दलितों, ओबीसी को रिझाने के लिए महाकुंभ का इस्तेमाल कर रही बीजेपी?
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने महाकुंभ को 'सामाजिक समता का महापर्व' कहा है। यूपी सरकार ने महाकुंभ के लिए कुछ पोस्टर भी जारी किए हैं। इनमें से एक पोस्टर में प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर में हाल ही में उद्घाटन किए गए निषाद राज पार्क में निषाद राज के साथ भगवान राम की कांस्य प्रतिमा की तस्वीर है। एक अन्य आधिकारिक पोस्टर में प्रयागराज में आयोजित 2019 कुंभ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफाई कर्मचारियों के पैर धोने की तस्वीर है। बीजेपी इससे क्या संकेत देना चाहती है?
भगवान राम के साथ निषाद राज की प्रतिमा स्थापित करने के फ़ैसले को जाहिर तौर पर निषाद समाज को ध्यान में रखकर लिया गया फ़ैसला माना जा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा सफाई कर्मचारियों के पैर धोने वाली तस्वीर को दलितों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है।
बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी और अपना दल (सोनेलाल) जैसे एनडीए के सहयोगी अब बीजेपी से नाराजगी के संकेत दे रहे हैं। निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद आदित्यनाथ कैबिनेट में मंत्री हैं, उनकी पार्टी निषाद समुदाय पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे में जब हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए का प्रदर्शन ख़राब रहा है, यह पार्टी के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को यूपी में झटका लगा है। वह समाजवादी पार्टी की 37 सीटों के मुकाबले सिर्फ 33 सीटें ही जीत पाई। भाजपा की हार का कारण राज्य में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी दल में दलितों और ओबीसी वोटों का शिफ़्ट होना बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि यदि ऐसा ही हाल रहा तो आगे आने वाले चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
यही कारण है कि बीजेपी का जोर अब दलितों और ओबीसी को अपने पाले में लाने का है। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दलितों और निषादों को लुभाने की पार्टी की कोशिश अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में 5 फरवरी को होने वाले अहम उपचुनाव के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण होगी। वहाँ दलितों और ब्राह्मणों के अलावा निषादों की भी काफ़ी संख्या है।
महाकुंभ में भी दलितों और ओबीसी को लुभाने वाले फ़ैसले लिए जाने की बात कही जा रही है। योगी आदित्यनाथ की सरकार करोड़ों लोगों की भागीदारी वाले 45 दिनों के इस आयोजन का इस्तेमाल सामाजिक समता का संदेश देने के लिए भी कर रही है।
इसको भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। अंग्रेज़ी अख़बार ने भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा है कि पार्टी ने अनुसूचित जातियों के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग, खासकर निषाद जैसे सबसे पिछड़े समुदायों को लुभाने के लिए यह संदेश तैयार किया है।
उनकी सरकार ने महाकुंभ को चिह्नित करने के लिए कुछ पोस्टर भी जारी किए हैं, जो इस संदेश से जुड़े हैं। इनमें से एक पोस्टर में प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर में हाल ही में उद्घाटन किए गए निषाद राज पार्क में निषाद राज के साथ भगवान राम की कांस्य प्रतिमा की तस्वीर है। एक अन्य आधिकारिक पोस्टर में प्रयागराज में आयोजित 2019 कुंभ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफाई कर्मचारियों के पैर साफ करते हुए तस्वीर है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आदित्यनाथ सरकार ने 2019 कुंभ में प्रयोग की गई अपनी पहल को और आगे बढ़ाते हुए महाकुंभ में काम करने वाले 15000 से अधिक सफाई कर्मचारियों के लिए प्राथमिक विद्यालय शुरू करने का फैसला किया है।
पिछले साल 13 दिसंबर को पीएम मोदी ने महाकुंभ से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ करने के लिए प्रयागराज का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने इस आयोजन को 'एकता का महायज्ञ' कहा था। उन्होंने तब प्रयागराज को 'निषाद राज की भूमि' कहा था। निषाद राज पार्क का उद्घाटन करते हुए मोदी ने भगवान राम और निषाद राज की 'दिव्य मित्रता' का ज़िक्र किया था और कहा था कि उनकी नई प्रतिमा भविष्य की पीढ़ियों के लिए समानता और सद्भाव की एक कालातीत याद दिलाएगी।
पीएम ने तब सफाई कर्मचारियों की भी प्रशंसा की थी, उन्होंने याद किया कि कैसे 2019 के कुंभ के दौरान उन्होंने उनके पैर धोकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया था। इनके इस क़दम को भी दलितों और ओबीसी को लुभाने वाले क़दम के रूप में देखा जा रहा है।