लखीमपुर: पत्रकार परिवार पर 'पिटाई से मौत' का बयान देने का दबाव क्यों?

12:33 pm Oct 07, 2021 | सत्य ब्यूरो

लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के परिवार पर क्या बयान बदलने का दबाव है? क्या उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है? ये सवाल इसलिए कि उनके परिवार वालों का ऐसा आरोप है। रमन की मौत के लिए उनके परिवार वालों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे को ज़िम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि उनकी शिकायत के बावजूद न तो कोई एफ़आईआर दर्ज की गई है और न ही उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की कॉपी उन्हें दी गई है। इसके साथ ही वे कहते हैं कि उनपर पुलिस का भी दबाव था।

परिजनों का यह बयान काफ़ी अहम इसलिए है कि पहले कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि रमन रविवार को हुई बाद की हिंसा में मारे गए थे। उन रिपोर्टों को खारिज करते हुए रमन के परिवार वाले कहते हैं कि रमन के शरीर पर कहीं लाठी-डंडे मारे जाने के चोट के निशान नहीं थे। रमन की मौत कैसे हुई, इस बारे में पुलिस अभी तक कोई जानकारी नहीं दे पाई है।

लखीमपुर खीरी में रविवार को 8 लोग मारे गए थे। इनमें से चार किसान थे और किसानों का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे ने उन्हें कार से कुचला। रिपोर्ट है कि बाक़ी के चार लोग हिंसा में मारे गए थे। समझा जाता है कि रौंदे जाने के बाद किसानों में ग़ुस्सा फूटा था और फिर हिंसा हुई थी। बाक़ी के चार लोग जो मारे गए थे उन्हीं में रमन का नाम जोड़ा जा रहा था। लेकिन परिजनों ने दावा किया है कि रमन के शरीर पर गाड़ी के टायर चढ़ने के निशान थे। उन्होंने कहा है कि वह पहले किसान थे और बाद में पत्रकार।

इस घटना को लेकर रमन कश्यप के परिवार का मीडिया में लगातार बयान आ रहा है। उनका ताज़ा बयान 'द इंडियन एक्सप्रेस' में आया है। शरीर पर निशानों को देखते हुए वे मानते ​​​​हैं कि 35 वर्षीय अमन पहियों के नीचे आने वालों में से एक थे। 

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार कश्यप के 32 वर्षीय भाई पवन कहते हैं कि वे इस बात से स्तब्ध थे कि कुछ 'बिकाऊ' चैनल वास्तविक घटना को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'जो वीडियो वायरल है उसमें सब कुछ दिखाता है। एसयूवी की चपेट में आने से मेरे भाई की मौत हो गई। उसके शरीर पर कार के पहिए के निशान थे। यह कैसे हुआ यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उसकी मौत कैसे हुई इसमें कोई शक नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें मंत्री के बेटे की कारों ने कुचल दिया था।' 

जिस वीडियो की बात पवन कर रहे हैं उसका अब साफ़ वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। उसे ख़ुद बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने शेयर किया है। 

वीडियो में दिखता है कि किसानों ने न तो कोई हिंसा की थी और न ही उन्होंने मंत्री की गाड़ी पर कोई हमला किया था। किसान निहत्थे और शांतिपूर्ण तरीक़े से आगे बढ़ रहे थे। वीडियो में दिखता है कि तेज़ गति से आती काली एसयूवी महिंद्र थार किसानों को पीछे से रौंदती हुई आगे निकल जाती है। यह वही गाड़ी है जिसको केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी अपनी मान चुके हैं। फिर चारों तरफ़ चीख मचती है।

पवन कहते हैं कि उनके भाई किसानों के प्रदर्शन को कवर कर रहे थे और इसी बीच वो गाड़ियाँ रमन पर भी चढ़ गईं। वह कहते हैं कि वह शुरू से ही ऐसा कह रहे हैं, लेकिन 'कुछ चैनलों ने हमारे बयानों को संपादित किया और तोड़ा मरोड़ा है।'

उनके किसान पिता राम दुलारे कश्यप ने सोमवार को निघासन पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दी जिसमें कहा गया है कि आशीष से जुड़ी एक कार से रमन की मौत हो गई, और उन्हें भी 'गोली मार दी गई'।

शिकायत में यह भी लिखा गया है कि 'प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पत्रकार को कवर करते समय गोली मार दी गई थी। फुटेज में गोलियों की आवाज भी सुनी जा सकती है।' निघासन एसएचओ राम लखन ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि शिकायत तिकुनिया पुलिस स्टेशन को भेज दी गई है। उन्होंने कहा, 'आगे की कार्रवाई और जांच वहां की जाएगी।'

न्यूज़ लाउंड्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, पवन कश्यप कहते हैं, 'बीजेपी अब नैरेटिव बदलने की कोशिश कर रही है। पुलिस यह शिकायत दर्ज कराने के लिए मुझ पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है कि मेरे भाई को पीटा गया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।'

रिपोर्ट के अनुसार, पवन ने आरोप लगाया कि पांच अक्टूबर को जब वह तिकुनिया थाने में प्राथमिकी की कॉपी की मांग करने गये तो थाना प्रभारी बलेंद्र गौतम ने उन पर अपने भाई का नाम किसानों द्वारा दर्ज प्राथमिकी से बदलकर बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में जोड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।

पवन ने कहा, 'वह कहते रहे कि मेरे भाई को डंडों और लाठियों से पीटा गया, लेकिन यह सच नहीं है।' पवन ने कहा, 'मैंने अपने भाई का शव देखा है। सड़क पर किसी वाहन द्वारा घसीटे जाने के निशान थे। उसकी चमड़ी में बजरी धंसी हुई थी और खून था।' हालाँकि बलेंद्र गौतम ने इन आरोपों को खारिज किया है।

पवन ने कहा, 'बीजेपी के सदस्य मेरे भाई का नाम अपनी प्राथमिकी में शामिल करना चाहते हैं ताकि यह दिखाया जा सके कि दोनों पक्षों में समान संख्या में मौतें हुई हैं।'