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यूपी : असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की भर्ती पर आला अफ़सरों को नोटिस

यूपी : असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की भर्ती पर आला अफ़सरों को नोटिस

असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती ने उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) को नया साक्षात्कार नहीं कराने का निर्देश दिया है। उसके सचिव और अपर मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। 

आरक्षण नियमावली में गड़बड़ी के कारण उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की भर्ती भंवर में फँसती नज़र आ रही है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भर्ती में आरक्षण को लेकर मिली शिकायतों के आधार पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) को नया साक्षात्कार नहीं कराने का निर्देश दिया है। साथ ही यूपीएचईएससी के सचिव व अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को नोटिस जारी करके 11 सितंबर को तलब किया है।

पिछले शुक्रवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ भगवान लाल कुशवाहा, सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल और डॉ सुधा यादव ने पिछले शुक्रवार को इस मसले पर आयोग के कार्यालय में मामले की सुनवाई की। 

 नया साक्षात्कार नहीं

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की वकील सुमनलता कटियार, संदीप उत्तम और हितेश सिंह सैंथवार ने पिछड़े वर्ग के आरक्षण में गडबड़ियों को लेकर आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा और आरक्षण की स्थिति स्पष्ट की। सुनवाई के बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने आगे की प्रक्रिया रोक देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इस मसले पर अगली सुनवाई के लिए 11 सितंबर की तिथि निर्धारित की है।

सत्य हिंदी ने लोगों से मिल रही शिकायतों के आधार पर मामले की व्यापक पड़ताल के बाद इस सिलसिले में खबरें प्रकाशित कीं और लगातार इस मसले को उठाया। आयोग ने खबरों को स्वतः संज्ञान में लेकर यूपीएचईएससी से जानकारी भी मांगी थी।

ज़्यादा अंक पर आरक्षित वर्ग का चयन

इन भर्तियों के जो परिणाम आ रहे थे, उसमें पाया गया कि अन्य पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों का चयन सामान्य से ऊपर अंक पाने पर हो रहा है। परिणाम ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए कि किस तरह ऐसी गड़बड़ी हो रही है कि आरक्षण पाने वालों का चयन ग़ैर-आरक्षित लोगों से अधिक अंक पर हो रहा है।

सामान्य नियम यह है कि पहले सामान्य सूची बनाई जाती है। उस सूची में सभी पद भर जाने के बाद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की सूची बनाई जाती है, जिससे कि आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को लाभ मिलता है और उन्हें कुछ कम अंक मिलने पर भी चयन मिल जाता है।

लेकिन सत्य हिंदी ने 29 जून 2019 को प्रकाशित खबर में विस्तार से तालिका के साथ दिखाया था कि हर विषय में ओबीसी का कट ऑफ सामान्य से ज्यादा है। इस तरह से पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे थे। सत्य हिंदी ने यह भी दिखाया था कि केंद्र सरकार द्वारा 100 पॉयंट रोस्टर को लेकर संसद के आश्वासनों, अध्यादेश लाए जाने और संसद में क़ानून पारित किए जाने के बावजूद ऐसा हो रहा है। इस मसले पर सरकार के ज़िम्मेदार अधिकारी क़ानून को सिर्फ फ़ाइलों तक ही सीमित रख रहे हैं।

इस मसले पर तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक ने सरकार को पत्र लिखकर मामले की जानकारी माँगी थी । राज्यपाल ने 12 जुलाई को ओबीसी की मेरिट सामान्य वर्ग से ऊपर जाने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। राज्यपाल ने पत्र में कहा कि इस मामले में उचित कार्रवाई हेतु शिकायत पत्र मुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है। उसके बाद कार्यकाल पूरा होने पर राज्यपाल अपने पद से हट गए और मामला यथावत बना रहा।

अब एनसीबीसी ने सक्रियता दिखाते हुए भर्ती प्रक्रिया रोके जाने का निर्देश दिया है और मामले की सुनवाई चल रही है। केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल ने सत्य हिंदी से बातचीत में कहा कि इस सिलसिले में हर संभव कार्रवाई की जाएगी और आयोग यह जानने की कवायद करेगा कि गड़बड़ी किस स्तर पर की गई है। अगर मामले में कोई गड़बड़ी जानबूझकर की जा रही है तो आयोग केंद्र व राज्य सरकार से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा भी करेगा। 

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