संजय निषाद की नाराज़गी का डर, आरक्षण पर योगी सरकार का केंद्र को पत्र

10:56 am Dec 21, 2021 | सत्य ब्यूरो

निषादों के आरक्षण को लेकर कोई क़दम न उठाने पर बीजेपी को चेता चुके निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद की नाराज़गी से शायद बीजेपी डर गई है। इसलिए योगी सरकार ने भारत के रजिस्ट्रार जनरल और भारत के जनगणना आयुक्त को पत्र लिखकर उनसे अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के तहत निषाद समुदाय को आरक्षण देने पर सलाह मांगी है। 

संजय निषाद निषादों के अलावा मझवार, केवट और मल्लाह समुदायों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने और उसी के अनुसार उनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग का मुद्दा उठाते रहे हैं। 

संजय निषाद ने कुछ दिन पहले बीजेपी के साथ लखनऊ में रैली की थी। लेकिन मछुआ आरक्षण को लेकर कोई घोषणा नहीं करने पर उन्होंने नाराज़गी जताई थी। उन्होंने बीजेपी से कहा था कि वह मछुआरों के आरक्षण को लेकर जल्द कोई फ़ैसला करे। इसके बाद योगी सरकार ने यह पत्र भेजा है। 

पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की सूची के क्रमांक 53 पर मझवार जाति का उल्लेख है और मझवार जाति के लोग माझी, मझवार, केवट, मल्लाह और निषाद उपनामों का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से उन्हें अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जाते। 

संजय निषाद ने मांग की थी कि मझवार जाति के उपनाम वाले सभी लोगों को भी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। इसी को लेकर राज्य सरकार ने जनगणणा आयुक्त को यह पत्र लिखा है। 

इस पत्र को भेजे जाने पर संजय निषाद ने बीजेपी नेतृत्व और योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा है कि निषाद समुदाय अपनी मांग को लेकर लंबे वक़्त से लड़ाई लड़ रहा है और निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण दिया जाना उनकी पार्टी की पहली मांग है। 

पूर्वांचल में है असर  

निषाद समाज (मल्लाह) के ज़्यादातर लोग मछली पकड़ने के काम से जुड़े हैं। गोरखपुर में इस समाज की तादाद 15 फ़ीसदी से ज़्यादा है। इसके अलावा महाराजगंज, जौनपुर और पूर्वांचल के कुछ और इलाक़ों में भी निषाद वोटरों का अच्छा प्रभाव माना जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 13 फ़ीसदी मानी जाती है।