योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में तीन दलित युवकों को निर्वस्त्र कर पिटाई करने का मामला सामने आया है। घटना जौनपुर की है। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में दिख रहा है कि तीन युवकों की बेरहमी से पिटाई की जा रही है। इन तीनों पर एक स्टेशनरी की दुकान में चोरी का प्रयास करने का आरोप है। इस पर पुलिस से कार्रवाई नहीं करवाकर भीड़ ने ही सज़ा देना तय कर लिया। तीनों युवक दलित हैं। वैसे, प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से ही दलितों पर हमले और अत्याचार की ख़बरें लगातार आती रही हैं, इसके बावजूद ऐसी घटनाएँ नहीं रुक रही हैं। ऐसे में कई सवाल उठते हैं। दलितों के साथ ज़्यादती की एक के बाद एक ऐसी घटनाओं के बावजूद सरकार इन्हें रोकने में नाकाम क्यों साबित हो रही है क्या दलितों की पिटाई करने पर ऐसे लोगों को पुलिस कार्रवाई का डर नहीं है
यदि लोगों में क़ानून का ख़ौफ़ होता तो जौनपुर की घटना में जिस बेरहमी से बीच सड़क पर तीनों दलित युवकों की पिटाई की गई, यह उस तरह शायद नहीं होता। घटना की जानकारी सीधे पुलिस को दी जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ‘टाइम्स न्यूज़ डॉट कॉम’ की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय लोगों ने कहा कि दो युवकों को कथित तौर पर शनिवार देर रात दुकान में मालिक ने रंगे हाथों पकड़ा गया, जबकि तीसरे आरोपी को उसके घर से लाया गया था। फिर तीनों युवकों को नग्न कर लात, डंडों और बेल्ट से पीटा गया। पुलिस का कहना है कि वह मामले की जाँच कर रही है।
यह ऐसा पहला मामला नहीं है। ऐसी घटनाएँ जब तब होती रही हैं। 'दलित का घर जला दिया गया', 'दलित की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई', 'सवर्णों के नल से पानी पीने के चलते पीटा गया' और 'दलित दूल्हे को घोड़ी चढ़ने से रोका गया' ऐसी ख़बरें जब तब आती रही हैं। लेकिन सरकार ने कितनी सख़्ती की, इसका अंदाज़ा हर रोज़ कहीं न कहीं घट रही ऐसी घटनाओं से लगाया जा सकता है।
काम करने से इनकार करने पर पीटा था
मुजफ्फरनगर ज़िले के तुगलकपुर गाँव में अगस्त 2018 में एक ऐसा ही मामला सामने आया था। काम करने से इनकार करने पर दो दलितों की कथित तौर पर पिटाई के मामले में तीन लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया था। ‘एनडीटीवी’ की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित ने बताया कि 20 जुलाई को काम करने से इनकार करने पर महक सिंह और दो अन्य ने उसे और उसके चाचा की पिटाई कर दी। हालाँकि, पीड़ित ने बताया कि पुलिस ने आरोपी के ख़िलाफ़ एक मामला दर्ज कर लिया।
मूँछें उख़ाड़ीं, जूते में पेशाब पिलाया था
मई 2018 में बदायूँ ज़िले में वाल्मीकि समाज के एक व्यक्ति के साथ मारपीट कर उसकी मूँछ उखाड़ने और जूते में पेशाब पिलाने का मामला आया था। पुलिस के अनुसार हजरतपुर थाना के आज़मपुर गांव के सीताराम वाल्मीकि ने पुलिस को बताया था कि वह अपने खेत में गेंहू काट रहा था। ऊँची जाति के लोग चाहते थे कि वह पहले उनके खेत का गेहूं काटे। वाल्मीकि के मुताबिक़ ‘मना करने पर उन लोगों ने खेत में ही पिटाई की और गाँव ले गए और पेड़ से बांधकर उससे मारपीट की और जूते में पेशाब पिलाई। इसके अलावा उसकी मूँछे भी उखाड़ ली थीं।’ हालाँकि शिकायत के बाद चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। तब लापरवाही बरतने के आरोप में संबंधित थाने के प्रभारी को निलंबित भी कर दिया गया था।
दूल्हे की बारात नहीं चढ़ने दी थी
मथुरा जनपद के नौहझील थाना क्षेत्र के एक गाँव में फ़रवरी 2019 में ही कुछ दबंगों ने अनुसूचित जाति की युवती की शादी में दूल्हे की बारात नहीं चढ़ने दी थी। बाद में बिना बारात चढ़ाए ही शादी हुई थी। पीरगढ़ी टप्पा गाँव के जाटव महेश कुमार की शादी मुसमुना गाँव में वाल्मीकि समाज की एक लड़की के साथ रविवार को होनी थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि इसी दौरान कुछ ब्राह्मणों ने दूल्हे की बारात निकलने नहीं दी। बारात के साथ रहे दुल्हन के परिजनों ने बताया कि ‘उन्होंने विवाह स्थल से कुछ 500 मीटर पहले एक ट्रैक्टर ट्रॉली को देखा, जिससे रास्ता रोका गया था। हटाने का निवेदन करने पर जाति को लेकर गाली दी और परिवार के लोगों के साथ बदतमीजी की।’
देश भर में दलितों पर अत्याचार
ऐसी घटनाएँ सिर्फ़ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश भर में होती हैं। एक सामाजिक अध्ययन में कहा गया है कि दलित अभी भी देश भर के गाँवों में कम से कम 46 तरह के बहिष्कारों का सामना करता है। जिसमें पानी लेने से लेकर मंदिरों में घुसने तक के मामले शामिल हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के खैरलांजी, आंध्र प्रदेश के हैदराबाद, गुजरात के ऊना, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर, राजस्थान के डेल्टा मेघवाल में ऐसे कई मामले हुए हैं जिसमें दलितों के साथ असमानता, अन्याय और भेदभाव वाला व्यवहार हुआ है।
दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएच.डी छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी, 2016 की रात फाँसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। रोहित सहित विश्वविद्यालय के पाँच दलित छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया गया था। 25 साल के रोहित गुंटुर ज़िले के रहने वाले थे और विज्ञान तकनीक और सोशल स्टडीज़ में दो साल से पीएचडी कर रहे थे।
ऊना में भी दलितों को पीटा गया था
ऊना तालुका के मोटा समधियाना गाँव में 10 जुलाई 2016 की रात एक मरी हुई गाय की खाल निकाल रहे दलितों को स्थानीय लोगों ने गोहत्या के आरोप में पकड़ लिया, उन्हें बाँधा और बुरी तरह पीटा। इस घटना ने पूरे देश में एक बहस को जन्म दिया।
एक भीमा कोरेगाँव का उदाहरण भी सामने है। दिसंबर 2017 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव में दलितों पर हमले हुए, आगजनी और हिंसा हुई और पुलिस ने उन्हें ही गिरफ़्तार भी किया।