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अयोध्या में मेले जैसा माहौल, शिला पूजन के लिए लोग पहुंचे

अयोध्या में मेले जैसा माहौल, शिला पूजन के लिए लोग पहुंचे

शिलाएं आने के बाद अयोध्या में मेले जैसा माहौल है। श्रद्धालु भारी तादाद में शिला पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। जनकपुर से जो लोग शिला लेकर आएं हैं, उन्हें उम्मीद है कि इसी से भगवान राम की मूर्ति बनेगी। हालांकि अन्य राज्यों से भी मूर्ति बनाने के लिए पत्थर मंगाए गए हैं। मांग की गई है कि शालिग्राम के पत्थरों से सीता जी की भी मूर्ति बनाई जाए।

अयोध्या में नेपाल से लाई गई दोनों  शालिग्राम शिलाओं को लेकर उत्सव का माहौल है। गुरुवार को वैदिक रीति से पूजा के बाद दोनों शिलाओं को राम जन्‍म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट को सौंपने की औपचारिकता पूरी की गई । इस बीच देर रात से ही राम सेवक पुरम में श्रद्धालुओं की भीड़ शिलाओं के पूजन के लिए जुटने लगी। यहां मेले जैसा माहौल है और अयोध्‍या के अलावा बाहर से आने वालों का पहुंचना जारी है। भजन के गीतों के साथ जयश्रीराम के नारों से गूंजते माहौल में कतार लगा कर लोगों को शिलाओं की परिक्रमा व पूजा करते देखा गया । 

ट्रस्‍ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि जिस तरह से लोगों की श्रद्धा दिख रही उससे अंदाज लगाया जा सकता है भीड़ आगे के दिनों में बढे़गी । ऐसे में यहां आने वाली भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए फोर्स लगेगी। 

अभी जिस तरह रामचरित मानस को लेकर टिप्पणियां की जा रही हैं। उसी समय नेपाल से अयोध्या लाई जाने वाली शालिग्राम शिलाओं की यात्रा ने जवाबी माहौल बना दिया है। यह बात मंदिर ट्रस्ट के साथ पूरे संघ परिवार में चर्चा का मुद्दा बना है। बीजेपी भी हिंदुत्व की बिना किसी तैयारी के उभरी लहर से उत्साहित हैं। पार्टी के लोग शालिग्राम शिलाओं के आगे माथा टेक रहे हैं। मंदिर ट्रस्ट के दलित ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल का कहना है कि हमने शिलाओं को अयोध्या लाने के कार्यक्रम को धार्मिक यात्रा का रूप देने का कोई कार्यक्रम नहीं बनाया था लेकिन भारी भीड़ जब इसके पूजन के लिए जगह जगह जमा होने लगी तो शालिग्राम की यह यात्रा अपने आप धार्मिक यात्रा बन गई। जिससे हम लोग बेहद खुश हैं। आस्था के सैलाब को देखते हुए बिहार व यूपी में 150 स्थलों पर शिलाओं के दर्शन व पूजन के स्थान तय कर लिए गए। 

विशेषज्ञ करेंगे परीक्षण ः चंपत राय ने बताया कि मूर्ति निर्माण के विशेषज्ञ इन शिलाओं का परीक्षण करेंगे कि ये राम लला के विग्रह के निर्माण के लिए कितनी उपयुक्त रहेंगी। उन्होंने बताया कि विकल्प के तौर पर कर्नाटक व उड़ीसा से भी पत्थर मंगाए जा रहे हैं। जहां शालिग्राम की शिला श्याम रंग की है, वहीं अन्य प्रांतों की शिलाओं का रंग इससे अलग हो सकता है। उनका भी विशेषज्ञ परीक्षण करने के बाद  फाइनल करेंगे कि किस पत्थर से राम लला के विग्रह का निर्माण संभव होगा । लेकिन प्राथमिकता शालिग्राम के शिलाओं की रहेगी। दो माह के अंदर शिलाओं के परीक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा।

जनकपुर से अयोध्‍या पहुंचे 300 लोगों की टीम के सदस्य गंगा प्रसाद यादव नंद लाल यादव व बद्री नारायण ने बताया कि नेपाल की गंडकी नदी से जो भी शिलाएं निकलती हैं, वो शालिग्राम शिला कही जाती हैं। ये कई तरह की होती हैं। भूगर्भ विशेषज्ञों से परीक्षण करवा कर इन्हें लाया गया है। हमे पूरा भरोसा है कि राम लला की प्रतिमा इन्‍हीं शिलाओं से बनेगी। 

नेपाल-भारत का मजबूत रिश्‍ता 

शिलाओं के साथ अयोध्या पहुंचे नेपाल के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री  विमलेंद्र निधि ने बताया कि जो शिलाएं अयोध्या लाई गईं हैं। उनका भूगर्भ विशेषज्ञों  से पूरी तरह से परीक्षण करवा कर ही चयनित किया गया है। ये शिलाएं उच्च कोटि की हैं। उन्‍होंने कहा कि जनकपुर व यहां के जानकी मंदिर के साथ नेपाल सरकार में इस शिला को अयोध्‍या लाने में बेहद उत्साह का माहौल देखा गया है । यहां भी आस्‍था का सैलाब उमड़ा है उससे साफ  दिखता है कि इन शिलाओं से राम लला की मूर्ति बनेगी तो लोग खुश होंगे।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बाल रूप में राम लला की प्रतिमा के निर्माण के साथ प्रथम तल में जब राम दरबार के लिए प्रतिमाओं का निर्माण किया जाए तो उसमें सीता जी की प्रतिमा भी इन्हीं शालिग्राम  शिलाओं से किया जाए।

 

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