राज्यपाल ने योगी सरकार के मंत्रियों से मुलाक़ात क्यों की?

06:04 pm Jul 29, 2022 | सत्य ब्यूरो

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के द्वारा योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रियों से एक-एक कर बातचीत करने की चर्चा उत्तर प्रदेश में जोरों से है। आनंदीबेन पटेल पिछले तीन साल से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। योगी सरकार को भी सत्ता में लगभग साढ़े 5 साल का वक्त हो चुका है।

इससे पहले ऐसा कभी देखने को नहीं मिला कि आनंदीबेन पटेल ने सरकार के मंत्रियों को एक-एक कर बुलाकर उनसे बातचीत की हो या योगी सरकार में मंत्रियों की नाराजगी इस तरह खुलकर सामने आई हो। 

2022 मार्च में फिर से बनी योगी आदित्यनाथ सरकार में 4 महीने के भीतर ही मंत्रियों से राज्यपाल का इस तरह बात करने के पीछे कोई बड़ी वजह जरूर हो सकती है। 

मोदी के करीबियों में शुमार

यहां यह जानना जरूरी होगा कि आनंदीबेन पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात से आती हैं और जब नरेंद्र मोदी साल 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उनकी जगह पर आनंदीबेन पटेल ही मुख्यमंत्री बनी थीं। इसका सीधा मतलब यह है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के करीबियों में शुमार हैं।

पिछले 3 सालों में आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच रिश्ते बेहद सहज रहे हैं और किसी तरह का टकराव कभी भी देखने को नहीं मिला। तो आखिर अब ऐसा क्या हुआ है कि राज्यपाल ने मंत्रियों को अलग-अलग बुलाया और उनसे बातचीत की। 

मंत्रियों की नाराजगी 

यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि कुछ दिन पहले ही सरकार के कई मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की है। इनमें जल शक्ति विभाग के मंत्री दिनेश खटीक ने तो सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख दिया था। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद और स्वास्थ्य महकमे के मंत्री बृजेश पाठक की भी तबादलों और पोस्टिंग को लेकर नाराजगी सामने आई थी।

दिनेश खटीक और जितिन प्रसाद ने अपनी नाराजगी को जिस तरह केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाने की कोशिश की, उसके बाद भी तमाम तरह के सवाल उठे। यह कहा गया कि अगर इन नेताओं की नाराजगी राज्य सरकार के अफसरों से है तो उन्हें बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व या मुख्यमंत्री से मिलना चाहिए लेकिन बजाय इसके वे सीधे केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंच गए।

हालांकि दिल्ली पहुंचने पर इन नेताओं की पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात नहीं हो सकी और उनसे कहा गया कि वे प्रदेश में जाकर अपना काम संभालें। इसके बाद आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली गए। इस सारे घटनाक्रम के बाद राज्यपाल ने योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट के मंत्रियों के साथ बातचीत की। 

खबरों के मुताबिक, इस दौरान आनंदीबेन पटेल ने तमाम मंत्रियों से सरकार में चल रहे कामकाज को लेकर बातचीत की और उन्हें जरूरी सलाह भी दी। वरिष्ठ मंत्रियों से कहा गया कि वे अपने जूनियर मंत्रियों के साथ समन्वय बनाकर रखें। 

केंद्रीय नेतृत्व तक न पहुंचे बात 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्यपाल ने सभी मंत्रियों से कहा कि वे अपनी किसी भी तरह की दिक्कत को उनसे या मुख्यमंत्री के साथ सीधे साझा कर सकते हैं और किसी भी स्तर पर संवादहीनता नहीं होनी चाहिए। मंत्रियों से यह भी कहा गया कि केंद्रीय नेतृत्व को इस तरह की छोटी बातों से मुश्किल में नहीं डाला जाना चाहिए और राज्य स्तर के किसी भी मसले को राज्यपाल व मुख्यमंत्री के दखल से सुलझाया जा सकता है।

क्या मंत्रियों की नाराजगी की बात केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को ऐसा कोई निर्देश ‘ऊपर’ से मिला कि वह मंत्रियों के बीच जो भी नाराजगी है, उसे अपने स्तर से देखें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक ऐसे नेता की मानी जाती है जो बेहद सख्त हैं और जिनका प्रशासनिक मशीनरी पर जबरदस्त नियंत्रण है। लेकिन कुछ मंत्रियों का नाराजगी जताना, केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिख देना और उसके बाद राज्यपाल का मंत्रियों से एक-एक कर मुलाकात करना, क्या यह किसी तरह से योगी आदित्यनाथ को दबाव में लाने की कोशिश है। 

बीजेपी ने 2022 का उत्तर प्रदेश का चुनाव योगी आदित्यनाथ के चेहरे को आगे रखकर ही लड़ा था और यह कहा जा रहा था कि पार्टी का इस बार सत्ता में लौटना मुश्किल है। लेकिन बावजूद इसके बीजेपी ने दो तिहाई सीटें हासिल की और सरकार बनाई। केंद्रीय नेतृत्व के साथ ही इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ को भी दिया गया। 

लेकिन क्या यह योगी आदित्यनाथ की कार्यक्षमता पर किसी तरह का सवालिया निशान है कि वह उत्तर प्रदेश की सरकार को प्रभावी ढंग से नहीं चला पा रहे हैं और उनकी सरकार में मंत्री नाराज हैं। 

देखना होगा कि राज्यपाल की मंत्रियों के साथ बैठक के बाद क्या नाराज हुए मंत्रियों की नाराजगी दूर होगी या नहीं।