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यूएस अब अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान से क्यों नहीं भेजेगा?

यूएस अब अवैध प्रवासियों को सैन्य विमान से क्यों नहीं भेजेगा?

अमेरिका अब अवैध प्रवासियों को अपने सैन्य विमान से नहीं भेजेगा। क्योंकि सैन्य विमान से भेजने पर खर्चा बहुत आ रहा था। अभी यह साफ नहीं है कि यह घोषणा स्थायी रूप से की गई है या अस्थायी है। 

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अवैध रूप से प्रवेश करने वाले प्रवासियों को उनके मूल देशों में वापस भेजने के लिए महंगे सैन्य विमानों के उपयोग को फिलहाल रोक दिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सैन्य विमानों का इस्तेमाल प्रवासियों को वापस उनके देशों में भेजने या उन्हें ग्वांतानामो बे, क्यूबा स्थित सैन्य अड्डे तक ले जाने के लिए किया जा रहा था, लेकिन यह प्रक्रिया अत्यधिक खर्चीली और अव्यवहारिक साबित हुई है। लेकिन इससे यह खतरा भी पैदा हो गया है कि अमेरिका ऐसे अवैध प्रवासियों को पनामा के जंगलों में छोड़ सकता है। फिर वहां से संबंधित देश में अपने नागरिकों को ले जाएंगे।

वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में ऐसी कोई सैन्य उड़ानें तय नहीं की गई हैं। अंतिम सैन्य निर्वासन उड़ान 1 मार्च को भेजी गई थी, और अब इस नीति को स्थायी रूप से खत्म करने की संभावना जताई जा रही है। 

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि एक प्रवासी को ग्वाटेमाला भेजने के लिए अमेरिकी सैन्य विमान का खर्च कम से कम $4,675 प्रति व्यक्ति पड़ता है। यह राशि एक आम वाणिज्यिक उड़ान की लागत से पाँच गुना अधिक है। उदाहरण के लिए, अमेरिकन एयरलाइंस की एल पासो, टेक्सास से ग्वाटेमाला तक की एकतरफा प्रथम श्रेणी की टिकट केवल $853 में उपलब्ध है। 

यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) द्वारा संचालित वाणिज्यिक चार्टर उड़ानों की लागत भी सैन्य विमानों की तुलना में काफी कम है। इस बढ़ते आर्थिक बोझ के चलते ट्रंप प्रशासन को अपनी डिपोर्टेशन नीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान यह वादा किया था कि वे अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े इमीग्रेशन अभियान को अंजाम देंगे। उन्होंने जनवरी में नेशनल इमरजेंसी की घोषणा करते हुए अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल करने की नीति शुरू की थी। अब तक इस नीति के तहत छह सैन्य विमानों के माध्यम से प्रवासियों को लैटिन अमेरिका भेजा गया है। हालाँकि, लागत और असर को लेकर बढ़ती चिंताओं ने प्रशासन को यह नीति फिलहाल रोकने पर विचार करने के लिए बाध्य कर दिया है।

हालांकि यूएस का यह फैसला वहां उन हजारों अवैध प्रवासियों के लिए राहत की खबर हो सकती है, जो निर्वासन की आशंका से घिरे हुए हैं। लेकिन यह उन्हीं प्रवासियों के लिए राहत है जो आसपास के देशों से हैं। भारत जैसे देश के अवैध प्रवासियों के लिए इसमें राहत जैसी कोई बात नहीं है। अगर यह फैसला स्थायी रूप से लागू होता है, तो प्रवासियों को निर्वासन के लिए अधिक सस्ती कमर्शल फ्लाइट्स से वापस भेजा जा सकता है। अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ती जा रही है, और ट्रम्प प्रशासन ने इस मुद्दे को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा है। फिर भी, सैन्य संसाधनों का गैर-युद्धकालीन उद्देश्यों के लिए इतना महंगा इस्तेमाल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले के राजनीतिक प्रभाव भी हो सकते हैं। ट्रम्प प्रशासन के विरोधी इस नीति की आलोचना करते रहे हैं, जबकि ट्रम्प समर्थकों का मानना है कि सख्त प्रवासन नीति अमेरिका की सुरक्षा और संसाधनों की रक्षा के लिए जरूरी है। इस बीच, प्रवासियों के अधिकारों की वकालत करने वाले संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे अत्यधिक खर्चीली तथा अमानवीय निर्वासन नीति पर लगाम लगाने की दिशा में एक पॉजिटिव संकेत बताया है। अब यह देखना बाकी है कि ट्रम्प प्रशासन इस नीति को स्थायी रूप से समाप्त करता है या कोई नया विकल्प अपनाता है। बहरहाल, फिलहाल, महंगे सैन्य निर्वासन उड़ानों का चैप्टर बंद हो गया है।

भारत में मुद्दा क्यों बनाः यूएस से भेजे गये अवैध प्रवासियों के मुद्दे को विपक्ष ने जोरशोर से उठाया था। विपक्ष की आपत्ति दो बातों पर थीं। विपक्ष का कहना था कि भारत सरकार ने विमान भेजकर उन्हें वापस क्यों नहीं बुलाया। दूसरी आपत्ति थी कि अवैध प्रवासियों को हथकड़ी बेड़ी लगाकर क्यों भेजा गया। विपक्ष ने कोलंबिया सरकार का उदाहरण दिया था।

सदन के बाहर तमाम नेताओं ने और सोशल मीडिया पर आम लोगों ने मोदी सरकार को नसीहत दी थी कि भारत चाहता तो कोलंबिया जैसे देश से ही कुछ सीख लेता। कोलंबिया ने यूएस के सैन्य विमान को अपने देश में उतरने नहीं दिया था। कोलंबिया ने अमेरिका के सैन्य विमान को वापस लौटा दिया। इस पर डोनाल्ड ट्रम्प ने कोलंबिया पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। 

कोलंबिया सरकार ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया था। पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया। इसके बाद कोलंबिया के लोगों को सम्मानजनक तरीक़े से अपने देश वापस लाया गया। 

(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)

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