सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट पार्क के हालात को लेकर काफी चिन्ता जताई। अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई पर 3 महीने के भीतर स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि नौकरशाहों और नेताओं ने जनता के विश्वास को कूड़ेदान में फेंक दिया है। अदालत कथित तौर पर अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व वन अधिकारी किशन चंद के दुस्साहस पर हैरान है। हरक सिंह रावत जिस समय भाजपा सरकार में वन मंत्री थे, उस समय यहां अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई हुई थी। हालांकि रावत 2022 में कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन उनके भाजपा में रहने के दौरान हुए मामले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने कहा, “उन्होंने (रावत और किशनचंद) कानून की घोर अवहेलना की है और कारोबारी मकसदों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की है।” सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में रावत से जुड़े दिल्ली, उत्तराखंड और चंडीगढ़ में 17 स्थानों पर तलाशी ली थी। सूत्रों के अनुसार, रावत का डिफेंस कॉलोनी आवास और देहरादून में एक मेडिकल कॉलेज में भी ईडी टीमों ने तलाशी अभियान चलाया था।
पीटीआई के मुताबिक ईडी के छापे 2019 में कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो टाइगर रिजर्व रेंज में हजारों पेड़ों की कथित कटाई, वित्तीय अनियमितताओं और अवैध निर्माण को लेकर रावत के खिलाफ एक मामले से जुड़े हैं। पाखरो टाइगर रिजर्व विकास रावत की पसंदीदा परियोजना थी जब वह थे तत्कालीन भाजपा सरकार में वन मंत्री थे। वह 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे।