कुंभ मेले के दौरान कोरोना की फ़र्जी टेस्टिंग के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में जांच के दौरान पता चला है कि एक अनजान एजेंसी को टेस्टिंग का कांट्रेक्ट दे दिया गया। इसका नाम मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज है और शुरुआत में इसे हरिद्वार के जिला स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग का कांट्रेक्ट देने से इनकार कर दिया था।
इसके पीछे वजह यह थी कि इसे इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से मान्यता नहीं मिली है लेकिन अचानक ही इसे कुंभ मेले के स्वास्थ्य प्रशासन ने इस काम के लिए चुन लिया।
वजह यह थी कि मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज ने इसके लिए आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त दो लैब्स से सब-कांट्रेक्ट कर लिया था।
इन दोनों लैब्स के नाम लालचंदानी लैब्स और नलवा लैब्स हैं। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस, लालचंदानी लैब्स और नलवा लैब्स के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी थी। सवाल यहां यही है कि मैक्स कॉरपोरेट को तो आईसीएमआर से मान्यता नहीं मिली है और उसके पास टेस्टिंग का कोई बड़ा अनुभव भी नहीं है, ऐसे में उसे कैसे टेस्टिंग के काम के लिए चुन लिया गया।
तीन-तीन जांच
पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआईटी बना दी है। जांच अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि इस अनजान एजेंसी को इतने अहम काम का ठेका कैसे मिल गया। इसके अलावा भी इस मामले में दो और जांच चल रही हैं। पहली कुंभ मेला प्रशासन की ओर से और दूसरी हरिद्वार के जिला प्रशासन के द्वारा।
जांच में पता चला है कि मार्च के अंत में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस ने लालचंदानी लैब्स और नलवा लैब्स के साथ एमओयू साइन किया था। इन दोनों लैब्स ने कुंभ मेले के दौरान कुल मिलाकर कोरोना के 1,23,000 टेस्ट किए, इनमें से 1,18,000 रैपिड एंटीजन टेस्ट थे जबकि 5,000 आरटी-पीसीआर टेस्ट थे।
कोरोना की फ़र्जी टेस्टिंग का यह मामला तब चर्चा में आया था जब पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख़्स ने शिकायत की थी कि उन्हें एक मैसेज मिला है, जिसमें कहा गया है कि वह अपनी कोरोना की रिपोर्ट ले जाएं जबकि उन्होंने कभी जांच कराई ही नहीं। बताया जा रहा है कि फ़र्जी टेस्टिंग का यह आंकड़ा 1 लाख से ज़्यादा हो सकता है।
कुंभ मेले का स्वास्थ्य प्रशासन कोरोना टेस्टिंग के डाटा में जितने भी लोगों के नाम और मोबाइल नंबर हैं, उनसे इस बारे में जानकारी ले रहा है। ऐसे लोगों में से कई ने कहा है कि वे तो अप्रैल के महीने में हरिद्वार गए ही नहीं थे।
हाई कोर्ट पहुंची एजेंसी
दूसरी ओर, लालचंदानी लैब्स और नलवा लैब्स ने फ़र्जी टेस्टिंग के आरोपों से इनकार किया है जबकि मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस ने शुक्रवार को इस मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
एजेंसी ने अदालत से अपील की है कि वह उसे पुलिस की कार्रवाई से सुरक्षा दे। एजेंसी ने अपने बचाव में कहा है कि उसने दो राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कंपनियों से कांट्रेक्ट किया था और वह इस मामले में सिर्फ़ सर्विस प्रोवाइडर थी।
एचटी के मुताबिक़, एजेंसी के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा है कि अगर कोई फ़र्जी टेस्टिंग हुई है तो इसमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस का कोई रोल नहीं है और हम चाहते हैं कि इस मामले में अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो वह सामने आनी चाहिए।
दो नेता आमने-सामने
कुंभ मेले के दौरान कोरोना की फ़र्जी टेस्टिंग के मामले में उत्तराखंड बीजेपी के दो बड़े नेता आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस बयान पर कि फ़र्जी टेस्टिंग का मामला उनके मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने से पहले का है, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें जवाब दिया है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ताज़ा बयान में कहा है कि इस मामले की जांच हाई कोर्ट के किसी वर्तमान जज से कराई जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की फ़र्जी रिपोर्ट बनाने के आरोपों की जांच होनी चाहिए और जो लोग इसमें शामिल रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज होना चाहिए।