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उत्तराखंड: दिल्ली कूच करने वाले 1000 किसानों पर मुक़दमा दर्ज

उत्तराखंड: दिल्ली कूच करने वाले 1000 किसानों पर मुक़दमा दर्ज

बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बात पर पूरा जोर लगाया हुआ है कि किसी भी क़ीमत पर उनके राज्य से कोई भी किसान दिल्ली तक न पहुंच सके।

बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बात पर पूरा जोर लगाया हुआ है कि किसी भी क़ीमत पर उनके राज्य से कोई भी किसान दिल्ली तक न पहुंच सके। उन्हें रोकने के लिए वो सब किया जा रहा है, जो कोई भी तानाशाह सरकार करती है। 

उत्तराखंड की पुलिस ने राज्य के उधम सिंह नगर से बीते शुक्रवार को दिल्ली कूच करने वाले एक हज़ार से ज़्यादा किसानों पर मुक़दमा दर्ज किया है। इन किसानों का वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हुआ था, जब इन्होंने पुलिस की बैरिकेडिंग को ट्रैक्टर से हटाकर आगे बढ़ने का रास्ता साफ किया था। पुलिस ने इन किसानों को रोकने के लिए तमाम इंतजाम किए थे। 

यही काम हमने तब भी देखा था जब किसान 26 नवंबर को पंजाब से चले थे। किसान शांतिपूर्वक तरीक़े से से दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचकर धरना देना चाहते थे। लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार ने हरियाणा-पंजाब के कई बॉर्डर्स पर सड़कें खुदवा दी थीं, बैरिकेड, जेसीबी, बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए थे। 

ठंड के इस मौसम में किसानों पर आंसू गैस के गोले पानी की बौछारें छोड़ी गयीं, सिर्फ़ इसलिए कि वे दिल्ली न पहुंच सकें। इसलिए पंजाब के किसानों ने पूछा था कि क्या उनका सूबा पाकिस्तान में है, जो उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है। 

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

उधम सिंह नगर जिले के एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने कहा कि इस मामले में जांच की जा रही है और आईपीसी की दंगा फैलाने जैसी गंभीर धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है। 

तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजेंद्र सिंह विर्क ने कहा कि पुलिस ने किसानों के ख़िलाफ़ ग़लत केस दर्ज किया था और ऐसा हमें किसान आंदोलन में शामिल होने से डराने के लिए किया गया लेकिन हम नहीं डरेंगे। 

हत्या के प्रयास का केस

कुछ दिन पहले हरियाणा पुलिस ने 13 किसानों के ख़िलाफ़ इसलिए हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया था क्योंकि उन्होंने अंबाला में राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के काफिले को काले झंडे दिखाए थे और रास्ते को रोकने की कोशिश की थी। इन किसानों पर दंगा फैलाने सहित कई आरोप लगाए गए हैं। 

 - Satya Hindi

सड़कें खोदने के लिए ली अनुमति?

हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए सड़कें खोदने को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने एनएचएआई को एक चिट्ठी लिख कर पूछा है कि क्या हरियाणा पुलिस ने एनएच 44 को खोदने से पहले उससे अनुमति ली थी, क्या सड़क खोदने और उस पर गड्ढे बनाने के काम में एनएचएआई के किसी कर्मचारी की भूमिका रही है, यदि अनुमति नहीं ली गई है तो क्या सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने के लिए हरियाणा पुलिस के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज कराया गया है? गोखले ने कहा है कि यह ग़ैरक़ानूनी है और नेशनल हाईवे एक्ट, 1956 के तहत अपराध है।

यूपी में 50 लाख का नोटिस!

बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में सबसे बुरे हाल हैं। किसान अपने जिलों में प्रदर्शन न कर सकें, दिल्ली कूच न कर सकें इसके लिए पूरे महकमे को अलर्ट पर रखा गया है। कुछ दिन पहले तब बवाल मचा था जब संभल जिले के एसडीएम ने किसान नेताओं को पचास लाख रुपये का पर्सनल बांड भरने का नोटिस भेजा था। किसान नेताओं पर आरोप लगाया था कि वे दिल्ली के किसान आंदोलन को लेकर संभल के किसानों को भड़का रहे हैं। जैसे ही यह बात सोशल मीडिया पर वायरल हुई और यूपी सरकार की फ़जीहत हुई तो सफाई आई कि पचास लाख रुपये की रकम क्लर्क की ग़लती से लिखी गई है और अब इसे कम कर दिया जाएगा। 

कुछ दिन पहले किसानों के फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पेज को ब्लॉक करने का आरोप इन्हें चलाने वाली कंपनियों पर लगा था। लेकिन जब इस मसले पर शोर मचा तो उनके पेजों को चालू करना पड़ा। किसानों की आवाज़ों को दबाने की तमाम कोशिशों के बावजूद टिकरी, सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है और इसे एक महीने से ज़्यादा का वक़्त हो चुका है। 

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