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उत्तराखंड पुलिस की सफाई - नरसिंहानंद धर्म संसद मामले में भी गिरफ्तार, एक और FIR

उत्तराखंड पुलिस की सफाई - नरसिंहानंद धर्म संसद मामले में भी गिरफ्तार, एक और FIR

कथित संत नरसिंहानंद के बारे में उत्तराखंड पुलिस ने साफ किया है कि उसे हरिद्वार धर्म संसद में नफरती भाषण देने के मामले में भी गिरफ्तार किया गया है। जानिए पूरी रिपोर्ट।

उत्तराखंड पुलिस ने साफ किया है कि 4 जनवरी को नरसिंहानंद की गिरफ्तारी हरिद्वार धर्म संसद मामले में भी की गई है। हालांकि उसे महिलाओं पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जब उसे अदालत के सामने पेश किया गया, तो वहां हरिद्वार धर्म संसद मामले की एफआईआर का भी उल्लेख किया गया।  गाजियाबाद में डासना मंदिर का विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद 17-19 दिसंबर की धर्म संसद का मुख्य आयोजक था। इस कार्यक्रम में मुसलमानों का जनसंहार (Muslim Genocide) की धमकियां दी गई थीं। नरसिंहानंद को शनिवार देर शाम हरिद्वार में गिरफ्तार किया गया था।

नरसिंहानंद, जो जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर भी है, हरिद्वार में अभद्र भाषा मामले में वसीम रिजवी उर्फ ​​जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी के विरोध में दो दिन पहले अनशन पर था।

“नरसिंहानंद के खिलाफ हाल ही में रुचिका नामक महिला की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी कि उसने एक विशेष समुदाय की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में नरसिंहानंद 4 जनवरी को मीडिया से बातचीत के दौरान अपमानजनक टिप्पणी करता नजर आ रहा है। शनिवार को हुई गिरफ्तारी मुख्य रूप से उस एफआईआर के सिलसिले में थी। हरिद्वार के सीओ शेखर सुयाल ने कहा - 

जब हमने उसे रविवार को अदालत में पेश किया, तो आपत्तिजनक टिप्पणी मामले के साथ-साथ हरिद्वार धर्म संसद मामले में भी उसकी गिरफ्तारी दिखाई।


सुयाल ने कहा कि शनिवार को एक पत्रकार की शिकायत पर नरसिंहानंद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, "पत्रकार ने नरसिंहानंद से कुछ कड़े सवाल पूछे, जिसके बाद कहासुनी हुई और पत्रकार के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई।"

हरिद्वार कोतवाली थाने के एसएचओ राकेंद्र कथैट ने कहा कि रुचिका की शिकायत पर धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के इरादे से) और 509 (शब्द, इशारा या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

हरिद्वार में 17-19 दिसंबर की धर्म संसद को लेकर इससे पहले दो एफआईआर दर्ज की गई थी। पहली एफआईआर 23 दिसंबर को हरिद्वार कोतवाली पुलिस स्टेशन में गुलबहार खान की शिकायत पर आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव के लिए हानिकारक कार्य) और 295 ए के तहत दर्ज की गई थी।

इसमें पांच लोगों के नाम थे: नरसिंहानंद, त्यागी और धर्मगुरु धर्मदास महाराज, मां अन्नपूर्णा भारती और सागर सिंधुराज। बाद के तीनों की गिरफ्तारी होनी बाकी है। उनमें से एक, माँ अन्नपूर्णा भारती ने रविवार को हरिद्वार में एक "प्रतिकार सभा" (विरोध सभा) का आयोजन किया, जिसमें उत्तराखंड सरकार पर "जिहादियों" के दबाव में आने का आरोप लगाया।

दूसरी एफआईआर 2 जनवरी को सामाजिक कार्यकर्ता नदीम अली की शिकायत पर दर्ज की गयी थी।

यह एफआईआर, धारा 153ए और 298 (किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्दों का उच्चारण आदि) के तहत दर्ज की गई। हरिद्वार कार्यक्रम में और उसके बाद के दिनों में कथित घृणास्पद भाषणों का उल्लेख किया गया। इसमें त्यागी और अन्य लोगों का नाम है। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। लेकिन अब तक हुई दोनों गिरफ्तारियां सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हुई हैं। 10 जनवरी को कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट में इस मामले में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद नोटिस जारी हुए थे। याचिका में पुलिस की निष्क्रियता, और हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में, हरिद्वार धर्म संसद कार्यक्रम में दिए गए जहरीले भाषणों की जांच की मांग की गई थी।

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