अमेरिका ने किया भारत-पाक संघर्ष विराम का स्वागत, कहा- आगे बढ़ें दोनों देश
भारत और पाकिस्तान के लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) पर शांति बहाली करने के एलान का अमेरिका ने स्वागत किया है। अमेरिका ने कहा है कि यह क़दम दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को कायम करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है और हम दोनों देशों से इस दिशा में आगे बढ़ने की अपील करते हैं।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने गुरूवार को नियमित न्यूज़ कॉन्फ्रेन्स के दौरान कहा कि बाडइन प्रशासन इस इलाक़े के नेताओं के संपर्क में है।
भारत और पाकिस्तान की ओर से गुरूवार को जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों की सेनाओं के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) एलओसी को लेकर किए गए सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करने, युद्ध विराम पर सहमति बनाने पर राजी हो गए हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने दोनों पक्षों से एलओसी पर तनाव को कम करने और 2003 के युद्ध विराम समझौते को मानने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जो आतंकी एलओसी पर घुसपैठ कर रहे हैं, हम उनकी निंदा करते हैं।
नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और बाक़ी मसलों पर सीधी बातचीत का स्वागत करता है।
डोभाल-मोईद की भूमिका
दोनों देशों के संघर्ष विराम पर पहुंचने के पीछे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ़ के बीच हुई लंबी बातचीत को बताया जा रहा है।
एचटी की ख़बर के मुताबिक़, एनएसए डोभाल और मोईद यूसुफ़ कुछ लोगों के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में थे। इन दोनों की एक बार किसी तीसरे देश में आमने-सामने मुलाक़ात भी हुई थी। इस बातचीत की जानकारी रखने वाले शख़्स के मुताबिक़ भारत में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को ही इसकी जानकारी थी।
हालांकि गुरूवार को मोईद यूसुफ़ ने कुछ ट्वीट कर कहा कि उनके और डोभाल के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई है और एलओसी को लेकर उठाया गया ताज़ा क़दम दोनों देशों के डीजीएमओ की लगातार बातचीत का नतीजा है। उन्होंने इस क़दम का स्वागत भी किया।
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब दोनों देशों के बड़े सैन्य अफ़सरों के बीच सीमा पर शांति कायम रखने की बात हुई है। इससे पहले 2018 में 2003 में हुए सीज़ फ़ायर समझौते को लागू करने पर दोनों देश राजी हुए थे। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अब दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य हो सकते हैं।