हाथरस भगदड़ पर एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने कुछ ही घंटों में छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। रिपोर्ट में आयोजकों, स्थानीय पुलिस और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया है। 855 पन्नों की एसआईटी रिपोर्ट में सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम दोषी पाए गए लोगों में शामिल नहीं है।
हाथरस भगदड़ की जाँच कर रही दो सदस्यीय विशेष जांच टीम यानी एसआईटी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। यह 2 जुलाई को हुई दुर्घटना के मामले में है। इस दुर्घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। एसआईटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने कुछ ही घंटों में छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया। निलंबित अधिकारियों में एसडीएम रवींद्र कुमार, क्षेत्राधिकारी आनंद कुमार, स्टेशन हाउस ऑफिसर आशीष कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार, कचौरा के चौकी प्रभारी मनवीर सिंह और पोरा के चौकी प्रभारी बृजेश पांडे शामिल हैं।
भगदड़ के पीड़ित भोले बाबा द्वारा आयोजित सत्संग में भाग लेने आए थे। पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, धार्मिक समागम में 2.50 लाख से अधिक लोग शामिल हुए, जबकि प्रशासन ने इस आयोजन के लिए 80,000 लोगों को अनुमति दी थी। एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है कि सत्संग आयोजकों ने साक्ष्य छिपाकर और आस-पास के खेतों में उनके अनुयायियों की चप्पलें और अन्य सामान फेंककर कार्यक्रम में लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की।
भगदड़ के तुरंत बाद अपर पुलिस महानिदेशक (आगरा जोन) अनुपम कुलश्रेष्ठ और मंडलायुक्त (अलीगढ़) चैत्रा वी की एसआईटी गठित की गई। इसने 2, 3 और 5 जुलाई को भगदड़ स्थल का निरीक्षण किया।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने बताया कि जाँच के दौरान प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों, आम लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों समेत 125 लोगों के बयान दर्ज किए गए। इसके अलावा, एसआईटी ने समाचार लेखों की प्रतियों, मौके पर मौजूद वीडियोग्राफी, फोटो और वीडियो क्लिप की भी जांच की। एसआईटी रिपोर्ट में साज़िश की संभावना से इनकार नहीं किया गया है। इसका संकेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गहन जांच की सिफारिश करते हुए दिया था।
अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक और तहसील स्तर की पुलिस और प्रशासन को भी दोषी पाया है। एसआईटी ने कहा कि निलंबित अधिकारियों ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया और अपने वरिष्ठों को इसकी जानकारी नहीं दी। एसआईटी ने कहा, 'सिकंदराराऊ के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ने कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किए बिना ही कार्यक्रम की अनुमति दे दी...'।
एसआईटी ने यह भी कहा कि आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति प्राप्त की और अनुमति के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया गया।
एसआईटी ने कहा, 'उन्होंने अप्रत्याशित भीड़ को बुलाने के बावजूद पर्याप्त और सुचारू व्यवस्था नहीं की, न ही उन्होंने कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन किया। आयोजन समिति से जुड़े लोगों को अराजकता फैलाने का दोषी पाया गया है। उचित पुलिस सत्यापन के बिना समिति द्वारा जोड़े गए लोगों ने अव्यवस्था बढ़ाई।'
अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का प्रयास किया।