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हाथरस: यूपी पुलिस मानने को तैयार नहीं कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ

हाथरस: यूपी पुलिस मानने को तैयार नहीं कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ

उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरूवार को दावा किया है कि हाथरस की दलित पीड़िता के विसरा की फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट से यह पता चला है कि युवती के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ है। 

उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरूवार को दावा किया है कि हाथरस की दलित पीड़िता के विसरा की फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट से यह पता चला है कि युवती के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ है। जबकि सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में दलित युवती ने कहा था कि उसके साथ जबरदस्ती की गई, गला दबाने की कोशिश भी की गई। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा था कि सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। 

पीड़िता के परिजनों की ओर से लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी बेटी को अभियुक्तों द्वारा जमकर पीटा गया, उसकी गर्दन तोड़ी गयी, कमर की हड्डी में भी चोट थी। इस बात को पीड़िता का इलाज करने वाले डॉक्टर्स ने भी स्वीकार किया था। 

लेकिन बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया था। 

बलात्कार के कोई सबूत नहीं

यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा, ‘रेप के बारे में एफएसएल की रिपोर्ट आ गई है और इससे पता चलता है कि बलात्कार के कोई सबूत नहीं हैं। पुलिस ने घटना के बाद उचित धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया और पीड़िता को चिकित्सा सुविधा दी गई। 25 तारीख़ को सारे सैंपल एफ़एसएल को भेजे गये। जो सैंपल इकट्ठे गए थे, उसमें किसी तरह का स्पर्म और शुक्राणु नहीं पाया गया है।’ 

धमका रही पुलिस

एडीजी ने कहा कि इससे साफ होता है कि कुछ लोगों के द्वारा प्रदेश में जातीय तनाव पैदा करने के लिए इस तरह की चीजें कराई गईं। एडीजी ने पुलिस को क्लीन चिट देते हुए कहा कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी जो प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काना चाहते थे और इस मामले में विधिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां तक जीभ कटने की बात है, वह पूरी तरह गलत थी। 

एक अफ़सर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर एनडीटीवी को बताया, ‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा है कि युवती के प्राइवेट पार्ट में लगे घाव पुराने थे और ये ठीक हो चुके थे लेकिन ये कितने पुराने थे, इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इस तरह के घाव मेडिकल उपचार के दौरान भी ठीक हो सकते हैं।’ 

यूपी पुलिस का झूठ

पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ लिखा है कि उसकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर था और उसका गला भी दबाया गया। यह रिपोर्ट दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल द्वारा तैयार की गई है। यहीं पीड़िता ने दम तोड़ा था। 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक़, पीड़िता की गर्दन पर चोट के निशान हैं और कई बार उसका गला घोटने की कोशिश की गई। इस रिपोर्ट में युवती के साथ बलात्कार का जिक्र नहीं किया गया है। रिपोर्ट आने से यह साफ होता है कि वास्तव में अभियुक्तों ने पीड़िता के साथ हैवानियत करने की कोशिश की और उसने ख़ुद को बचाने के लिए संघर्ष किया। इसी दौरान उसकी गर्दन और रीढ़ की हड्डी में भी चोट आई। लेकिन यूपी पुलिस की सरकारी रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का कोई जिक्र नहीं था। 

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सिरे से नकार दिया बलात्कार को 

पुलिस की ओर से उपलब्ध करायी गयी मेडिकल रिपोर्ट में और खुद आईजी जोन के बयान में बलात्कार को सिरे से नकार दिया गया है। आईजी जोन ने कहा है कि पीड़िता के साथ मारपीट हुई थी और पहले उन्ही धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। उनका कहना है कि बाद में युवती ने छेड़खानी की बात कही तो धाराएं बढ़ायी गयीं। आईजी के मुताबिक़, घटना के कई दिनों के बाद युवती ने चार लोगों द्वारा बलात्कार करने की बात कही जिसके बाद इन धाराओं को लगाया गया।

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