अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नयी मूर्ति स्थापित कर दी गई। यह अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की 51 इंच लंबी मूर्ति है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा से पहले गुरुवार को मूर्ति की स्थापना शुभ समय दोपहर 1.28 बजे की गई। आयोजन के दौरान अनिल मिश्रा, चंपत राय और स्वामी गोविंद गिरी सहित राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य मौजूद थे। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के तहत शुक्रवार को हवन के अनुष्ठान होंगे। इसके लिए मंडप तैयार किया गया है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 'एक्स' पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि अयोध्या में जन्म भूमि स्थित राम मन्दिर में गुरुवार को साढ़े 12 बजे के बाद राममूर्ति का प्रवेश हुआ। दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर यजमान द्वारा प्रधानसंकल्प होने पर वेदमन्त्रों की ध्वनि से वातावरण मंगलमय हुआ। मूर्ति के जलाधिवास तक के कार्य गुरुवार को संपन्न हुए।
मूर्ति स्थापित होने के बाद गर्भगृह को साफ कर पर्दे से ढक दिया गया। केवल यजमान के साथ पूजा करने वाले आचार्य को अनुष्ठानों की अनुमति दी जाएगी। इसके तहत गणेश अंबिका पूजन, वरुण पूजन और वास्तु पूजन से अनुष्ठानों की शुरुआत होगी।
हवन शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे मंडप में शुरू होगा और यह 22 जनवरी तक जारी रहेगा। इसमें से अग्नि का उपयोग मंदिर के नौ कोनों में 'नौ कुंडों' को जलाने के लिए किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने 22 जनवरी को आधे दिन की छुट्टी की घोषणा की है। सरकार के एक सर्कुलर में कहा गया है कि कर्मचारियों को उत्सव में भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि पूरे भारत में सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय, केंद्रीय संस्थान और केंद्रीय औद्योगिक प्रतिष्ठान 14:30 बजे तक आधे दिन के लिए बंद रहेंगे।
वैसे, गर्भगृह में नयी मूर्ति स्थापित करने की संभावना को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को ही कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा था कि आख़िर नव निर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में नयी मूर्ति क्यों लगाई जा रही है?
उन्होंने पूछा था कि आख़िर रामलला विराजमान कहाँ गए जो खुद प्रकट हुए थे। इसके साथ ही शंकराचार्य ने कई सवाल खड़े किए हैं और श्री राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट से जवाब मांगा है।
शंकराचार्य की तरफ से गुरुवार को लिखे गये पत्र में कहा गया था कि उन्हें समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि मंदिर के गर्भगृह में किसी नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है, जबकि रामलला पहले से ही वहां पर मौजूद हैं।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पूछा है कि जो स्वयंभू राम वहां से उत्पन्न हुए हैं, उस मूर्ति का क्या होगा? उन्होंने पत्र में लिखा है, 'अभी तक राम भक्त यही समझते थे कि यह नया मंदिर श्रीरामलला विराजमान के लिए बनाया जा रहा है, लेकिन अब किसी नयी मूर्ति के निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठा के लिए लाये जाने पर आशंका प्रकट हो रही है कि कहीं इससे श्रीरामलला विराजमान की उपेक्षा न हो जाए।'
शंकराचार्य ने पत्र में लिखा है, 'स्यवंभू, देव असुर अथवा प्राचीन पूर्वजों द्वारा स्थापित मूर्ति के खंडित होने पर भी उसके बदले नयी मूर्ति नहीं स्थापित की जा सकती है। बदरीनाथ और विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग इसके प्रमाण हैं।' शंकराचार्य ने दो पन्नों के पत्र में ट्रस्ट से इस पत्र का जवाब देने का आग्रह भी किया है।
बता दें कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लगातार राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लेकर नाराज हैं। दो शंकराचार्य इसे धर्म सम्मत नहीं मान रहे हैं। दोनों शंकराचार्यों का यही मत है कि फिलहाल वह राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाएंगे। अविमुक्तेश्वरानंद लगातार कह रहे हैं कि मंदिर अभी अधूरा है, ऐसे में मंदिर में मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकती। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कई धार्मिक ग्रंथों का हवाला देकर 22 जनवरी को होने जा रहे इस कार्यक्रम को लेकर ट्रस्ट से पहले ही अनेकों सवाल पूछ चुके हैं।