मायावती ने यूपी के मदरसों का मुद्दा फिर क्यों उठाया

04:51 pm Oct 26, 2022 | सत्य ब्यूरो

बीएसपी प्रमुख मायावती अब लगातार यूपी के मुसलमानों से जुड़े मुद्दे उठा रही है। उन्होंने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का मुद्दा फिर से उठाया है। इस बार उनकी भाषा तीखी है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब यूपी सरकार ने सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े मदरसे दारुल उलूम देवबंद को अवैध घोषित कर दिया। हालांकि यह मदरसा अंग्रेजों के समय से कायम है, देश की आजादी की लड़ाई में इसका बड़ा योगदान रहा है। लेकिन यूपी की बीजेपी सरकार ने सारे तथ्यों को दरकिनार कर इतने बड़े मदरसे को अवैध घोषित किया है। यूपी में 7500 निजी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त पाया गया है।  

मायावती ने यूपी सरकार के एक सर्वे का उल्लेख करते हुए बुधवार को पूछा कि क्या राज्य अब इन्हें अपनी अनुदान सूची में शामिल करेगा और उन्हें अपने दायरे में लाएगा। बता दें कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले महीने राज्य के सभी निजी मदरसों के सर्वे का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि इसके आधार पर इन संस्थानों में आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

मायावती ने कहा, राज्य सरकार ने एक विशेष टीम बनाकर लोगों के चंदे पर निर्भर निजी मदरसों के बहुप्रचारित सर्वे का काम पूरा कर लिया है और इसके अनुसार, 7,500 से अधिक 'गैर-मान्यता प्राप्त' मदरसे गरीब बच्चों को शिक्षा देने में लगे हुए हैं। ये गैर सरकारी मदरसे सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहते, फिर दखल क्यों?

राज्य के सभी 75 जिलों में सर्वे लगभग पूरा हो चुका है। मदरसों के सर्वे के लिए गठित टीमें अतिरिक्त जिलाधिकारी के माध्यम से 31 अक्टूबर तक जिलाधिकारियों को अपनी रिपोर्ट देने वाली हैं।

बीएसपी प्रमुख ने कहा जबकि मदरसा बोर्ड द्वारा संचालित सरकारी मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन के लिए विशेष रूप से बजट प्रावधान के लिए एक सर्वे किया जाता है, क्या उत्तर प्रदेश सरकार इन निजी मदरसों को अपनी अनुदान सूची में शामिल करेगी और उन्हें सरकारी मदरसा बनाएगी?मायावती ने दावा किया कि बीएसपी सरकार ऐसे 100 मदरसों को बोर्ड के दायरे में लाई थी।

मायावती ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, पहले मदरसों के आधुनिकीकरण के नाम पर छात्रों को उनकी पसंद की उच्च शिक्षा सुनिश्चित करने के बजाय उन्हें ड्राइविंग और मैकेनिक, बढ़ई के काम की ट्रेनिंग दी जाती थी। अब देखिए बीजेपी सरकार में इनका क्या होता है?

उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और अन्य सभी राज्यों में सरकारी स्कूलों के साथ-साथ शिक्षा प्रणाली, जो बद से बदतर होती जा रही है, किसी से छिपी नहीं है। फिर भी सरकारें लापरवाह और उदासीन हैं क्योंकि ज्यादातर गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चे वहां पढ़ते हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब मायावती ने मदरसों का मुद्दा उठाया है। इससे पहले वो इनके सर्वे का भी विरोध कर चुकी हैं। दरअसल, सपा से पश्चिमी यूपी के प्रमुख मुस्लिम नेता इमरान मसूद को बीएसपी में लाने के बाद मायावती मुसलमानों को लेकर लगातार रणनीतिक बयान दे रही हैं। वो 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में लाना चाहती हैं, इसलिए वो मुसलमानों से जुड़े हर मुद्दे उठा रही हैं।

 इमरान मसूद सहारनपुर के रहने वाले हैं। वहीं देवबंद कस्बे में दारुल उलूम है। सहारनपुर जिले में 754 मदरसे जिला प्रशासन के पास रजिस्टर्ड हैं। प्रशासन का कहना है कि इनमें से 306 मदरसे अवैध हैं। जिसमें दारुल उलूम देवबंद शामिल है। दारुल उलूम देवबंद काफी हद तक सुन्नी मुस्लिमों के विचारों को प्रभावित करता है। इसीलिए मायावती ने यूं ही नहीं इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की है।