लोकसभा चुनावों में बुरी तरह पस्त होने के बाद जहाँ राहुल गाँधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने पर अब तक अड़े हुए हैं वहीं उनकी बहन प्रियंका ने हार नहीं मानी है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनायी गयी प्रियंका ने एक बार फिर से मोर्चे पर डटने का फ़ैसला किया है। प्रियंका गाँधी न केवल उत्तर प्रदेश की हारी हुई सीटों की गहन समीक्षा करवा रही हैं, बल्कि संगठन मज़बूत करने की ओर भी ख़ासा ध्यान दे रही हैं। लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के तीन दिनों के भीतर ही टीम प्रियंका के सदस्यों को काम पर लगा दिया गया है। प्रियंका गाँधी की तैयारियाँ उत्तर प्रदेश के आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर हैं जिसके लिए एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम किया जाएगा। प्रियंका गाँधी न केवल इन दिनों कांग्रेस प्रत्याशियों को विभिन्न सीटों पर मिले मतों का ब्यौरा जुटा रही हैं, बल्कि मज़बूत सीटें भी छाँट रही हैं जहाँ पार्टी को एक लाख के आसपास वोट मिले हैं। बीजेपी की तर्ज पर ही प्रियंका गाँधी यूपी की अन्य पिछड़ी जातियों में भी घुसपैठ बनाने की रणनीति तैयार कर रही हैं।
समीक्षा बैठकों से शुरू होगा प्रियंका का ऑपरेशन
लोकसभा चुनावों के नतीजे आने और केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद प्रियंका गाँधी जल्द ही यूपी में सीटवार समीक्षा बैठकें करेंगी। इस बार यह समीक्षा दिल्ली या लखनऊ में न होकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहरों में ही होगी। सबसे पहले इस तरह की समीक्षा बैठक के लिए इलाहाबाद को चुना गया है। पहले तो यह बैठक 7 जून को ही इलाहाबाद में होनी थी और पूर्वी उत्तर प्रदेश की तमाम लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों को इसकी तैयारी के लिए कह दिया गया था, लेकिन अब इसे टाल दिया गया है। टीम प्रियंका के सदस्यों के मुताबिक़ वह पहले अपने पास डाटा बैंक बना लेना चाहती हैं। इस डाटा बैंक में प्रत्याशी को इस बार और पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिले वोटों का ब्यौरा, विधानसभा सीटों के हिसाब से उनका वर्गीकरण, कमज़ोरियाँ, प्रचार के तरीक़े से लेकर स्थानीय संगठन की भूमिका सब कुछ होगा।
प्रियंका गाँधी की दो समीक्षा बैठकें इलाहाबाद और वाराणसी में हो सकती हैं, जबकि तीसरी बैठक राजधानी लखनऊ में होगी। इन समीक्षा बैठकों में हारे हुए प्रत्याशी के साथ, सीट प्रभारी, स्थानीय संगठन के पदाधिकारी, संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और पूर्व सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, ज़िला पंचायत सदस्य, अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी आदि मौजूद रहेंगे।
अच्छे प्रदर्शन वाली विधानसभा सीटों पर ख़ास ध्यान
प्रियंका गाँधी ने अपनी टीम के सदस्यों से उन विधानसभा सीटों की पहचान करने को भी कहा है जहाँ क़रारी हार के बाद भी कांग्रेस को कम से कम 20000 या अधिक वोट मिले हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस तरह की विधानसभाओं में पहले से प्रत्याशी तय कर उन्हें काम करने को कहा जाएगा। इसके अलावा इन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी ज़्यादा से ज़्यादा बड़े नेताओं के कार्यक्रम करने से लेकर जन आंदोलनों तक पर ज़ोर देगी। प्रियंका गाँधी का इरादा उत्तर प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनावों में चुनिंदा सीटों पर फ़ोकस कर वहाँ से बेहतर नतीजे लेने का है। अमेठी-रायबरेली पर ख़ास ज़ोर दिया जा रहा है। अमेठी में अब तक कांग्रेस की कई टीमें भेज कर वहाँ की हार के कारणों का पता लगाने और व्यापक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल की हार के बाद भी अमेठी कांग्रेस नेतृत्व की प्राथमिकताओं में है और आने वाले दिनों में प्रियंका और राहुल वहाँ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गुजारेंगे।
संगठन में होगा व्यापक परिवर्तन, नए लोगों को मौक़ा
लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। हालाँकि उन्हें अभी काम करने को कहा गया है लेकिन केंद्रीय नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है। टीम प्रियंका के सदस्यों की मानें तो प्रदेश में एक नए चेहरे को लाया जा सकता है। संभव है कि नया प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस के परंपरागत नेताओं से बिलकुल अलग हो और अपनी नयी टीम तैयार करे। प्रियंका गाँधी ने लोकसभा चुनावों में कमज़ोर प्रदर्शन और न्याय जैसी योजना के ज़मीन तक न पहुँचने का बड़ा कारण लचर संगठन को माना है।
लिहाज़ा आने वाले दिनों में प्रदेश कांग्रेस से लेकर बड़े शहरों जैसे लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, झांसी, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाज़ियाबाद में संगठन एकदम नया हो सकता है। कांग्रेस नेताओं की मानें तो हाल ही में उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उप-चुनावों में नए चेहरों को उतारा जा सकता है। कांग्रेस अब संगठन से लेकर प्रत्याशियों के मामले में प्रयोग करने से पीछे नहीं हटेगी।
दलबदलुओं से पूछ रहे हैं, कांग्रेस में रहोगे या नहीं
लोकसभा चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर दूसरे दलों से टिकट से वंचित नेताओं ने कांग्रेस का रुख किया था। सपा-बसपा व बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामा था और चुनाव मैदान में उतरे थे। उनमें से ज़्यादातर बुरी तरह से चुनाव हार गए हैं। इनमें पूर्व सांसद रमाकांत यादव, भालचंद्र यादव, राजकिशोर सिंह, बालकुमार पटेल, धीरु सिंह, आर.के. चौधरी, कैसर जहाँ, जासमीर अंसारी, हरगोविंद रावत, राकेश सचान, हरेंद्र मलिक, कुंवर सर्वराज, नियाज अहमद सहित कई बड़े नाम शामिल थे। अब देखना यह होगा कि इनमें से कितने कांग्रेस में टिके रह पाते हैं और कितने वापस कहीं और या पुराने दल में पनाह लेते हैं। प्रियंका की टीम के सदस्य इन दिनों इस बात की भी पड़ताल इन नेताओं से कर रहे हैं कि इनमें से कितने कांग्रेस में बने रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस को स्थाई ठिकाना बनाने वाले कई नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है। आने वाले दिनों में बड़े दलों में हाशिए पर चल रहे कुछ नामी-गिरामी नेताओं को भी कांग्रेस में लाकर उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी दी जा सकती है।