उत्तर प्रदेश की सियासत इस साल जनवरी के सर्द महीने में तब खासी गर्म हो गई थी जब गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अफ़सर अरविंद कुमार शर्मा को बीजेपी में शामिल किया गया था। तब यह चर्चा जोर-शोर से उठी थी कि शर्मा को योगी कैबिनेट में न सिर्फ़ शामिल किया जाएगा बल्कि वह डिप्टी सीएम भी बनेंगे। शामिल होते ही शर्मा को एमएलसी भी बना दिया गया था।
जनवरी में गर्म हुई सियासत कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते कुछ ठंडी पड़ गई थी लेकिन अब फिर ये यह चर्चा जोरों पर है शर्मा डिप्टी सीएम बनेंगे।
मोदी के चहते अफ़सर हैं शर्मा
यहां ये बताना बेहद ज़रूरी है कि शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते अफ़सरों में शामिल रहे हैं और कहा जाता है कि समय से पहले उनके रिटायरमेंट के पीछे कारण यही है कि उन्हें इस खास मिशन के लिए उत्तर प्रदेश भेजा गया है कि उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलानी है। इस बात को बीजेपी नेता खुलेआम स्वीकार भी करते हैं।
देखिए, यूपी के राजनीतिक हालात पर चर्चा-
नहीं आए थे योगी
लेकिन शर्मा के बीजेपी में शामिल होने वाले दिन एक बात राजनीतिक विश्लेषकों को बहुत अख़री। यह बात थी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ग़ैर-मौजूदगी। ऐसा शख़्स जिसके बारे में कहा गया कि उन्हें ख़ुद मोदी ने भेजा है, उसके पार्टी में शामिल होने के मौक़े पर योगी क्यों नहीं आए। हालांकि इस मौक़े पर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा मौजूद रहे थे।
तब यह चर्चा भी जोर-शोर से हुई थी कि अरविंद कुमार शर्मा ने योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा था लेकिन योगी ने उन्हें तीन दिन तक वक़्त ही नहीं दिया था। हालांकि इसके बाद दोनों की मुलाक़ात हुई लेकिन योगी का संदेश साफ था कि वह किसी नौकरशाह को उनके काम में दख़ल नहीं देने देंगे।
उत्तर प्रदेश में जल्द ही कैबिनेट का विस्तार होना है और चुनाव से पहले शर्मा सहित कुछ नए चेहरों के कैबिनेट में शामिल होने और कुछ की विदाई होने की चर्चा है।
उत्तर प्रदेश के मऊ में जन्मे और भूमिहार बिरादरी से आने वाले 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अफ़सर अरविंद कुमार शर्मा गुजरात में मोदी के ख़ास अफ़सरों में शुमार थे। जब मोदी दिल्ली आए तो उन्हें भी साथ ले आए। शर्मा गुजरात में मोदी के सचिव थे तो पीएमओ में अतिरिक्त सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं।
‘वाराणसी मॉडल’ की तारीफ़
कोरोना काल में भी मोदी ने शर्मा को वाराणसी के हालात संभालने को कहा था और हाल ही में उनके ‘वाराणसी मॉडल’ की तारीफ़ भी की थी क्योंकि वाराणसी में संक्रमण के मामले कम होने लगे हैं। कहा जा रहा है कि शर्मा ने इस दौरान कोरोना की टेस्टिंग, वैक्सीनेशन, ऑक्सीजन, आईसीयू बेड्स के मामले में बेहतर काम किया है।
शर्मा को मोदी ने मिशन 2022 और कामकाज सुधारने के लिए ही उत्तर प्रदेश में भेजा है। लेकिन यहां बीजेपी के लिए परेशानी यह है कि योगी आदित्यनाथ की जिस तरह की कार्यशैली है, उसमें वह नहीं चाहेंगे कि राज्य में सत्ता का केंद्र कोई और बने।
गृह विभाग को लेकर किचकिच
पिछले साढ़े चार में यूपी सरकार को देखकर साफ लगता है कि योगी अकेले चलने में भरोसा करते हैं और उन्होंने यूपी में अपना क़द बाक़ी नेताओं से बढ़ा कर लिया है। बताया जाता है कि राज्य के गृह विभाग को लेकर भी कुछ किचकिच है। योगी गृह विभाग नहीं देना चाहते लेकिन ऊपर से निर्देश है कि यह विभाग शर्मा को दिया जाए।
मौर्या और शर्मा परेशान!
बीजेपी के लिए एक मुश्किल और है। वह यह कि 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में दो डिप्टी सीएम तो चल सकते हैं लेकिन तीन डिप्टी सीएम होना थोड़ा अखरेगा। तो किसी एक डिप्टी सीएम यानी केशव प्रसाद मौर्य या दिनेश शर्मा को हटाना होगा। बताया जाता है कि मौर्य को दिल्ली बुलाने की चर्चा है लेकिन इससे भी बड़ी मुश्किल इस बात की है कि क्या योगी आदित्यनाथ अरविंद कुमार शर्मा के साथ तालमेल बैठा पाएंगे। उत्तर प्रदेश की सियासत में राजनीतिक विश्लेषकों की नज़रें इसी पर टिकी हुई हैं।