गर्भपात अधिकार: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन, जज भी निशाने पर
गर्भपात का अधिकार देने वाले ऐतिहासिक 'रो बनाम वेड' मामले को उलटने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर तीखी प्रतिक्रया हुई है। बड़ी संख्या में लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर तो प्रदर्शन किया ही, कई राज्यों में हाई कोर्टों के बाहर भी लोग जमा हुए। वैसे सामान्य तौर पर प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा है, लेकिन एरिज़ोना में पुलिस को आँसू गैस छोड़नी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले देने वाले जजों में से एक के घर को निशाना बनाया गया है। हालाँकि, कई जगहों पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत भी किया गया और इसके लिए खुशियाँ मनाई गईं।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फ़ैसले में गर्भपात का अधिकार देने वाले ऐतिहासिक 'रो बनाम वेड' मामले को उलट दिया और इसके साथ ही अमेरिका के कई राज्यों ने गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया। 'रो बनाम वेड' फ़ैसला पलटने से गर्भपात के अधिकार का सवाल अब राज्य सरकारों पर निर्भर करता है। यानी वहाँ के राज्य अपने हिसाब से गर्भपात पर नियम बना सकते हैं। यही वजह है कि कम से कम 6 राज्यों ने गर्भपात को प्रतिबंधित भी कर दिया है। कई और राज्यों में अगले कुछ दिनों में ही ऐसा किए जाने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के समर्थक और विरोधी दोनों तरह के लोग वाशिंगटन डीसी और अन्य शहरों में उच्च न्यायालय की इमारत के सामने जुटे। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, सप्ताहांत में पूरे देश में इसी तरह के प्रदर्शनों की योजना बनाई गई है।
शुक्रवार की देर रात एरिज़ोना में फीनिक्स में स्टेट कैपिटल के बाहर विरोध कर रहे गर्भपात के अधिकार के समर्थकों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार एरिज़ोना डिपार्टमेंट ऑफ़ पब्लिक सेफ्टी के प्रवक्ता बार्ट ग्रेव्स ने कहा, 'प्रदर्शनकारियों की भीड़ द्वारा स्टेट सीनेट बिल्डिंग के कांच के दरवाजों पर बार-बार हमला किए जाने के बाद सैनिकों ने आंसू गैस छोड़ी।'
जस्टिस थॉमस के घर को निशाना बनाया
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार क़रीब 20 प्रदर्शनकारी वर्जीनिया के फेयरफैक्स में एक आवासीय समुदाय के प्रवेश द्वार के बाहर जुटे, जहां जस्टिस क्लेरेंस थॉमस रहते हैं। विरोध कर रहे कई लोगों के पास मेगाफोन और कई तरह के शोर मचाने वाले उपकरण थे।
बता दें कि पिछले महीने पोलिटिको द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मसौदे की एक लीक कॉपी प्रकाशित करने के बाद से प्रदर्शनकारी समय-समय पर रूढ़िवादी न्यायाधीशों के घरों के बाहर इकट्ठा हुए हैं। जस्टिस सैमुअल अलिटो ने पहले गर्भपात के अधिकार के मामले में अदालत की ओपिनियन लिखी थी, और बाद में जस्टिस थॉमस, नील गोरसच, ब्रेट कवानुघ और एमी कोनी बैरेट भी इसमें शामिल हो गए थे।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद क्रोध और असंतोष ज़्यादा रहा। द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार अदालत की इमारत के बाहर खड़ी वाशिंगटन डीसी की सारा कुगलर ने कहा, 'यह महिलाओं और लोगों के शरीर के बारे में निर्णय लेने के मौलिक अधिकारों को खत्म करने के लिए 30 साल की लड़ाई है। इससे कोई पीछे नहीं हटेगा। नाराजगी और कार्रवाई के अलावा कोई प्रतिक्रिया नहीं है।' सोशल मीडिया पर भी लोगों ने ग़ुस्से का इज़हार किया है।
Maxine Waters and Al Green among members of Congress who've shown up outside the Supreme Court to denounce the end of Roe. "Women are going to control their bodies, no matter how they try and stop us," Waters says. "The hell with the Supreme Court, we will defy them." pic.twitter.com/SCkicoQj68
— Alejandro Alvarez (@aletweetsnews) June 24, 2022
Protest at the US Supreme Court against overturning #RoeVsWade.
— Nitin Meshram (@nitinmeshram_) June 25, 2022
Few orthodox, anti people, anti women seating together in a room have no right to abrogate freedom of people.
We must agree that freedom, rights & safeguards are inalienable human properties.pic.twitter.com/SeQFRNB1c7
बता दें कि 1973 में 'रो बनाम वेड' अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का एक ऐतिहासिक निर्णय था जिसमें कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान बिना सरकारी दखल के एक गर्भवती महिला की गर्भपात कराने की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले ने कई संघीय और राज्य के गर्भपात कानूनों को रद्द कर दिया था।