मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहाव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में कोई अड़चन नहीं आएगी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहाव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है। यह फ़ैसला पिछले महीने पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी देने के कुछ हफ्तों बाद आया है।
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह फ़िलहाल लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। उसको लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड हेडली के साथ संबंधों के लिए जाना जाता है। हेडली मुंबई हमलों का एक प्रमुख साजिशकर्ता था। 26 नवंबर 2008 को शुरू हुए इन हमलों में 175 लोग मारे गए थे। आतंकवादियों का यह हमला मुंबई के कई प्रमुख जगहों पर चार दिनों तक चला था।
इस सप्ताह की शुरुआत में तहाव्वुर राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक इमर्जेंसी याचिका दायर की थी। इसमें उसने दावा किया कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो उसकी मुस्लिम और पाकिस्तानी मूल की पहचान के कारण उसको यातना दी जाएगी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कागन ने तहाव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसके वकील ने एक नई याचिका दायर की और इसे मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष पेश करने की अपील की। यह क़दम राणा के लिए अमेरिका में क़ानूनी विकल्पों का अंतिम प्रयास माना जा रहा है।
फ़रवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की थी कि उनका प्रशासन बेहद ख़तरनाक राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी देता है ताकि वह भारत में न्याय का सामना कर सके। ट्रंप का यह बयान अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के जनवरी के उस फ़ैसले के बाद आया था, जिसमें राणा की समीक्षा याचिका खारिज कर दी गई थी और उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ़ हो गया था। ट्रंप ने कहा, 'हम एक बहुत ही बुरे व्यक्ति को भारत को सौंप रहे हैं, जिस पर 26/11 मुंबई हमले का आरोप है।'
भारत में राणा पर क्या आरोप
साल 2011 में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने राणा और आठ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मुंबई में समन्वित आतंकी हमलों की साज़िश रचने और उन्हें अंजाम देने के लिए चार्जशीट दायर की थी। ये हमले 26 नवंबर 2008 को शुरू हुए थे। तब 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसपैठ की और ताजमहल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस जैसे प्रमुख स्थानों पर हमला बोला। चार दिनों तक चले इस आतंकी हमले में 175 लोग मारे गए थे, जिनमें 26 विदेशी नागरिक और 20 सुरक्षाकर्मी शामिल थे। हमले में 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।
राणा पर आरोप है कि उसने अपने दोस्त डेविड हेडली को भारत में टार्गेट की टोह लेने के लिए अपनी इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म का इस्तेमाल करने की सुविधा दी थी। हेडली ने राणा की फर्म के नाम पर फर्जी पहचान बनाकर मुंबई में हमले की साज़िश रची थी।
राष्ट्रपति ट्रंप की प्रत्यर्पण मंजूरी की घोषणा के एक दिन बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था काफ़ी ज़्यादा जोखिम वाले अपराधियों को संभालने में सक्षम है। फडणवीस ने 2012 में फाँसी दिए गए मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब का ज़िक्र करते हुए कहा था, 'हमने कसाब को रखा था। इसमें बड़ी बात क्या है? हम उसे जरूर रखेंगे।' फडणवीस ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा था कि यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है।
भारत लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर राणा के जल्द प्रत्यर्पण के लिए औपचारिकताएं पूरी कर रहा है। एनआईए की एक टीम जल्द ही अमेरिका जाकर राणा को हिरासत में लेने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे सकती है।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा फैसला 26/11 मुंबई हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक अहम क़दम है। राणा का प्रत्यर्पण भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद के ख़िलाफ़ सहयोग को और मज़बूत करता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि राणा को कब और कैसे भारत लाया जाएगा, और क्या उसका मुक़दमा हमले के पीछे की पूरी साज़िश को उजागर कर पाएगा।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)