MLC चुनाव: बीजेपी ने मौर्य सहित सात मंत्रियों को दिया टिकट

02:17 pm Jun 08, 2022 | सत्य ब्यूरो

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के चुनाव के लिए 9 उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। बुधवार को किए गए एलान में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित सात मंत्रियों को टिकट दिया गया है।

केशव प्रसाद मौर्य विधानसभा का चुनाव हार गए थे और इसी तरह अन्य छह नेता भी जिन्हें मंत्री बनाया गया था, उनके लिए विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी था। ऐसे में यह तय था बीजेपी इन नेताओं को विधान परिषद भेजेगी।

हालांकि केशव प्रसाद मौर्य और चौधरी भूपेंद्र सिंह अभी विधान परिषद के सदस्य हैं लेकिन उनका कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इससे पहले विधान परिषद के सदस्य थे लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।

बीजेपी ने जिन नेताओं को उम्मीदवार बनाया है उनमें मौर्य के अलावा चौधरी भूपेंद्र सिंह, दयाशंकर मिश्र दयालु, जेपीएस राठौर, नरेंद्र कश्यप, जसवंत सैनी, दानिश आजाद अंसारी, बनवारीलाल दोहरे और मुकेश शर्मा का नाम शामिल है।

अपर्णा यादव को नहीं मिला मौका

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुईं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव का भी नाम संभावित उम्मीदवारों में माना जा रहा था लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया है।

विधान परिषद में 13 सीटों पर चुनाव होना है और इसमें से 9 सीटें बीजेपी के जबकि 4 सीटें सपा के खाते में जानी तय मानी जा रही हैं। इन सभी सीटों पर 20 जून को वोटिंग होगी। नामांकन भरने की अंतिम तारीख 9 जून है। 

अप्रैल में विधान परिषद की 36 सीटों के लिए चुनाव हुआ था जिसमें से बीजेपी को 33 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई थी। सपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी।

शून्य हो जाएगी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर सिमट जाने वाली कांग्रेस अब विधान परिषद में शून्य होने जा रही है। साल 1935 में विधान परिषद के गठन के बाद यह पहला मौका होगा जब इस सदन में कांग्रेस का कोई भी नेता मौजूद नहीं होगा। सदन में कांग्रेस के अकेले एमएलसी दीपक सिंह 6 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। 

निश्चित रूप से बेहद खराब हालात से गुजर रही कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में शून्य हो जाना एक और बुरी खबर है।