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एग्ज़िट पोल अपनी जगह, बीजेपी को रोकने की मुहिम में विपक्ष

एग्ज़िट पोल अपनी जगह, बीजेपी को रोकने की मुहिम में विपक्ष

बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष पूरी तैयारी में जुटा है, कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री पद किसी और को देने पर राजी हो सकती है। इस मुहिम की अगुआई कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू। 

एग्ज़िट पोल भले ही भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिखाए, विपक्षी दलों ने उन्हें रोकने की तैयारियाँ जारी रखी हैं। विपक्षी दल यह मान कर चल रहे हैं कि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत नहीं मिलेगा, वह 200 से 220 के बीच सिमट कर रह जाएगा। इस स्थिति में बीजेपी को रोकने और किसी तरह तमाम विपक्षी दलों को एकजुट कर सरकार बनाने की कोशिश करने की योजना है।

इस योजना के तहत ही बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी से मिलने वाली हैं। हालाँकि आधिकारिक तौर पर न तो बीएसपी और न ही कांग्रेस ने इसकी पुष्टि की है। इसके पहले मायावती ने अपने सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से मुलाक़ात की। समझा जाता है कि दोनों दल निकट भविष्य की योजना और विपक्षी दलों की मुहिम में अपनी भूमिका पर एक राय होना चाहते हैं।

बीजेपी को रोकने और सरकार बनाने की कोशिश करने की योजना के तहत वोटों की गिनती से एक दिन पहल सभी विपक्षी दलों की एक बैठक पहले से तय है। यह पहले ही तय हो गया था कि वोटों की गिनती यानी 23 मई के एक दिन पहले सभी दलों के शीर्ष नेता मिलेंगे।

माया की मायावी चालें 

इस मुहिम के पीछे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू हैं। वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने वाले हैं। उन्होंने इसके पहले मायावती और अखिलेश यादव से मुलाक़ात की थी। लेकिन उत्तर प्रदेश के इन दो बड़े नेताओं ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। समझा जाता है कि वे किसी गठबंधन में शामिल होना नहीं चाहते, या कम से कम फ़िलहाल इस मुद्दे पर इस मुहिम से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। इसकी वजह यह है कि मायावती ख़ुद प्रधानमंत्री बनने की ख़्वाहिश रखती हैं। इसके कयास तो पहले से ही लगाए जाते रहे हैं, पर बीते दिनों अखिलेश यादव ने खुले आम कह दिया कि वह बहन जी को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं और मायावती उन्हें अगले विधानसभा चुनाव के बाद राज्य का मुख्यमंत्री बनने में मदद करेंगी।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि मायावती अपने पत्ते खुले रखना चाहती हैं, पर वह किसी को अपनी चाल का अनुमान भी नहीं लगने देना चाहती हैं। यदि सपा-बसपा महागठबंधन इतनी सीटें जीत लेता है कि वह दूसरे क्षेत्रीय दलों पर भारी पड़े, तो मायावती प्रधानमंत्री बनने की कोशिश कर सकती हैं। 

मायावती प्रधानमंत्री बनने की कोशिश कर सकती हैं और सांप्रदायिक ताक़तों को रोकने के नाम पर समर्थन समर्थन माँग सकती हैं। लेकिन यदि ऐसा मुमकिन नहीं हुआ, एनडीए ने सरकार बनाने के लिए माया से समर्थन माँगा तो बहन जी उसके पाले में भी जा सकती हैं।

वह अतीत में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ दो बार सरकार बना चुकी हैं। बीजेपी की मदद से ही वह दो बार मुख्यमंत्री बनी थीं। लंबे समय तक उनके काफ़ी नज़दीक रह चुके नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी ने कुछ दिन पहले कहा था कि चुनाव के बाद मायावती समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ देंगी और एनडीए को समर्थन करेंगी।

विपक्ष की सर्जिकल स्ट्राइक

नायडू की रणनीति यह है कि नतीजे के पहले ही तमाम दलों की एक बैठक कर ली जाए, एक आम सहमति बन जाए और एक चिट्ठी तैयार कर रख ली जाए। नतीजे आने के बाद वह चिट्ठी तैयार कर राष्ट्रपति को सौंप दी जाए। इसका मक़सद यह है कि राष्ट्रपति बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दें, इसके पहले ही विपक्ष इसका दावा ठोक दे।

बीजेपी को रोकने के लिए कुछ भी करने की रणनीति पर चल रही कांग्रेस ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री पद के लिए ज़िद नहीं करेगी और दूसरे दल के नेता को भी प्रधानमंत्री बनाने पर राजी हो जाएगी।

उसने कर्नाटक मॉडल सुझाया है,जहाँ कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद जनता दल सेक्युलर के नेता एच. डी. कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया। यह मॉडल केंद्र में भी काम कर सकता है।

पर सबसे बड़ी बात यह है कि किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी। यदि बीजेपी या उसके गठबंधन को अपने बूते बहुमत मिल गया, तो सारी बातें धरी रह जाएँगी। यदि एनडीए सरकार बनाने के आस पास पहुँच गया तो छोटे दलों पर डोरे डाल सकता है। यदि उससे थोड़ा अधिक का अंतर रहा तो मायावती जैसे पुराने विश्वस्तों को एक बार फिर पटाने की कोशिश की जा सकती है। मामला अभी बिल्कुल खुला हुआ है, शतरंज की चालें अब चली जाएँगी, किसे शह मिलेगा, कुछ दिनों में ही मालूम हो जाएगा।

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