लखीमपुर खीरी: बरसी पर किसानों ने किया जोरदार प्रदर्शन

03:42 pm Oct 03, 2022 | सत्य ब्यूरो

लखीमपुर खीरी में बीते साल 3 अक्टूबर को हुए दर्दनाक हादसे का एक साल पूरा होने पर देशभर में कई जगहों पर किसानों ने प्रदर्शन किया है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने लखीमपुर के अलावा फर्रुखाबाद, आजमगढ़, बुलंदशहर सहित उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन किया है। 

लखीमपुर खीरी की घटना में किसानों को गाड़ियों से रौंद दिया गया था। घटना में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 4 किसान भी थे। किसानों के साथ ही बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा, श्याम सुंदर निषाद और हरि ओम मिश्रा की भीड़ ने जान ले ली थी। एक पत्रकार की भी मौत इस घटना में हुई थी। 

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि इस घटना के 1 साल बाद भी पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल सका है। सोमवार को उन्होंने पीड़ित परिवारों के परिजनों से मुलाकात की। लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के कौडियाला घाट गुरुद्वारे में बरसी को लेकर कार्यक्रम किया गया। 

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी समेत संयुक्त किसान मोर्चा की सभी मांगों का फिर से समर्थन करती है। 

टेनी को हटाने की मांग 

लखीमपुर खीरी मामले में जांच के लिए बनी एसआईटी ने कहा था कि यह घटना किसानों की हत्या करने की सोची-समझी साजिश थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार, किसानों और विपक्ष के दबाव के बाद मामले के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को तो पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था। लेकिन आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की मोदी कैबिनेट से बर्खास्तगी की मांग को लेकर किसान और विपक्ष के लगातार आवाज़ उठाने के बाद भी अजय मिश्रा को कैबिनेट से बर्खास्त नहीं किया गया। 

इस मांग को लेकर किसानों ने कुछ महीने पहले लखीमपुर खीरी में 75 घंटे तक धरना दिया था। टेनी को मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग किसान बीते साल अक्टूबर से करते रहे हैं।

पुलिस ने इस मामले में 5000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में जमा की थी। पुलिस ने चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य अभियुक्त बनाया था। आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में उन्हें बीते साल 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। इस साल फरवरी में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष को जमानत दे दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी। 

केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी लगातार इस बात को कहते रहे थे  कि वारदात के दौरान उनका बेटा वहां मौजूद नहीं था और वह दंगल के आयोजन स्थल पर था। आशीष मिश्रा ने भी इस बात को कहा था कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। लेकिन चार्जशीट में कहा गया था कि आशीष मिश्रा घटनास्थल पर मौजूद था और उसने फायरिंग की थी। 

बताना होगा कि कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के तमाम बॉर्डर्स पर जोरदार आंदोलन किया था। इस दौरान बड़ी संख्या में गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसान लगभग 1 साल तक बैठे रहे थे। किसानों के आंदोलन से उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले सियासी नुकसान की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने बीते साल नवंबर में कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।