यूपी में निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग के आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने में समाजवादी पार्टी जुट गई है। इसकी तैयारी है कि वह 'संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ' यात्रा निकालेगी। पार्टी गांव-गांव जाएगी और लोगों को बताएगी कि 'बीजेपी सरकार ने साजिश के तहत कोर्ट में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किए'।
इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश में अभियान छेड़ने की बात कही है। आप भी पिछड़ों और दलितों को गोलबंद करने की कोशिश में है। आप नेता संजय सिंह ने ट्वीट किया है, 'नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आरक्षण में बीजेपी सरकार द्वारा की गई हेरा फेरी के ख़िलाफ़ 2 जनवरी को आप पूरे उत्तर प्रदेश में 'आरक्षण बचाओ-लोकतंत्र बचाओ' आंदोलन करेगी। सभी ज़िलों में होगा आंदोलन।'
ये दल इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया और ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश दिया। यह फ़ैसला जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरव लवानिया की बेंच ने सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा है कि जल्द से जल्द नगर निकाय चुनाव कराए जाएं।
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य किए गए 'ट्रिपल टेस्ट/शर्तों' को पूरा नहीं किया जाता, तब तक ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि चूंकि नगरपालिकाओं का कार्यकाल या तो समाप्त हो गया है या 31 जनवरी 2023 तक समाप्त होने वाला है और ट्रिपल टेस्ट/शर्तों को पूरा करने की प्रक्रिया कठिन होने के कारण इसमें काफी समय लगने की संभावना है, इसलिए यह राज्य सरकार/राज्य चुनाव आयोग तुरंत चुनावों की अधिसूचना जारी करे। बता दें कि विकास किशनराव गवली के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए एक फॉर्म्यूला दिया था। इसे ट्रिपल टेस्ट फार्मूला कहा गया।
बहरहाल, हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद इस मामले में तीखी प्रतिक्रियाएँ आईं। विपक्षी दलों ने यूपी सरकार पर अदालत में तथ्य सही से नहीं पेश करने का आरोप लगाया।
समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव को लेकर आए फ़ैसले को संविधान विरोधी बताया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी संविधान को ख़त्म करने की कोशिश कर रही है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि बीजेपी के संविधान विरोधी होने का किसी अन्य सबूत की ज़रूरत नहीं है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है कि सपा इस मुद्दे को लेकर हर प्रदेशवासी के दरवाजे पर जाएगी और उन्हें बताएगी कि किस तरह से बाबा साहब भीमराव आंबेडकर द्वारा संविधान में किए गए प्रावधानों को ख़त्म करने की साजिश रची जा रही है। सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जल्द ही गांव-गांव यात्रा निकाली जाएगी।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक दिन पहले ही ट्वीट कर कहा था, 'आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक़ छीना है, कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गये दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछड़ों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील है।'
सपा नेता सुनील सिंह ने कहा था कि सरकार चाहती तो 6 महीने पहले आयोग बनाकर, सर्वे कराकर पिछड़ों को आरक्षण दिला सकती थी लेकिन वह पिछड़ों को आरक्षण नहीं देना चाहती थी और उसने अदालत में ढंग से पैरवी नहीं की और इसलिए ऐसा फैसला आया है।