यूपी में कुछ ही महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की भूमिका को आसानी से खारिज कर देने वालों के लिए ज़िलों-ज़िलों में तिरंगा ले प्रभातफेरी निकाल रहे कार्यकर्ता अचरज पैदा कर रहे हैं। महात्मा गांधी के आह्वान पर शुरू हुई प्रभातफेरी की परंपरा एक बार फिर से यूपी कांग्रेस ने अपनायी है। अचानक से बिना चुनाव सड़कों-गलियों में ‘आओ रे, नौजवान गाओ रे’ का गीत गाते हुए सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता नज़र आ रहे हैं। तीन दशकों के लंबे हाइबरनेशन के बाद गाँवों में कांग्रेसी कार्यकर्ता दोपहिया वाहनों पर पार्टी झंडा लगाए हुए दिख रहे हैं। प्रदेश के मंडलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं और ख़ुद प्रियंका गांधी ज़मीनी कार्यकर्ताओं से संवाद कर रही हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनावों से चंद रोज पहले यूपी कांग्रेस की प्रभारी बनाई गयी प्रियंका गांधी ने उम्मीद से कहीं कमतर प्रदर्शन के बाद बीमारी की जड़ पहचान इलाज शुरू किया। संगठन की मज़बूती के लिए गाँवों, कस्बों व शहरों में कांग्रेस का कैडर खड़ा करने की कवायद शुरू की गयी। बीच-बीच में ख़ुद प्रियंका गांधी सोनभद्र, उन्नाव, हाथरस जैसे मामलों में सड़कों पर पस्त कार्यकर्ताओं में जोश भरती रहीं।
य़ूपी में लगभग 40 साल के बाद कांग्रेस ने न्याय पंचायत स्तर पर संगठन खड़ा किया है तो तीन दशक के बाद ब्लॉक स्तर पर संगठन बना है।
गांधी की कांग्रेस को याद!
स्वतंत्रता सेनानी रहे गिरजाशंकर तिवारी बताते हैं कि कभी गांधी जी के आह्वान पर प्रभातफेरी निकलती और कांग्रेसी कार्यकर्ता सुबह सुबह ‘उठो सोने वालों सवेरा हुआ है, वतन के फकीरों का फेरा हुआ है…’ जैसे गीत गाकर लोगों को जगाते। एक बार फिर से वही देख कर लगता है कि कांग्रेस जनता से जुड़ने की दिशा में कुछ तो कर रही है। यूपी कांग्रेस में मीडिया संयोजक ललन कुमार कहते हैं, ‘लखनऊ में जुग्गौर में प्रभात फेरी निकली तो सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हो गए और जनता ने खुले दिल से स्वागत किया।’
कांग्रेस मीडिया संयोजक का कहना है कि लोगों का उत्साह देख कर अब ये समय समय पर निकाली जाएगी और जनता में अलख जगाएँगे। कांग्रेस का इन दिनों ब्लॉक स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसे प्रियंका गांधी संबोधित करती हैं।
प्रदेश के 831 ब्लॉकों में खड़ा किया संगठन
यूपी में लंबे समय से सत्ता में रहने और बाहर होने पर भी कांग्रेस के संगठन का मतलब प्रदेश और ज़िला-शहर कमेटियाँ ही रह गयी थीं। ब्लॉक के स्तर पर नाम के पदाधिकारी बनाए भी जाते थे तो वो कागजों पर। पहली बार 30 से ज़्यादा सालों के बाद प्रदेश के स्तर पर ब्लॉकों में संगठन खड़ा करने की पहल शुरू की गयी। यूपी कांग्रेस के संगठन सचिव अनिल यादव बताते हैं कि आज पूरे प्रदेश के सभी 831 ब्लॉकों में कवायद पूरी हो चुकी है और अब सम्मेलनों का आयोजन कर प्रियंका गांधी इनसे संवाद कर रही हैं। उनका कहना है कि ब्लॉकों के पदाधिकारियों का पूरा ब्योरा एक क्लिक पर उपलब्ध है और महज चंद घंटों के नोटिस पर पूरे प्रदेश के सभी ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों की बैठक हो जाती है। अनिल के मुताबिक़ ब्लॉक अध्यक्ष बनाए गए हैं और प्रदर्शन के आधार पर जिसे कमजोर पाया उसे बदला भी है। ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों को बाक़ायदा एक किट बैग दिया जा रहा है जिसमें सभी तरह की जानकारी मौजूद रहेगी।
न्याय पंचायतों तक पहुँची कांग्रेस
अनिल यादव बताते हैं कि सबसे मुश्किल काम था न्याय पंचायत स्तर पर संगठन खड़ा करना जिसमें छह महीने से ज़्यादा का वक़्त लगा। आज कांग्रेस ने यूपी के 8134 न्याय पंचायतों में से 7675 में अपना संगठन बना लिया है। इन न्याय पंचायतों में जो भी पदाधिकारी बनाए गए हैं उनका वेरिफिकेशन भी कर लिया गया है। अनिल के मुताबिक़ सभी न्याय पंचायतों के पदाधिकारियों का ब्योरा प्रदेश कार्यालय में कंप्यूटर में दर्ज है और उनसे सतत संपर्क किया जाता है।
बलरामपुर ज़िले के पुराने कांग्रेसी नेता एसवी सिंह बताते हैं कि पिछले 40 सालों में तो उन्होंने न्याय पंचायत स्तर पर संगठन बनते नहीं देखा। पहली बार देखा गया कि कांग्रेस के प्रदेश और यहाँ तक कि राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी न्याय पंचायतों में पहुँच रहे हैं।
कितनी मदद मिलेगी विधानसभा चुनावों में?
कैडर बिल्डिंग की इस कवायद का कितना लाभ कांग्रेस के आने वाले विधानसभा चुनावों में मिलेगा, यहाँ अभी कहना मुश्किल है पर इतना ज़रूर है कि कम से कम ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी हुई है। संगठन सचिव का कहना है कि विधानसभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन में ब्लॉक से लकर न्याय पंचायत स्तर के संगठन की राय मांगी जा रही है। ज़िला अध्यक्षों से सीधे तौर पर ख़ुद प्रियंका गांधी संभावित प्रत्याशियों के नाम मांग रही हैं। संभावित प्रत्याशियों के नामों पर नीचे के स्तर पर संगठन के लोगों से बात कर परीक्षण होने के बाद कुछ तय किया जाएगा।
प्रियंका के आने से माहौल बदलने की आस
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि ब्लॉक, न्याय पंचायत स्तर पर संगठन के बन जाने के बाद अब इंतज़ार है तो बस प्रियंका गांधी के यूपी में डेरा जमाने का। जिस तरह की तैयारियाँ चल रही हैं उससे साफ़ है कि इसी महीने से प्रियंका गांधी लखनऊ में जम जाएँगी और विधानसभा चुनावों तक बनी रहेंगी। नेताओं का कहना है कि प्रियंका के यूपी में मौजूद रहने से माहौल उनके पक्ष में बदलेगा और निचले स्तर पर संगठन की मौजूदगी का असर भी दिखने लगेगा। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय को भी विधानसभा चुनावों के लिए सजा कर तैयार कर दिया गया है।