यूपी की निषाद पार्टी रोजाना नया पैंतरा बदल रही है। अब उसने बीजेपी से विधानसभा में 24 सीटें मांगी हैं। हाल ही में निषाद पार्टी और बीजेपी का गठबंधन हुआ है।
निषाद पार्टी ने अब बीजेपी को पूरी तरह दबाव में ले लिया है। पहले उसने निषाद समाज के लिए आरक्षण की मांग की और अब दो दर्जन सीटों की मांग रख दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी से गठबंधन को लेकर निषाद पार्टी बहुत गहरी राजनीति कर रही है। आने वाले दिनों तस्वीर और साफ हो जाएगी।
संजय निषाद की राजनीति
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने 17 दिसम्बर को सम्मेलन आयोजित किया था, जिसे गृहमंत्री अमित शाह ने संबोधित किया था। वहां पर अमित शाह ने आरक्षण को लेकर कोई घोषणा नहीं की।
इसके बाद संजय निषाद ने बीजेपी नेताओं पर दबाव बढ़ाया। यूपी सरकार केंद्र के जनगणना आयुक्त को पत्र लिखने पर मजबूर हुई कि मझवार उपनाम वाले लोगों को अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति दी जाए।
बहुत लंबे समय से निषाद आरक्षण का मामला लटका हुआ है। अखिलेश यादव ने अपने पिछले कार्यकाल में केंद्र सरकार को निषाद, मझवार समेत कई छोटी जातियों के एससी आरक्षण के लिए केंद्र को पत्र लिखा था।
अब मंगलवार को संजय निषाद ने लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान साफ कर दिया कि हमें बीजेपी से अपने कोटे की 24 सीटें चाहिए। अगर हमें पर्याप्त सीटें नहीं मिलीं तो हम गठबंधन पर फिर से विचार करेंगे।
संजय निषाद ने कहा कि उन्हें विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण का मुद्दा सुलझने की उम्मीद है।
गठबंधन पर आ सकती है आंच
निषाद पार्टी के दोनों हाथों में लड्डू है। वह अपने बयानों से बीजेपी आला कमान को चौंकाते रहते हैं और उलझाने वाला बयान देकर कुछ ही देर में वापस भी ले लेते हैं।
फोन टैपिंग को लेकर उन्होंने तीखा बयान दिया और कहा कि चुनाव के मौके पर विपक्षी नेताओं की टैपिंग सही नहीं है। लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने यह बयान वापस ले लिया।
इसी तरह उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को धमकी दी लेकिन फिर बयान वापस ले लिया है।
मंगलवार को उनका बयान सोची समझी रणनीति का हिस्सा है।
अगर बीजेपी ने समझौते के तहत निषाद पार्टी को पर्याप्त सीटें नहीं दीं तो वह समझौता तोड़ सकती है। उसके पास समाजवादी पार्टी से समझौते का रास्ता अभी भी खुला है।
सपा सुप्रीमो ने पहले ही तमाम छोटी पार्टियों को चुनावी समझौते की दावत दे रखी है।
इस तरह संजय निषाद अपने विवादास्पद बयान से राजनीतिक संकेत देते रहते हैं।
मंगलवार को 24 सीटें की मांग करने के साथ ही संजय निषाद ने यह भी कहा कि 17 दिसम्बर की रैली में वह नहीं होना चाहिए था जो हुआ। यानी अमित शाह को आरक्षण के संबंध में कुछ घोषणा करना चाहिए था।
निषाद ने कहा कि अमित शाह से आश्वासन न मिलने पर हमारे कार्यकर्ता और समर्थक नाराज हो गए।
संजय निषाद के बयान पर बीजेपी ने फौरन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन उसे कुछ न कुछ स्थिति साफ करना ही पड़ेगी।