदार्थों की दुकानों का निरीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि रेट लिस्ट प्रदर्शित हो और क्यूआर कोड में शामिल हो। उन्हें हाईवे पर उचित क्षमता, पार्किंग और बिजली आपूर्ति व्यवस्था के साथ दुकानें स्थापित करने का भी काम सौंपा गया। पुलिस बल की तैनाती, आवश्यक सामान और उपकरण, ड्रोन की उपलब्धता और ऑपरेटर के संपर्क के बारे में चर्चा की गई।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य बयान में भगवानपुर थाने ने कहा है कि आगामी यात्रा के मद्देनजर होटल और ढाबा मालिकों-संचालकों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी, और उन्होंने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
बैठक में जारी दिशा-निर्देशों में होटलों और ढाबों में मांस, अंडे, लहसुन और प्याज के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना, शराब और नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगाना, खाद्य पदार्थों की दर सूची को प्रमुखता से प्रदर्शित करना और भुगतान के लिए संचालक के नाम का क्यूआर कोड रखना शामिल है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले होटलों, ढाबों, रेहड़ी-पटरी वालों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया। हालांकि पुलिस तीन दिन पहले से इस आदेश को पश्चिमी यूपी में लागू करवा रही थी। मीडिया में मामला आने के बाद पुलिस ने सफाई दी थी कि दुकानदार ऐसा अपनी इच्छा से कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को इस आदेश को सरकारी बताया और कहा कि इसे पूरे यूपी के लिए जारी किया गया है। यूपी सरकार ने अब स्पष्ट किया है कि हर खाने-पीने की दुकान या ठेले वाले को बोर्ड पर मालिक का नाम लिखना होगा।
जेडीयू, आरएलडी के बाद अब चिराग पासवान ने यूपी में योगी के कांवड़ यात्रा नियमों का विरोध किया है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान उन भाजपा सहयोगियों की सूची में शामिल हो गए हैं जिन्होंने मुजफ्फरनगर में पुलिस की उस सलाह पर आपत्ति जताई है जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है। पीटीआई से चिराग पासवान ने कहा कि वह पुलिस की सलाह या ऐसी किसी भी चीज़ का समर्थन नहीं करते हैं जो 'जाति या धर्म के नाम पर विभाजन' पैदा करती हो।
भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी जेडीयू ने पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार से मुजफ्फरनगर आदेश की समीक्षा करने का आग्रह कर दिया है। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में यूपी से भी बड़ी कांवड़ यात्रा होती है। केसी त्यागी ने एएनआई से कहा, "वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है। जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नारे का उल्लंघन हैं। यह आदेश न तो बिहार में लागू है और न ही राजस्थान और झारखंड में। अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए। इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए।"
भाजपा की सहयोगी पार्टी जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी ने कहा कि विक्रेताओं से नाम प्लेट दिखाने के लिए कहने का फरमान बिल्कुल गलत है।