ग़ाज़ियाबाद मुठभेड़ की जाँच होगी, सभी 7 लोगों को पैर में एक ही जगह गोली लगी
ग़ाज़ियाबाद के लोनी में क़रीब एक हफ़्ते पहले हुई मुठभेड़ पर सवाल उठ रहे हैं और इसकी अब जाँच होगी। मुठभेड़ में 7 मुसलिम युवकों को गोली मारी गई थी। इनका इलाज किया गया। सभी के पैर के घुटने के कुछ इंच नीचे एक ही जगह पर पट्टी बंधी है। पुलिस ने कहा था कि 11 नवंबर को सुबह क़रीब सवा छह बजे बाहेटा हाजीपुर में कबाड़ गोदाम में छापा मारा था। उनपर गोहत्या का आरोप है। जिस एसएचओ के नेतृत्व में वह कार्रवाई की गई थी उन्होंने जनरल डायरी में नोट लिखा है कि एनकाउंटर के दौरान वहाँ से अन्य चीजों के अलावा हाथी के बच्चे के शव भी बरामद किए गए थे। गोदाम का मालिक लापता बताया जा रहा है।
मुठभेड़ के बाद 11 नवंबर को पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने गोहत्या के संबंध में एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई की। इसने कहा कि आरोपी ने सात राउंड फ़ायरिंग की और उन्होंने 13 बार गोलियाँ चलाईं, जिससे सभी आरोपियों के पैर में गोली लगी। उन्होंने आरोपियों के पास से तीन जानवरों के शव, सात देसी पिस्तौल, दो कुल्हाड़ी, पांच चाकू और प्लास्टिक के तार के दो बंडल बरामद करने का दावा किया है।
इस मामले में आरोपी शोएब, मुस्तकीन, सलमान, मोनू, इंतेज़ार, नाज़िम और एक अन्य युवक है जिसके परिवार वाले दावा करते हैं कि वह अवयस्क है। परिवार वाले पुलिस के आरोपों को खारिज करते हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार शोएब के पिता मोहम्मद इस्लाम गाड़ी से कपड़े बेचने का काम करते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने शोएब को फोन करके पूछा था कि क्या वह अगले दिन उनके साथ जाएगा। उन्होंने कहा, 'उसने कहा कि उसे उस गोदाम में सफाई पूरी करनी है जहाँ वह काम करता है। अगले दिन मुझे पता चला कि शोएब और छह अन्य को गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया गया है। ये झूठे आरोप हैं...उसे फंसाया जा रहा है।'
इंतेजार का परिवार लोनी इलाके के अशोक विहार में रहता है। रिपोर्ट के अनुसार उनके परिवार का कहना है कि वह एक स्थानीय रेस्तरां और कबाड़ गोदाम में सहायक के रूप में काम करता है। उसके पिता का क़रीब एक दशक पहले ही निधन हो गया था।
इंतेज़ार की मां शमीना कहती हैं, 'अक्सर, वे गोदाम में ही सो जाते थे। 10 तारीख़ की रात को उन्होंने मुझसे कहा कि वे अगली सुबह वापस आएंगे। फोन पर मैंने देखा कि मेरे लड़कों सहित कुछ युवकों को गोली मारी गई थी। यह एक सदमे के रूप में था... हम मुश्किल से अपना गुजारा करते हैं, हमें बंदूकें कहां से मिलेगीं? पूरा मोहल्ला हैरान है।'
इस घटना की जाँच का आदेश लोनी पुलिस थाने के एसएचओ राजेंद्र त्यागी के 12 नवंबर को तबादले के बाद दिया गया।
एसएचओ त्यागी ने ही 'ऑपरेशन' का नेतृत्व किया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तबादले के बाद उन्होंने जनरल डायरी में एक लिखित नोट दिया जिसमें कहा गया था कि उन्हें 'मुठभेड़' के कारण निशाना बनाया जा रहा था।
उन्होंने नोट में लिखा है, '11 नवंबर को मेरी टीम और मैंने सात लोगों को गोहत्या के आरोप में तब गिरफ्तार किया था जब उनके पैर में गोली लगी। हमने गायों और छोटे हाथियों के शव बरामद किए। जब से मैंने ऑपरेशन संभाला है, मेरा मानना है कि मुझे इसी कारण से स्थानांतरित किया गया है। इससे मेरा मनोबल गिरा है। मैं काम करने की स्थिति में नहीं हूं और मुझ पर कभी इस तरह का आरोप नहीं लगाया गया... मेरा चरित्र उत्तम स्तर का है। मेरा तबादला करने से पहले इस घटना की जांच होनी चाहिए थी।'
रिपोर्ट के अनुसार, ग़ाज़ियाबाद के एसएसपी पवन कुमार ने कहा है कि पुलिस अधिकारी के 'कदाचार' के बाद मुठभेड़ की जांच की जा रही है, मैंने अंचल अधिकारी से तथ्यों पर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने यह भी कहा कि 'इंस्पेक्टर को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। आधिकारिक दस्तावेज़ में जो दर्ज किया गया था वह अवैध था। दूसरे, यह गुप्त दस्तावेज लीक हो गया था। वह छुट्टी पर चले गए थे जिसकी मंजूरी नहीं दी गई थी।'
त्यागी का समर्थन करने वालों में लोनी भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर भी हैं, जिन्होंने पुलिस पर गाय तस्करों से पैसे लेने और इसलिए इंस्पेक्टर को स्थानांतरित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखेंगे।